इलेक्टोरल बॉंड का सचः बीफ का व्यापार करने वाली कंपनी से भी बीजेपी खा गई चुनावी चंदा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनिक नंबर के साथ राजनीतिक पार्टियों और कंपनियों का डाटा सार्वजनिक कर दिया है। चुनावी चंदा देने वाली कंपनियों में एक नाम चौंकाने वाला है, जिससे बीजेपी भी चुनावी चंदा खा गई। ये नाम है अल्लाना ग्रुप का। इसमें भी दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी और उससे जुड़े हिंदूवादी संगठन कभी मांस की दुकानों, कभी हलाल मीट के खिलाफ अभियान चलाते रहते हैं और लोगों की धार्मिक भावनओं को भड़काते हैं। साथ ही खुद को गोमाता का भक्त बताते हैं। वहीं, खास बात यह है कि खुद को हलाल बोनलेस भैंस के मांस के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक बताने वाली अल्लाना ग्रुप से जुड़ी कंपनियों ने साल 2019 में 6 और साल 2020 में 1 बॉन्ड खरीदे। इन बांड को शिवसेना और बीजेपी ने भुनाया। तब शिवसेना बीजेपी के साथ हाथ में हाथ मिलाकर खड़ी थी। दोनों ही दल खुद को हिंदूवादी कहते रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इलेक्शन कमीशन की इलेक्टोरल बॉन्ड वाली लिस्ट में दो कंपनियां ऐसी हैं, जो ‘बीफ’ एक्सपोर्ट करती हैं। दोनों कंपनियों मिलकर इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए करोड़ो रुपये डोनेट किए हैं। दोनों कंपनियां एक ही ग्रुप से जुड़ी हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इंकम टैक्स की रेड के बाद कंपनी ने खरीदे इलेक्टोरल बांड
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अप्रैल 2019 में कंपनी पर इनकम टैक्स की रेड पड़ी थी। इनकम टैक्स अधिकारियों ने बताया था कि ये कंपनी भारत में भैंस के गोश्त को एक्सपोर्ट करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। रेड के दौरान कंपनी पर करीब दो हजार करोड़ रुपये की टैक्स चोरी के आरोप लगे थे। इसके बाद ही चंदे का धंधा शुरू हुआ। इलेक्टोरल बॉंड को लेकर हम पहले भी जानकारी दे चुके हैं कि जिन कंपनियों पर जांच हुई और छापे पड़े, उन कंपनियों ने भी राजनीतिक दलों को चंदा दिया। इनमें अधिकतर ने बीजेपी को ही ज्यादा चंदा दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट गुप्त चुनावी चंदे को असंवैधानिक बता चुका है और इसे रद्द कर चुका है। किसे किसने कितना चुनावी चंदा दिया, ये बात अहम नहीं है। सबसे बड़ी बात ये है कि जिन कंपनियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, उन्होंने ही ऐजेंसियों की जांच शुरू होती ही चुनावी चंदा बीजेपी को दिया। तर्क ये भी दिया जा रहा है कि चंदा विपक्ष ने भी लिया, लेकिन ये भी सच है कि पहले जिन जांच एजेंसियों से कंपनियों को डराया गया, उन पर किसका नियंत्रण होता है, ये जगजाहिर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
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कब-कब कितने का बॉन्ड खरीदा और भुनाया गया?
-छापे के बाद इससे बाद Allana कोल्ड स्टोरेज ने 7651 नंबर का बॉन्ड 9 जुलाई 2019 को खरीदा था। इसकी कीमत 1 करोड़ रुपए थी। इस नंबर के बॉन्ड को शिवसेना ने 11 जुलाई 2019 को भुनाया।
-ALLANASONS प्राइवेट लिमिटेड ने 7655 नंबर का बॉन्ड 9 जुलाई 2019 को खरीदा था. कीमत 1 करोड़ रुपए थी। इस नंबर के बॉन्ड को शिवसेना ने 11 जुलाई 2019 को भुनाया।
-ALLANASONS प्राइवेट लिमिटेड ने 7653 नंबर का बॉन्ड 9 जुलाई 2019 को खरीदा था। कीमत 1 करोड़ रुपए थी. इस नंबर के बॉन्ड को शिवसेना ने 11 जुलाई 2019 को भुनाया।
-FRIGORIFICO ALLANA ने 7659 नंबर का बॉन्ड 9 जुलाई 2019 को खरीदा था। कीमत 1 करोड़ रुपए थी। इस नंबर के बॉन्ड को शिवसेना ने 11 जुलाई 2019 को भुनाया।
-FRIGORIFICO ALLANA ने 7657 नंबर का बॉन्ड 9 जुलाई 2019 को खरीदा था। कीमत 1 करोड़ रुपए थी. इस नंबर के बॉन्ड को शिवसेना ने 11 जुलाई 2019 को भुनाया।
-ALLANASONS प्राइवेट लिमिटेड ने 7720 नंबर का बॉन्ड 9 अक्टूबर 2019 को खरीदा था. कीमत 1 करोड़ रुपए थी. इस नंबर के बॉन्ड को बीजेपी ने 19 अक्टूबर 2019 को भुनाया।
-FRIGERIO CONSERVA AL ने 7772 नंबर का बॉन्ड 22 जनवरी 2020 को खरीदा था. कीमत 1 करोड़ रुपए थी. इस नंबर के बॉन्ड को बीजेपी ने 3 फरवरी को भुनाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे हो रहा है सच का खुलासा
बता दें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से चुनाव आयोग को सौंपे गए ताजा डाटा में अल्फान्यूमेरिक नंबर हैं। इसके जरिए ये आसानी से पता लगाया जा सकता है कि किस कंपनी ने कितने नंबर का बॉन्ड खरीदा और उसे किस पार्टी ने भुनाया।
ये है इस कंपनी का काम
अल्लाना संस प्राइवेट लिमिटेड की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, कंपनी साल 1865 में बनी थी। कंपनी का दावा है कि वो प्रोसेस्ड फूड के मामले में देश के टॉप एक्सपोर्टर्स में हैं। कंपनी भैंसे का फ्रोजेन गोश्त, चिल्ड वैक्यूम पैक्ड भैंसे का गोश्त, भैंस के जमे हुए अंदरूनी हिस्से, भेड़, मेमने का गोश्त एक्सपोर्ट करती हैं। वेबसाइट के मुताबिक कंपनी का सालाना टर्नओवर 500 से 1000 करोड़ के बीच होता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।