मेक इन इंडिया का सचः फाइटर जेट तेजस का ढांचा तैयार, इंजन के लिए अमेरिका का टालमटोल, अब रक्षामंत्री करेंगे प्रयास
मेक इन इंडिया की बात हो तो आपको लगेगा कि जो भी सामग्री बनाई जा रही है, वह पूरी तरह से भारत में ही निर्मित होगी। क्योंकि सरकार की ओर से प्रचार तो ऐसा ही किया जाता है। ऐसे प्रचार को सुनकर आपको भी लगेगा कि हम अब फाइटर जेट के निर्माण में भी आत्मनिर्भर बन चुके हैं। यदि आप हकीकत पर जाना चाहोगे तो नजारा कुछ और ही दिखेगा। क्योंकि ये कंगना रनौत की फिल्म तेजस नहीं है। इसके उलट हकीकत है। हकीकत ये है कि भारत अपने लिए फाइटर जेट तेजस का निर्माण कर रहा है। इसके खोखे या फिर कहें तो बॉडी तो तैयार हैं, लेकिन उड़ाने के लिए इंजन नहीं हैं। ऐसे में तेजस को वायु सेना को देने की समय सीमा भी बढ़ती जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन देशों में होता है इंजन का निर्माण
लड़ाकू विमानों के लिए इंजन बनाने के लिये उन्नत तकनीक और धातु विज्ञान की आवश्यकता होती है, जिनका निर्माण केवल अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्राँस में ही होता है। भारत, क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन सहित महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता के लिये बल देने के बावजूद इस सूची में शामिल नहीं हो पाया है। जिन देशों के पास लड़ाकू विमानों के लिये उन्नत इंजन बनाने की तकनीक है, वे परंपरागत रूप से उन्हें साझा करने के लिये तैयार नहीं हैं, यही कारण है कि यह समझौता पथ-प्रदर्शक के रूप में है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत को फाइटर जेट की सख्त जरूरत
इस समय फाइटर जेट की सख्त जरूरत है। वह भी तब जब भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट का बेड़ा लगातार कम होता जा रहा है। इसके लिए भारत अपने तेजस Mk-1A (Tejas Mk-1A) फाइटर जेट को तेजी से बनाना चाहता है, लेकिन अमेरिका इसके लिए सबसे बड़ा रोड़ा बन गया है। दरअसल, तेजस फाइटर जेट में अमेरिका का इंजन F404-IN20 लगना है। अभी मेक इन इंडिया के तहत भारत फाइटर जेट के इंजन बना पाया है। ऐसे में अमेरिकी कंपनी जीई पर भारत को निर्भर होना पड़ रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इंजन देने में अमेरिका कर रहा टालमटोल
तेजस के लिए इंजन को देने में अमेरिका अब टालमटोल कर रहा है। इससे तेजस उत्पादन रुका हुआ है। अमेरिका का कहना है कि यह सप्लाई चेन में आ रही दिक्कत की वजह से हो रहा है। बताया तो ये भी जा रहा है कि इसमें इस्तेमाल होने वाली धातु रूस में मिलती है। रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद इस धातु की सप्लाई ठप हो गई है। वहीं, कई विश्लेषक भारत को इंजन नहीं मिलने की वजह भारत और रूस की बढ़ती दोस्ती से जोड़कर देख रहे हैं। बताया जा रहा है कि भारतीय कंपनी एचएएल को कुल 16 तेजस फाइटर जेट देने थे, लेकिन इंजन नहीं मिलने की वजह से अभी तक कोई भी नहीं मिल पाया है। अब एचएएल ने कहा है कि वह नवंबर में पहला विमान देगी। अब भारतीय वायुसेना को उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष में 8 तेजस मिल जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अभी तक अमेरिकी कंपनी ने नहीं दिया एक भी इंजन
बताया जा रहा है कि अमेरिका की कंपनी ने अभी एक भी F404-IN20 इंजन नहीं दिया है। इसे तेजस में लगाया जाना है। जीई ने कहा है कि वह नवंबर महीने से इंजन की सप्लाई शुरू करेगा। भारत में अगले साल मिग 21 बाइसन विमान रिटायर होने जा रहे हैं। इस वजह से तेजस की समय से आपूर्ति जरूरी है। तेजस प्रोग्राम साल 1983 में शुरू हुआ था। तेजस के लिए इंजन में हो रही देरी से अमेरिका की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं। यही नहीं कई विश्लेषक अब भारत को दूसरे देशों की ओर देखने के लिए कह रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमेरिका से तनाव के चलते बनी ऐसी स्थिति
एयर मार्शल रिटायर एम मथेश्वरन कहते हैं कि इस इंजन को देने में देरी से छोटी अवधि में भारतीय वायुसेना पर असर पड़ेगा। इससे हो सकता है कि आगे चलकर डील को ही रद करना पड़ जाए। फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास फाइटर जेट की 32 स्क्वाड्रन ही है जबकि जरूरत 45 की है। तेजस के इंजन में ऐसे समय पर देरी हो रही है जब भारत और अमेरिका के बीच कई मुद्दों को लेकर तनाव चल रहा है। इसमें खालिस्तानी आतंकी पन्नू, रूस और मानवाधिकार का मुद्दा शामिल है। अमेरिका ने पीएम मोदी की रूस यात्रा पर खुलकर नाखुशी जताई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमेरिका लगातार डाल रहा दबाव
अमेरिका लगातार भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह रूस से दोस्ती कम करे। भारत के रूस से तेल खरीदने पर भी अमेरिका काफी नाराज है। वहीं अमेरिका ने भारत के मानवाधिकार के मुद्दे पर कई तीखे बयान दिए हैं। इसका भारतीय विदेश मंत्री ने करारा जवाब भी दिया है। पन्नू की कथित हत्या की साजिश को लेकर भारत का अमेरिका और कनाडा के साथ तनाव बढ़ा हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जाएंगे अमेरिका
भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस एमके1ए (LCA MK1A) को जल्द ही इंजन दिलाने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका के दौरे पर रवाना होने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि अपने इस पांच दिवसीय दौरे में रक्षा मंत्री अमेरिकी फर्म जनरल इलेक्ट्रिक की तरफ से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को जीई-एफ404 टर्बोफैन इंजन की आपूर्ति में हो रही देरी के मुद्दे को अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूत्रों मे बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 21 अगस्त से अमेरिका की पांच दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे। रक्षा मंत्री 23 अगस्त को पेंटागन में अपने अमेरिकी समकक्ष डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन के साथ रक्षा सहयोग को और मजबूत करेंगे। राजनाथ सिंह 21 से 25 अगस्त तक अमेरिका में रहेंगे। भारतीय वायुसेना को तेजस एमके1ए की डिलीवरी इंजनों की सप्लाई में देरी के चलते लटक रही है। भारतीय वायु सेना को 31 मार्च 2024 तक पहले तेजस एमके1ए की डिलीवरी होनी थी, लेकिन इसमें लगभग 10 महीने की देरी हो रही है। रक्षा मंत्री के इस दौरे में महत्वपूर्ण रक्षा सौदों में हो रही देरी पर भी चर्चा होगी। इनमें एलसीए तेजस एमके1ए को इंजन सप्लाई में हो रही देरी का मामला भी उठाया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम मोदी भी सितंबर को जाएंगे अमेरिका
रक्षा मंत्री की यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सितंबर को अमेरिका की यात्रा पर रवाना होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र के भविष्य शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 22 सितंबर को न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइसलैंड पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करें। इसके बाद वे 26 सितंबर को उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र को संबोधित करेंगे। इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा 5 नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से कुछ समय पहले हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब नवंबर 2024 तय की गई है डेडलाइन
रक्षा मंत्रालय ने 48,000 करोड़ रुपये के अनुबंध के तहत एचएलएच को 83 तेजस मार्क-1A की डिलीवरी का ऑर्डर दिया था। इस सौदे पर फरवरी 2021 में हस्ताक्षर किए गए थे। एचएएल को पहले तेजस मार्क-1A की डिलीवरी 31 मार्च 2024 तक करनी थी, इसके बाद लगातार डेडलाइन बढ़ाई जाती रही। वहीं अब इसकी नई डेडलाइन नवंबर 2024 तय की गई है। इसके अलावा राजनाथ सिंह अमेरिका में डिफेंस कंपनियों के गढ़ टेनेसी भी जाएंगे। जहां नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन, एल3 हैरिस, कोलिन्स एयरोस्पेस, बोइंग, रेथियॉन और प्रैट एंड व्हिटनी जैसी कंपनियों की फैक्ट्रियां हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
LCA-MK-II के इंजन पर भी होगी बात
रक्षा सूत्रों ने बताया कि भारत तेजस मार्क-2 वर्जन लाने की भी तैयारी कर रहा है। इसमें भी जीई F414 जेट इंजन लगाया जाना है। भारत की कोशिश रहेगी कि भारत-अमेरिका मिल कर इस इंजन का संयुक्त उत्पादन करें। साथ ही, भारत जीई के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करने से पहले ही तेजस मार्क-2 के प्रोटोटाइप की फ्लाइट टेस्टिंग के लिए एडवांस में कुछ जीई एफ-414 इंजन देने की बात कही है। LCA-MK-II का प्रोटोटाइप 2025 की शुरुआत तक आना था, लेकिन उसमें एक साल की देरी हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन डील को लेकर होगी चर्चा
रक्षा सूत्रों के मुताबिक तेजस इंजन मुद्दे के अलावा, इस दौरे में उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा होगी। दोनों देश जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और स्ट्राइकर आर्मर्ड व्हीकल जैसे प्रमुख रक्षा प्लेटफार्मों के सह-उत्पादन को लेकर भी बात होगी। स्ट्राइकर के को-प्रोडक्शन में भारत की गहरी दिलचस्पी है, देश की सेनाओं की जमीनी लड़ाकू क्षमताओं में अहम बढ़ोतरी करेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूत्रों ने बताया कि एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन सौदे को लेकर भी इस दौरे में चर्चा होगी। हाल ही में 31 जुलाई को भारतीय डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (डीएसी) ने कुछ सशोधनों के साथ एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन डील को मंजूरी दी है। सूत्रों के मुताबिक प्रीडेटर पर डीआरडीओ के बनाए एंटी-शिपिंग मिसाइल को लगाने की बात भी कही गई थी। प्रीडेटर पर डीआरडीओ मिसाइल लगाने को लेकर जनरल एटॉमिक्स ने अड़ंगा लगाते हुए इसे लगाने के बदले मोटी रकम की मांग की। प्रिडेटर डील के अलावा, 3.9 बिलियन डॉलर की कामत वाले मिसाइलों और गाइडेड बमों के साथ 31 यूएवी की खरीद को लेकर भी बातचीत हो सकती है।
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