यूकेडी ने जारी किया थीम सोंग-यूकेडी को लाना है, उत्तराखंड बचाना है, देखें वीडियो

यूकेडी के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड में उक्रांद के 45 प्रत्याशी मैदान में है। कोशिश थी 70 पर लडने की, मगर कोई बात नही। महंगे चुनाव को देखते हुए हमारे कुछ साथी नही लड़े। उन्होंने कहा कि ये दिल्ली और नागपुर के रिमोट से चलने वाले दल, उत्तराखंड का भला नहीं कर सकते। फिर चाहे आप हमारे मित्र धामी को ले लीजिए या हमारे बड़े भाई हरदा को लीजिए। एक भाई मोदी मोदी करके वोट मांगता है और दूसरा उत्तराखंडियत का ढोंग पीटता है।
उन्होंने कहा कि भूकानून, मूलनिवास, मूलभूत सुविधा, फ्री बिजली पानी का वादा जो आज दोनो कर रहे है। मैं पूछना चाहता हूं, भाई आप 22 सालो से कर क्या रहे हो? 2 साल अंतरिम गवर्मेंट बीजेपी की रही। उसके बाद तो जनता ने 10 बीजेपी और 10 साल कांग्रेस की निर्वाचित सरकार बनाई। इन दोनों दलों ने किया किया। खनन, भ्रष्टाचार?
उन्होंने कहा कि अब यूकेडी के लोगो पूछेंगे कि हमने इन्हें समर्थन क्यों दिया। इस संबंध में आपको फिर से बताना चाहता हूं की राज्य बनने के बाद उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। इन परिस्थितियों के चलते राज्य पर अतिरिक्त बोझ चुनाव का ना पड़े, इसीलिए हमने वह कदम उठाया। हमने 9 बिंदुओं पर समर्थन दिया था। शर्ते रखीं और हम छले गए। सीमित संसाधनों में हमारे प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं, धनबल से हम इनसे नहीं लड़ सकते। उत्तराखंड राज्य को जनता के सहयोग से बचा सकें इसके लिए आज भी संघर्ष कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक भाई आजकल दिल्ली से आया है। उत्तराखंड सवांरने। दिल्ली में तो बेड़ा गर्ग कर दिया, अब यहां करना चाहता है। फर्जी वीडियो तो कोई भी बना देगा। आप भी और हम भी। तनख्वा देने तक के पैसे नही हैं आज दिल्ली सरकार के पास। न कोई विजन है, ना कोई मिशन। देवभूमि में विकास की बात करते है, दिल्ली में हर मोहल्ले में शराब की दुकान खोली है। आप खुद ही सोचिए यह उत्तराखंड का क्या करेगा। आज हम आपसे पलायन रोकने की बात करते है, बेरोजगारी कम करने की बात करते है, हम आपसे शिक्षा और स्वास्थ की बात करते है, गांव स्तर पर उद्योग लगाने की बात करते है, क्या इन राष्ट्रीय दलों के बड़े बड़े नेताओ में हिम्मत है।
उन्होंने कहा कि हमने राज्य का आंदोलन 1979 से 2000 तक किया था। जनता को याद होगा कितनी शहादते हुई। अब उत्तराखंड को सभी ने क्रेडिट गेम बना दिया है। हमे आपको बताने की जरूरत नही है कि आंदोलन में क्या हुआ था। आप सभी साक्षी है। बहकावे में मत आइए। आज मैं आपके माध्यम से परिसीमन पर भी थोड़ा जनता का ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं। पहले तो परिसीमन 2012 में होना चाहिए था, इन्होंने 2002 में करवा दिया। दूसरा उत्तराखंड में क्षेत्रफल के आधार पर परिसीमन होना था, उन्होंने जनसंख्या के आधार पर करवा दिया। ये तो सीधा सीधा उत्तराखंड को यूपी बिजनौर से मिलाने की साजिश है। उत्तराखंड में 2026 में फिर परिसीमन है और पलायन इतना हुआ है, और अभी भी बढ़ता जा रहा है। तो हमारी विधान सभाएं शहर में बहुत ही छोटे छोटे क्षेत्र में सीमित हो जाएंगी। नौबत यह तक आ जाएगी की पहाड़ हमारे मैदानी इलाकों में मिला दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल का मानना है कि राज्य का विकास हो। इस राज्य में बेहतर शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार और सुरक्षा हम दे पाए। उक्रांद एक ही एजेंडा है, राज्य हित सर्वोपरी। पहले हम लड़े थे इस राज्य को बनाने के लिए, और अब हम लड़ेंगे राज्य बचाने के लिए। उन्होंने कहा कि हम भले ही सत्ता में नहीं आए। हो सकता है हमने गलती की होगी। हम इस राज्य को बचाने के लिए सड़को पर जरूर आयेंगे। हम आज भी धामी और हमारे हरीश रावत को चैलेंज करते हैं कि जितना काम उत्तराखंड के लिए हमारे विधायकों ने अपने कार्यकाल में इमानदारी से किया है, उसका आधा भी इन्होंने किया है तो, हम राजनीति से सन्यास ले लेंगे।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को आज की परिस्थिति में उक्रांद की आवश्यकता है।उक्रांद को आपकी जरूरत है। मिलकर उत्तराखंड नव निर्माण में भागीदारी करें। उक्रांद का समर्थन करें। आगामी 14 नवंबर को कुर्सी के सामने का बटन दबाकर उत्तराखंड क्रांति दल के प्रत्याशियों को विजयी बनाएं। इस अवसर पर हमारे कुछ समर्थको ने उत्तराखंड की जनता को जगाने के लिए एक गाना लिखा है। इसके माध्यम से हम जनता की भावनाएं जनता के बीच में पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। इस अवसर पर वरिष्ठ नेता लताफ़त हुसैन, केन्द्रीय प्रवक्ता विजय बौड़ाई, विजेंद्र रावत, कुंदन सिंह बिष्ट , एडवोकेट एस एन बिष्ट, सागर पँवार, निशंक आदि मौजूद रहे।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।