पर्यावरणविद स्व. सुंदरलाल बहुगुणा पर दिल्ली में छिड़ी ट्विटर वार, उत्तराखंड पहुंची इसकी आंच, अब होगा प्रदर्शन
धरने और प्रदर्शन करने हैं तो आम आदमी पार्टी से सीखो। इधर भाजपा नेता बयान देते हैं और पार्टी कार्यकर्ता पहुंच जाते हैं बीजेपी दफ्तर पर। इन दिनों उत्तराखंड में आप कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन का मुद्दा बीजेपी नेताओं के बयानों को भी बनाया है। बीजेपी प्रवक्ता के कथित बयान पर तो पूरे प्रदेश भर में प्रदर्शन किए गए। आरोप लगाया कि उन्होंने उत्तराखंड की जनता को भीखमंगा कहा है। वहीं, बीजेपी दावा कर रही है कि जो वीडियो दिखाई जा रही है, वो एडिट है। उसकी रिपोर्ट पुलिस को की गई है। जांच हो रही है। सब सामने आ जाएगा।
हालांकि आप की प्रवक्ता ने भी तैश में आकर उत्तराखंड की जनता का उदाहरण कुत्ते के उदाहरण से दे दिया था। तब आप के किसी बड़े नेता का बयान नहीं आया। सबने चुपी साधी। बीजेपी और यूकेडी ने इसे मुद्दा बनाया तो आप की उत्तराखंड प्रवक्ता उमा सिसोदिया ने अपने बयान को लेकर माफी मांग कर विवाद को निपटाने का प्रयास किया। तब आप के किसी बड़े नेता ने माफी नहीं मांगी और न ही पार्टी की तरफ से इसे लेकर कोई बयान आया। फिर सवाल उठता है कि दिल्ली के बीजेपी प्रवक्ता पर आप नेता उत्तराखंड के सीएम की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी क्यों दे रहे हैं। ये आप नेता ही ज्यादा बता सकते हैं।
अबकी बार आम आदमी पार्टी ने पर्यावरणविद स्वर्गीय सुंदर लाल बहुगुणा को भारत रत्न देने के मामले को मुद्दा बनाया है। ये भी देश का दुर्भाग्य है कि जब तक बहुगुणाजी जिंदा रहे, तब किसी ने उन्हें भारत रत्न देने की इस तरह से मांग नहीं उठाई। वह कई समय तक बिस्तर पर रहे, तब शायद कोई नेता उनका हालचाल जानने उनके घर गया हो, ऐसा हमारे संज्ञान में नहीं है। अब उनके निधन के बाद राजनीति शरू हो गई है। उन्हें भारत रत्न देने की मां तो ठीक है, लेकिन इसे लेकर घटिया बयानबाजी का सिलसिला गलत है।
उत्तराखंड में आप प्रवक्ता नवीन पीरशाली ने आज एक बयान जारी करते हुए दिल्ली के बीजेपी प्रवक्ता पर पद्मविभूषण स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा को अरविंद केजरीवाल की ओर से भारत रत्न देने की मांग पर निंदनीय टिप्पणी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता ने उत्तराखंड की जनता का अपमान की बात कही और उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से उत्तराखंड की जनता से माफी मांगने की मांग कर दी।
15 जुलाई को मशहूर पर्यावरणविद पद्मविभूषण स्व सुंदरलाल बहुगुणा की स्मृति में दिल्ली विधानसभा में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बहुगुणा की मूर्ति और चित्र का अनावरण किया था। इस मौके पर उन्होंने स्व बहुगुणा के पर्यावरण के लिए संघर्ष और योगदान पर उनके लिए भारत रत्न देने की मांग की थी। आज अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर ट्विट किया कि उन्होंने इस मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र 16 जुलाई का है। इसे भी ट्विटर में पोस्ट किया गया। अरविंद केजरीवाल के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र पर दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल ने एक ट्वीट कर दिया। बीजेपी प्रवक्ता के ट्विट को आप ने उत्तराखंड की जनता का अपमान बताया।
बीजेपी प्रवक्ता नवीन ठाकुर ने केजरीवाल के ट्विट पर लिखा- दिल्ली के महाठग अरविंद केजरीवाल ने भारत रत्न को रेवडी का पैकेट समझ रखा है जहां जाता है वहां बाट देता है।
इसके बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए जवाब दिया कि- बीजेपी को मुझे जो गाली देनी है दे सकती है, लेकिन स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा के लिए ऐसी ओछी बात न करें।
बस इसके बाद तो आम आदमी पार्टी के सारे नेता एक साथ मैदान में कूद पड़े। इसके बाद आप के उत्तराखंड प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया ने भी इस पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि-यह भाजपा द्वारा सिर्फ स्व. सुंदरलाल बहुगुणा जी का अपमान नही है ये समूचे उत्तराखंड का अपमान है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी भाजपा नेता के इस अपमानजनक टिप्पणी पर उत्तराखंड की जनता से माफी मांगे।
इसके बाद उत्तराखंड में आप नेता कर्नल (अ.प्रा.) कोठियाल ने भी ट्वीट कर लिखा है कि –
“वह…….दिल्ली बीजेपी कार्यकर्ता कहते हैं कि भारत की शान श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी को भारत रत्न नहीं मिलना चाहिए……………रेवडी के पैकेट से तुलना करी जाती है उत्तराखंडियों की…………क्या उत्तराखंड के बीजेपी मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी का भी यही सोचना है।
आप प्रवक्ता नवीन पीरशाली ने कहा आप पार्टी स्व सुंदलाल बहुगुणा और किसी भी उत्तराखंडी का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी। बीजेपी प्रवक्ता के इस शर्मनाक बयान से समस्त उत्तराखंडवासियों के सम्मान को ठेस पहुंची है और खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी को बीजेपी प्रवक्ता के इस बयान पर उत्तराखंड की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोग स्वाभिमानी होते हैं और अगर किसी के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने की कोशिश की जाएगी तो आप पार्टी उसे बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि क्या सुंदरलाल बहुगुणा जी को भारत रत्न नहीं मिला चाहिए। पूरा विश्व बहुगुणा के योगदान से भली भांति परिचित है, लेकिन बीजेपी नेता की ओर से ऐसी अशोभनीय टिप्पणी बीजेपी के चाल चरित्र को दर्शाती है और उत्तराखंड की जनता के प्रति उनके विचार को दिखाती है जिसे आप कार्यकर्ता किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय बहुगुणा जी का ये अपमान पूरे उत्तराखंड का अपमान है इसलिए खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
उधर आप के नेता दुर्गेश पाठक ने ट्विट किया और कहा कि-पर्यावरण गाँधी सुंदर लाल बहुगुणा जी हम भारतीयों के लिये आदर्श है, भाजपा के नेता ने इस तरह की ओछी भाषा का इस्तेमाल किया है। आम आदमी पार्टी इसका विरोध करती है। भाजपा के नेता माफी मांगे। नही तो कल आम आदमी पार्टी का उत्तराखण्ड विंग भाजपा के कार्यालय का 11 am पर घेराव करेगी।
21 मई को हुआ था निधन
गौरतलब है कि 21 मई 2021 को 94 वर्ष की उम्र में कोरोना के चलते सुंदरलाल बहुगुणा का एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया था। वे काफी समय से बीमार थे।
चिपको आंदोलन के हैं प्रणेता
चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म नौ जनवरी सन 1927 को देवभूमि उत्तराखंड के मरोडा नामक स्थान पर हुआ। प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से बीए किया। सन 1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए। उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी की। दलितों को मंदिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया।
अपनी पत्नी श्रीमती विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही ‘पर्वतीय नवजीवन मण्डल’ की स्थापना भी की। सन 1971 में शराब की दुकानों को खोलने से रोकने के लिए सुंदरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए। उत्तराखंड में बड़े बांधों के विरोध में उन्होंने काफी समय तक आंदोलन भी किया। सुन्दरलाल बहुगुणा के अनुसार पेड़ों को काटने की अपेक्षा उन्हें लगाना अति महत्वपूर्ण है। बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में उन्हें पुरस्कृत भी किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। पर्यावरण को स्थाई सम्पति माननेवाला यह महापुरुष आज ‘पर्यावरण गाँधी’ बन गया है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।