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November 7, 2024

पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर कर्मचारी संगठनों का अल्टीमेटम, देशभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल तय

देशभर में केंद्रीय और राज्य सरकारों के कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। गैर बीजेपी शासित कई राज्य सरकारों ने अपने यहां पुरानी पेंशन को लागू कर दिया है। वहीं, अब लंबे समय से संघर्ष कर रहे कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार को ओपीएस लागू करने के लिए छह सप्ताह का अल्टीमेटम दे दिया है। इन संगठनों ने चेतावनी दी कि यदि इस अवधि में पुरानी पेंशन बहाल नहीं होती है, तो देशभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो जाएगी। इस स्थिति में रेल संचालन और रक्षा क्षेत्र के उद्योगों सहित तमाम सरकारी विभागों में कामकाज बंद हो जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नई दिल्ली में हुई नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के पदाधिकारियों की बैठक में यह अहम निर्णय लिया गया है। ये बैठक बुधवार सात फरवरी को हुई थी। बैठक की अध्यक्षता, एनजेसीए के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने की। बैठक में तय किया गया है कि केंद्र सरकार को अनिश्चितकालीन हड़ताल का नोटिस देने और स्ट्राइक की तिथि घोषित करने के लिए दो दिन के भीतर एक कमेटी गठित होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए दो बड़े कर्मचारी संगठनों की सहमति
एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार के मुताबिक, लोकसभा चुनाव से पहले ‘पुरानी पेंशन’ लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है। देश के दो बड़े कर्मचारी संगठन, रेलवे और रक्षा (सिविल) ने अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए अपनी सहमति दे दी है। स्ट्राइक बैलेट में रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 फीसदी कर्मचारी ओपीएस लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा रक्षा विभाग (सिविल) के चार लाख कर्मियों में से 97 फीसदी कर्मी हड़ताल के पक्ष में हैं। 20 और 21 नवंबर को 400 डिफेंस यूनिट, 7349 रेलवे स्टेशन, मंडल व जोनल दफ्तर, 42 रेलवे वर्कशॉप और सात रेलवे प्रोडेक्शन यूनिटों पर स्ट्राइक बैलेट के तहत वोट डाले गए थे। विभिन्न केंद्रीय कर्मचारी संगठन एवं राज्यों की एसोसिएशन भी ओपीएस के मुद्दे पर एक साथ आ गई हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सरकार कर चुकी है साफ
11 दिसंबर, 2023 को संसद में भी ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली को लेकर केंद्र सरकार से सवाल पूछा गया था। तब सरकार ने बताया कि उसे कई दफा ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने को लेकर अनुरोध पत्र मिलता रहा है। साथ ही सरकार ने साफ कर दिया कि एक जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त किए गए केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने का भारत सरकार के सामने कोई प्रस्ताव नहीं है।
तब वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा था कि एक जनवरी 2004 को या उसके बाद नियुक्त किए गए कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने का भारत सरकार के सामने कोई प्रस्ताव नहीं है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए लागू नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से जुड़े मुद्दे को देखने के लिए तथा किसी आवश्यक परिवर्तन के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पेंशनभोगियों की संख्या
देश में 11,41,985 सिविल पेंशनभोगी, 33,87,173 रक्षा पेंशनभोगी (सिविल पेंशनभोगी सहित रक्षा पेंशनभोगी), 4,38,758 दूर संचार पेंशनभोगी, 15,25,768 रेलवे पेंशनभोगी और 3,01,765 डाक पेंशनभोगी हैं। इसे मिलाकर देश में कुल 67,95,449 पेंशनभोगी हैं। राज्य सरकार के पेंशनभोगियों को लेकर कोई डेटाबेस नहीं रखती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इन राज्यों में लागू हो चुका है OPS
राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारों ने ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लागू कर दिया है। इसे लेकर इन राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार, पेंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) को अपने निर्णय के बारे में बता दिया है। इन राज्य सरकारों ने अंशदान की वापसी/निकासी और उस पर प्रापत लाभ के लिए अनुरोध किया है। हालांकि, पंजाब सरकार ने भारत सरकार को सूचित भी किया है कि यह NPS में कर्मचारी और सरकारी अंशदान का भुगतान जारी रखेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पुरानी पेंशन योजना
नई और पुरानी, दोनों पेंशन के कुछ फायदे और नुकसान हैं। पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। पुरानी स्‍कीम में पेंशन कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों से तय की जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से पैसा नहीं काटा जाता। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन का भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है। इसके अतिरिक्त इस पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का पैसा उसके परिजनों को मिलने लगता है। पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद कर्मचारियों को DA डीए दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा जब-जब सरकार वेतन आयोग का गठन करती है, पेंशन भी रिवाइज हो जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नई पेंशन स्कीम में क्या है खास
NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। एक तरफ जहां पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दोनों योजनाओं में अंतर
दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें आपके द्वारा एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है। अब खुद ही समझ जाएं कि चंद पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए इस योजना को लागू किया गया। वहीं, पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। अगर बाजार में मंदी रही तो एनपीस पर मिलने वाला रिटर्न कम भी हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जनवरी माह में हुई थी रिले हंगर स्ट्राइक
केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने आठ जनवरी से 11 जनवरी तक ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ की थी। इसका मकसद, सरकार को चेताना था। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ के अंतिम दिन सरकार को चेतावनी दे दी थी कि ओपीएस बहाली के लिए अब कोई धरना प्रदर्शन नहीं होगा। सरकार हमें अनिश्चिकालीन हड़ताल करने के लिए मजबूर कर रही है। देश में अगर 1974 की रेल हड़ताल जैसा माहौल बना, तो उसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी। उसके बाद सात फरवरी को एनजेसीए की बैठक बुलाई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सात फरवरी को हुई बैठक में हड़ताल के पक्ष में दिखे संगठन
इस बैठक में देशभर में होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल की तिथि तय करने और सरकार को स्ट्राइक नोटिस देने बाबत चर्चा हुई। श्रीकुमार के मुताबिक, बैठक में मौजूद सभी संगठन, अनिश्चिकालीन हड़ताल करने के पक्ष में हैं। स्ट्राइक की तिथि तय करना और सरकार को नोटिस देना, इसके लिए एक छोटी कमेटी गठित की जा रही है। अगर सरकार ने छह सप्ताह में कर्मियों की मांग नहीं मानी, तो देश में हड़ताल तय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

संशोधन मानने को तैयार नहीं कर्मचारी संगठन
सरकार की ओर से एनपीएस में किसी भी प्रकार के संशोधन को मानने को कर्मचारी संगठन तैयार नहीं है। वे पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग कर रहे हैं। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु का कहना है, केंद्र सरकार एनपीएस में संशोधन करने जा रही है। हम ऐसे किसी भी संशोधन के लिए आंदोलन नहीं कर रहे हैं। कर्मियों को गारंटीकृत पुरानी पेंशन ही चाहिए। अगर कोई भी कर्मचारी नेता या संगठन, सरकार के एनपीएस में संशोधन प्रस्ताव पर सहमत होते हैं, तो ‘2004’ वाली गलतियां, ‘2024’ में भी दोहराई जाएंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एनपीएस को बताया डस्टबीन
उन्होंने कहा कि एनपीएस एक डस्टबीन है। करोड़ों कर्मियों का दस फीसदी पैसा और सरकार का 14 फीसदी पैसा, डस्टबीन में जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं है। पुरानी पेंशन बहाली तक, कर्मियों का आंदोलन जारी रहेगा। वित्त मंत्रालय की कमेटी की रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। यह रिपोर्ट पेश हो या न हो। इससे कर्मियों को कोई मतलब नहीं है। वजह, यह कमेटी ओपीएस लागू करने के लिए नहीं, बल्कि एनपीएस में सुधार के लिए गठित की गई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कमेटी इन विषयों पर तैयार कर रही रिपोर्ट
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में नई पेंशन योजना के बाबत पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया था कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के मौजूदा ढांचे और संरचना, जैसा सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू है। इसके आलोक में, क्या उसमें किसी प्रकार के बदलाव किए जाने उचित हैं, इस बाबत वित्त मंत्रालय की कमेटी विचार कर रही है। यदि कमेटी द्वारा एनपीएस में बदलाव की सिफारिश की जाती है, तो उसमें वित्तीय निहितार्थों और समग्र बजटीय गुंजाइश पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखा जाएगा। कमेटी का कार्य ऐसे उपाय सुझावित करना है, जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत शामिल सरकारी कर्मचारियों के पेंशन संबंधी लाभों में सुधार लाने के दृष्टिगत संशोधन करने के लिए उपयुक्त हों, ताकि सामान्य नागरिकों के संरक्षण के मद्देनजर वित्तीय विवेक को कायम रखा जा सके।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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