धस्माना बोले- बेकाबू कोरोना, अस्पतालों मे बेड फुल, आक्सीजन की कमी, सरकार जिम्मेदार, मोहन खत्री ने कहा-लॉकडाउन लगाओ
उत्तराखंड में कोरोना के बेकाबू होते जा रहे हालात, लगातार बढ़ रहे संक्रमित मरीजों की संख्या व मृतकों की गिनती में हो रही वृद्धि के लिए राज्य सरकार की घोर लापरवाही व अपर्याप्त तैयारियां जिम्मेदार हैं।

उत्तराखंड में कोरोना के बेकाबू होते जा रहे हालात, लगातार बढ़ रहे संक्रमित मरीजों की संख्या व मृतकों की गिनती में हो रही वृद्धि के लिए राज्य सरकार की घोर लापरवाही व अपर्याप्त तैयारियां जिम्मेदार हैं। यह आरोप आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं पार्टी से गठित कोविड19 कण्ट्रोल रूम के प्रभारी सूर्यकांत धस्माना ने लगाए।
उन्होंने बताया कि पूरे दिन लोगों के अस्पताल में बेड, आईसीयू व वेंटिलेटर तथा रेमिडिसेर इंजेक्शन की मांग के लिए लगातार फोन आते रहे। देहरादून के दून मेडिकल कालेज, जौलीग्रांट अस्पताल, मैक्स, आरोग्य धाम, महंत इंद्रेश व अरिहंत हस्पताल के अधिकारियों बात कर जो स्थितियां पायीं, वे डराने वाली थी। धस्माना ने बताया कि दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य ने उन्हें पौने दो बजे बताया कि दून में 378 मरीज हो चुके हैं व कोई बैड खाली नहीं है। अब रेमिडिसेर इंजेक्शन की भी कमी हो रही है।
जौलीग्रांट हिमालयन हस्पताल के उप कुलपति विजय धस्माना ने ढाई बजे बताया कि उनका पूरा कोविड वार्ड भर गया है व हस्पताल के पास केवल तीन घंटे की ऑक्सीजन बची है। आरोग्य धाम के डॉक्टर विपुल कंडवाल ने अरिहंत हस्पताल के डॉक्टर अभिषेक जैन ने व मैक्स में प्रशाशनिक कार्य देख रहे हिमांशु जोशी ने भी बताया कि उनके हस्पताल में कोई बैड उपलब्ध नहीं है। धस्माना ने रेमिडिसेर इंजेक्शन के बारे में राज्य की स्वास्थ्य महानिदेशिका डॉक्टर तृप्ति बहुगुणा व एसीएमओ डॉक्टर कैलाश गुंज्याल से बात की। दोनों ने ही बताया कि अभी उपलब्ध नहीं, कंपनी से प्राप्त करने की विभाग कोशिश कर रहा है।
धस्माना ने कहा कि अपने पूरे जीवन में इतना असहाय उन्होंने कभी महसूस नहीं किया जितना आज करना पड़ रहा है। जब लोग जान बचाने के लिए उनसे गुहार लगा रहे हैं और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सब राज्य सरकार की महाकुंभ में कई गयी घोर लापरवाही का नतीजा है। इसमें लाखों लोगों को संक्रमित राज्यों से उत्तराखंड आने दिया गया बिना किसी रोकटोक के। धस्माना ने कहा कि 13 महीनों में भी सरकार कोई तैयारी नहीं कर पाई, जबकि पूरी दुनिया को पता था कि दूसरी लहर आएगी। धस्माना ने राज्य सरकार से मांग की की तत्काल आक्सीजन युक्त बिस्तरों वाला आपातकालीन हस्पताल तैयार कर मरते लोगों को बचाया जाय।
राज्य आंदोलनकारी ने की संवेदना व्यक्त
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों मोहन खत्री ने कोरोना महामारी से दिवंगत हुए लोगों के प्रति गहन संवेदना व्यक्त की। साथ ही उत्तराखंड सरकार की असफलता दर्शाते हुए चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ये सब दिन देखने के लिए क्या हमने उत्तराखंड राज्य की मांग की थी, जिसमें ना तो चिकित्सीय सुविधा मजबूत हुई और ना ही कोई ठोस विकास हुआ। ये इस संकट के दौर में स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी होना, मरीजों को बेड की कमी, दवाई ना मिल पाना, सड़कों में दम तोड़ती जिंदगी, अगर इसे विकास कहते हैं तो धिक्कार है ऐसे विकास को।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस संकट के दौर में हरिद्वार जिले में कुंभ यह बोल कर करा दिया कि मां गंगा सबका भला करें। ऐसे मूर्खतापूर्ण निर्णय लेने से आज उत्तराखंडवासियों के लिए जी का जंजाल बन गया। लोगों को बोलने का मौका मिल गया कि कुंभ नहीं ये कोरोना महामारी बम का विस्फोट कराया हैमुख्यमंत्री ने।
उन्होंने कहा कि मेरा उत्तराखंड राज्य सरकार से निवेदन है कि संकट की घड़ी में कोरोना बीमारी से बचाव के लिए उत्तराखंड राज्य के हर जिले में एक कंट्रोल रूम बनाया जाए। जो जिले के हर अस्पताल में कितने बेड रिक्त हैं, इसकी सूचना समय-समय पर प्रसारित करता रहे। जिससे कि कोरोना संक्रमित को जगह-जगह भटकते हुए या रास्ते में अपनी जिंदगी से ना हारना पढ़े। उन्हें हर संभव इलाज मिल सके। कम से कम 3 हफ्ते का संपूर्ण लॉकडाउन लगाते हुए जनमानस की रक्षा करें।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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