धामी कैबिनेट में यूसीसी ड्राफ्ट का प्रस्तुतिकरण, फिर लगाई गई मुहर, विधानसभा में छह फरवरी को होगा पेश
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट में समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट का प्रस्तुतिकरण किया गया। इसके बाद इस पर मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी। अब आज पांच फरवरी से विधानसभा सत्र शुरू होने जा रहा है। इस बिल को छह फरवरी को सरकार की ओर से पेश किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ड्राफ्ट का दिया गया प्रस्तुतिकरण
मुख्यमंत्री आवास में हुई कैबिनेट की बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी व विशेष सचिव गृह रिद्धिम अग्रवाल ने समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट का प्रस्तुतिकरण दिया। बैठक का एकमात्र विषय समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट पर चर्चा और इसके विविध पहलुओं से कैबिनेट के सदस्यों को अवगत कराना ही था। विधानसभा सत्र आहूत होने के कारण कैबिनेट बैठक के संबंध में ब्रीफिंग नहीं की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रविवार की शाम को सीएम आवास में हुई थी बैठक
रविवार शाम को सीएम आवास में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल बैठक में सुप्रीमकोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई समिति की ओर से तैयार यूसीसी ड्राफ्ट का प्रस्तुतिकरण दिया गया। चार खंडों में 740 पेज के यूसीसी रिपोर्ट पर चर्चा के बाद मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से मुहर लगा दी। साथ ही यूसीसी विधेयक तैयार कर विधानसभा के पटल पर रखने को मंजूरी दे दी। बैठक का एकमात्र विषय समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट पर चर्चा और इसके विविध पहलुओं से कैबिनेट के सदस्यों को अवगत कराना ही था। लगभग 45 मिनट तक चली बैठक में प्रस्तुतिकरण के माध्यम से मंत्रिमंडल के सदस्यों को ड्राफ्ट के चारों खंडों की विस्तृत जानकारी दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सभी धर्मों के लिए विवाह के लिए समान कानून
कैबिनेट को जानकारी दी गई कि किस प्रकार प्रदेश में एक समान कानून लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे। सभी धर्मों में विवाह के लिए एक समान कानून लागू होगा। सभी वर्गों में पुत्र व पुत्री को संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलेगा। यूसीसी ड्राफ्ट में बहु विवाह रोकने, लिव इन की घोषणा, बेटियों को उत्तराधिकार में बराबरी का अधिकार देने, विवाह का रजिस्ट्रेशन करने, एक पति-एक पत्नी का नियम समान रूप से लागू करने जैसे तमाम प्रावधान हैं। बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, प्रेमचंद अग्रवाल, डॉ.धन सिंह रावत, गणेश जोशी, रेखा आर्या के अलावा मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन भी मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बच्चों में नहीं किया जाएगा भेदभाव
संपत्ति के अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया जाएगा। नाजायज बच्चे को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा। यह भी स्पष्ट किया गया है कि गोद लिए गए बच्चों, सरोगेसी से जन्मे बच्चों व सहायक प्रजनन तकनीक (असिस्टेड रिप्रोडक्टिविटी टेक्नोलॉजी) के द्वारा जन्मे बच्चों में भी कोई भेद नहीं किया जाएगा। उन्हें भी जैविक संतान माना जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्नी और बच्चों को समान अधिकार
संहिता में सम्मिलित संस्तुति के अनुसार, किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति में पत्नी व बच्चों को समान अधिकार प्राप्त होगा। साथ ही उसके माता-पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार देने की बात कही गई है। पुराने कानून में केवल माता को ही मरने वाले की संपत्ति में अधिकार प्राप्त था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह भी स्पष्ट किया गया कि किसी भी धर्म में रीति-रिवाज की आड़ में यदि किसी महिला के अधिकारों का हनन होता है, तो वह स्वीकार नहीं होगा। मंत्रिमंडल को अवगत कराया गया कि संहिता में केवल राज्य से संबंधित विषयों को ही लिया गया है। जिन विषयों पर केंद्र के स्तर से कानून बने हुए हैं, उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया है। इसमें सभी धर्मों के हितों को सुरक्षित रखा गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जनजातियों को दायरे से बाहर
एक बड़ा सवाल ये है कि जब समान नागरिक संहिता है तो इससे जनजातियों को बाहर क्यों रखा गया है। इसके पीछे बताया गया कि प्रदेश की जनजातियों की अपनी विशिष्ट पहचान, संस्कृति और परंपराएं हैं। विशेष यह कि जनजातियों का विषय केंद्र के अधिकार क्षेत्र का है। इस कारण जनजातियों को संहिता के दायरे से बाहर रखा गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं ड्राफ्ट के संभावित प्रावधान
– लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी, जिससे वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
– विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
– पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।
– पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी।
– उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक है।
– नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
मेंटेनेंस: अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
– एडॉप्शन: सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
– हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
– लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट लग सकती है।
– गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
– पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
– जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।