हिमाचल प्रदेश में सात मिनट के भीतर भूकंप के दो झटके, एक दिन पहले उत्तराखंड में भी हिली थी धरती
1 min readहिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में शनिवार सुबह 3.2 तीव्रता का हल्का भूकंप आया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने कहा कि झटका सुबह करीब 5:17 बजे महसूस किया गया और भूकंप की गहराई 5 किमी थी। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने एक ट्वीट में कहा कि 3.2 परिमाण का भूकंप, 14-01-2023, 05:17:15 IST। इसका अक्षांश: 32.25 और देशांतर 76.56 है। गहराई: 5 किमी, स्थान: 22 किमी पूर्व में धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश में आया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इससे सात मिनट पहले हिमाचल के ही कांगड़ा में सुबह पांच बजकर 10 मिनट पर 2.8 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप का आक्षांस 32.21 और देशांतर 76.41 था। गहराई पांच किलोमीटर थी। वहीं, एक दिन पहले उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 13 जनवरी की दोपहर दो बजकर 12 मिनट पर 2.9 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप का आक्षांस 30.84 और देशांतर 78.14 था। इसकी गहराई 10 किलोमीटर थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।