मूल सरोकारों से प्रदेश की जनता का ध्यान भटकाने की साजिश है यूसीसी, कई जनजातियों को क्यों छोड़ा, रेप जिहाद पर मौन क्यों
1 min readउत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि केदारनाथ विधानसभा का उपचुनाव बीजेपी को अपने हाथ से फिसलता नजर आ रहा है। बीजेपी के पास अपने काम गिनाने के आधार तक नहीं बचे हैं। ऐसे में घबराकर जनता का ध्यान मूल सरोकारों से भटकाने के लिए यूसीसी लाने में जल्दबाजी की जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक बयान में गरिमा ने कहा कि उत्तराखंड सरकार की ओर से यूसीसी की नियमावली का ड्राफ्ट जारी किया गया। कहा जा रहा है कि बहुत जल्द उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। दसौनी ने कहा की केदारनाथ का उपचुनाव अपने हाथों से फिसलता देख उत्तराखंड बीजेपी यूसीसी लाने में जल्दबाजी कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा ने कहा कि समान नागरिक संहिता उत्तराखंडवासियों की मांग कभी नहीं रही। उत्तराखंड के मूल सरोकार अदद पूर्णकालिक राजधानी, सख्त भू – कानून, मजबूत लोकायुक्त, मूल निवास, ग्रामीण अंचलों की तड़पती प्रसूंताओं को सुरक्षित प्रसव, राज्य के बेरोजगार युवाओं के हाथों को काम, किसानों को समर्थन मूल्य और महिलाओं को सुरक्षा आदि हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा दसौनी ने कहा कि समान नागरिक संहिता का अर्थ होता है एकरूपता और समाज में एक समानता। एक तरफ यह एकरूपता नहीं है। जब उत्तराखंड की समस्त जनता ही पूरी तरह से यूसीसी में कवर्ड नहीं है, तो एकरूपता और समानता कैसे यूसीसी में है। उत्तराखंड सरकार बताए कि बोकसा, थारू, भोटिया, जौनसारी, यह सभी जनजातीय जो यहां उत्तराखंड की निवासी हैं, क्या उत्तराखंड सरकार उन्हें उत्तराखंड का नागरिक नहीं समझती। यदि किसी कारणवश यूसीसी इन तमाम जनजातीयों पर लागू नहीं हो सकती थी, तो बाकी बची हुई जनता ने क्या इसकी मांग की थी, जो बाकियों पर थोपना जरूरी था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा ने यह कहा कि उत्तराखंड मूलतः हिंदू बाहुल्य राज्य है और हिंदुओं के लिए जितनी बातें यूसीसी में कही गई हैं, वह पहले से ही हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में आच्छादित है। ऐसे में उत्तराखंड यूसीसी से कैसे लाभान्वित होगा और भविष्य में कितना व्यावहारिक होगा, यह भविष्य के गर्भ में है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा ने कहा कि एक तरफ उत्तराखंड में पठन-पाठन करने वाले नौनिहालों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अकाल है। वहीं स्वास्थ्य सेवाएं लचर हैं। सड़कों का हाल बेहाल है। युवा भर्ती परीक्षा में हो रही धांधली से परेशान हैं। महिला दुष्कर्म में अचानक प्रदेश में बढ़ोतरी हो गई है। लव जिहाद, लैंड जिहाद और थूक जिहाद की बात करने वाली बीजेपी और सरकार रेप जिहाद की बात करने से बच रहे हैं। क्यों सत्ता पक्ष की ओर से रेप जिहाद के लिए सख्ती नहीं दिखाई जा रही।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।