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November 16, 2024

विपक्ष को मात देने की चालः आजाद, शरद के बाद अब अजीत ने बदले सुर, कहीं ईडी का डर तो नहीं, देखें आरोपियों और दूध के धुलों की लिस्ट

वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दल एकजुटता की दुहाई दे रहे हैं। साथ ही बीजेपी को अडानी से लेकर अन्य मामलों में घेरकर सत्ता से बाहर करने की जुगत में हैं, वहीं बीजेपी की एक नई चाल के रूप में लोहा से लोहा काटने, कांटे से कांटा निकालने पर काम शुरू हो गया है। ये काम विपक्षी एकता को तोड़ने और अपनी बात को सही ठहराने की रणनीति का हिस्सा है। बीजेपी की इस लड़ाई में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वे सब नेता शामिल हो रहे हैं, जो या तो पहले कांग्रेस में थे। या फिर विपक्ष की एकता में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। एक तरफ अडानी मामले में जेपीसी गठन की मांग समूचा विपक्ष उठा रहा हैं, वहीं, अब इस मसले पर शरद पवार अपना सुर बदल चुके हैं। उधर कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाने वाले गुमाम नबी आजाद भी कांग्रेस पर ही हमलावर हो रहे हैं। गाहे बगाहे वह बीजेपी की तारीफ भी कर देते हैं। इसी तरह अब ऐसे नेताओं की कड़ी में एक नाम शरद पवार के भतीजे अजीत पवार का नाम भी शामिल हो गया है। यदि हम इन सब मामलों की तह तक जाएंगे तो यही पाएंगे कि कहीं ना कहीं इन सबको ईडी और सीबीआई का डर सता रहा है। क्योंकि जानकार तो सही मानते हैं कि लोकसभा चुनाव आते आते विपक्ष के कई नेता ईडी और सीबीआई की जांच के चलते जेल की सलाखों के पीछे होंगे। ऐसे में बीजेपी के पक्ष में ये नेता सुर से सुर मिलाने लगे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जेपीसी मांग को पवार ने कहा गलत
विपक्षी एकता की उम्मीद को उसी समय झटका लग गया था जब अडानी मुद्दे पर जेपीसी जांच की मांग को जोर-शोर से उठाने वाली कांग्रेस को NCP अध्यक्ष शरद पवार ने गलत ठहरा दिया था। शरद पवार शनिवार 8 अप्रैल को मीडिया से बातचीत में बोले- ‘मैंने यही कहा कि जेपीसी की जांच की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि जेपीसी की कोई भी जांच प्रभावी तरीके से नहीं हो सकती। जब जेपीसी बनेगी उसमें बीजेपी का बहुमत रहेगा और अन्य दलों को अधिकतम एक या दो सदस्यों का ही प्रतिनिधित्व मिल पाएगा और ऐसे में वही निष्कर्ष निकाला जाएगा जो सत्ता पक्ष को चाहिए होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अडानी के प्रति शरद पवार का नरम रुख
वहीं, शुक्रवार को एक टीवी चैनल से बातचीत करते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अदाणी का समर्थन किया था। हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर पवार ने कहा था कि ऐसा लगता है कि अदाणी समूह पर विदेशी फर्म हिंडनबर्ग को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया गया। बिना यह सोचे-समझे कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा। मुझे ऐसा लगता है कि हिंडनबर्ग ने देश के एक औद्योगिक संस्थान को निशाना बनाया है। किसी ने इस फर्म का इस विवाद से पहले नाम नहीं सुना। मामले के कई पक्ष हैं। सभी पक्षों पर ध्यान देने की जरूरत है। विदेशी फर्म के अदाणी समूह पर आरोप के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए अपनी निगरानी में जांच कमेटी बनाई। इसमें सेवानिवृत्त जज भी हैं। शीर्ष अदालत ने समयबद्ध रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। इसके बाद जेपीसी गठन की मांग की आवश्यकता नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भतीजे ने भी बढ़ाई विपक्ष की मुश्किलें
एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बाद अब एनसीपी नेता अजीत पवार ने भी कांग्रेस के लिए चिंताएं बढ़ा दी हैं। अजीत ने शनिवार को ईवीएम से चुनाव कराने का समर्थन किया है। पवार ने कहा कि मुझे ईवीएम पर पूरा भरोसा है। इसमें हेरफेर करना संभव नहीं है। लोग चुनाव हार जाते हैं तो ईवीएम को दोष देने लगते हैं। उन्हें जनता का जनादेश स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मशीनें खराब होतीं तो पश्चिम बंगाल और तेलंगाना सहित देश के अन्य राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें नहीं होतीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पवार ने कहा कि मुझे व्यक्तिगत रूप से ईवीएम पर पूरा भरोसा है। अगर ईवीएम खराब है तो छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में विपक्षी सरकारें कैसे हैं। ईवीएम में हेरफेर करना संभव ही नहीं। अगर यह साबित हो जाता है कि ईवीएम से छेड़छाड़ हुई है, तो अराजकता फैल जाएगी। ऐसा करने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पीएम की लोकप्रियता पर भी बोले पवार
पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की। प्रशंसा करते हुए पवार ने कहा कि उनके नेतृत्व में भाजपा 2019 में सत्ता में लौटी। विभिन्न टिप्पणियों के बावजूद वह लोकप्रिय रहे। मोदी के नाम पर भाजपा 2014 में सत्ता में आई और उन्हीं के नाम की ताकत से दूर-दराज के इलाकों में पार्टी पहुंच पाई। उनके खिलाफ कई बयान दिए गए, लेकिन वह लोकप्रिय होते गए। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने कई राज्यों में जीत दर्ज की। 2019 में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भाजपा 300 के आकड़े को पार कर गई। पवार ने पीएम के शिक्षा पर भी बात रखी। उन्होंने कहा कि राजनीति में शिक्षा सवाल नहीं है। इसका ज्यादा महत्व नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शरद पवार पर हैं कई आरोप
यदि भ्रष्टाचार के मामलों की बात करें तो इसकी लपेट में महाराष्ट्र के कद्दावर नेता राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी के प्रमुख शरद पवार पर भी पी चिदंबरम की तरह ही बहुत अधिक भ्रष्टाचार के आरोप हैं। अब उनका खुलासा होना शुरू हो चुका है। ऐसे में उनका विपक्ष की लाइन से हटकर बोलने को भी इसी रूप में देखा जा रहा है कि कहीं उन्हें भी चुनाव से पहले ईडी और सीबीआई की गाज गिरने का डर तो नहीं सता रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये हैं आरोप
-मुंबई हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को शरद पवार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने को कहा है उन्होंने महाराष्ट्र के सहकारी बैंक में 1000 करोड रुपए का घोटाला किया था।
-शरद पवार पर अन्य घोटालों के मामलों में लवासा प्रॉपर्टीज का घोटाला शामिल है, जिसमें उन्होंने सस्ती दरों पर जमीन एक प्राइवेट कंपनी को दी और वहां से करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाया।
– आरोप है कि कृषि मंत्री रहते हुए उन्होंने गेहूं की खरीद में ₹120000000 का घोटाला किया। साथ ही साथ उन्होंने उसने एक संबंधी की कंपनी से एक खराब तकनीक का गेहूं विकसित करवाया, जिससे सरकार को कई सौ करोड रुपए का नुकसान हुआ।
-इसके अलावा शरद पवार का नाम स्टांप पेपर घोटाले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम तेलगी के साथ भी जुड़ा हुआ है।
-साथ ही साथ 1993 बम धमाकों के मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम कासकर सेविंग इन के पुराने संपर्क रहे हैं।
-यूपीए शासनकाल में इनकी सरकार में पकड़ मजबूत होने के कारण यह आज तक बजे रहे पर अब इन पर कार्रवाई शुरू हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अजीत पवार पर आरोप
राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता, पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार का नाम भी भ्रष्टाचार के कई मामलों में लिया जाता है। हालांकि, एक दिन के लिए बीजेपी में जाने पर ही उन्हें 17 मामलों में क्‍लीन चिट मिल चुकी थी। 2019 में एक राजनीतिक उठापटक में अजित बीजेपी के साथ चले गए। पवार देवेंद्र फडणवीस के साथ जाकर गठबंधन कर लिया और खुद डिप्टी सीएम बन गए। इसके बाद घोटाले से जुड़ी सारी फाइलें बंद कर दी गई। बाद में अजित पवार बीजेपी छोड़ खुद की पार्टी में लौट आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एनसीपी नेता अजित पवार और उनके परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच चल रही है। ईडी के मुताबिक, कई बेनामी संपत्तियों के लिए गैर-कानूनी तौर पर पैसे लगाए गए, जिन्हें कुर्क भी किया गया था। इस मामले में ईडी का शिकंजा अजित पवार पर और कस सकता है। ऐसे में यदि अजीत पवार के सुर बदले तो इसमें कोई नई बात नहीं है। क्योंकि ईडी और सीबीआई का डर इन्हें भी सता रहा है। फिर भले ही विपक्ष की एकता को क्यों ना झटका दिया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गुलाम नबी आजाद का लगातार कांग्रेस पर हमला
टाइमिंग के हिसाब से कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी खड़ी करने वाले नेता गुलाम नबी आजाद भी लगातार कांग्रेस पर हमलावर हैं। इससे लगता है कि विपक्ष की एकता से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। पूर्व कांग्रेसी और अब डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा पुस्तक बुधवार को लॉन्च हुई तो इस मौके पर भी आजाद कांग्रेस पर खासतौर पर राहुल गांधी पर खूब बरसे। उन्होंने इस दौरान बड़ी बात कही और खुद के कांग्रेस छोड़ने की वजह राहुल गांधी को बताया। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, सिर्फ मैं ही क्यों, मेरे जैसे कई बहुत से लोगों के द्वारा कांग्रेस छोड़े जाने की वजह राहुल गांधी थे। उन्होंने कहा कि ‘उस पार्टी में बने रहने के लिए रीढ़हीन होना जरूरी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस में अपनी वापसी पर उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी या यहां तक ​​कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के हाथ में नहीं है कि वे चाहते हुए भी पार्टी में उनकी वापसी करा सकें। ऐसा करने में बहुत देर हो चुकी है। भले ही राहुल गांधी ने उनकी वापसी की मांग की हो। उन्होंने कहा कि आज राजनीति में कोई भी “अछूत” नहीं है। वह सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के साथ जा सकते हैं, क्योंकि उन्होंने बीजेपी के साथ जाने से इनकार नहीं किया। आजाद ने कहा कि अगर राहुल गांधी ने 2013 में यूपीए सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को नहीं फाड़ा होता तो उन्हें आज अयोग्य नहीं ठहराया जाता। साथ ही वह गाहे बगाहे पीएम मोदी की तारीफ भी कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का व्यवहार महान राजनेता जैसा है। उन्होंने कभी बदले की भावना से काम नहीं किया। उन्होंने एक राजनेता जैसा बी वर्ताव हमेशा किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विपक्ष का आरोप-भ्रष्टाचार की वाशिंग मशीन है बीजेपी
बीजेपी आती है, तो भ्रष्टाचार भागता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी के बाद भ्रष्टाचार फिर से राजनीतिक के केंद्र में आ गया है। आजादी के बाद से ही भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा रहा है और सभी पार्टियां इसे खत्म करने का दावा करती रही है। बीजेपी भी इससे अछूता नहीं है। पिछले दिनों सीबीआई और ईडी की कार्रवाई के खिलाफ 14 दलों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो खुद प्रधानमंत्री मोदी इसके बचाव में उतर आए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त नेता एक साथ एक मंच पर आ रहे हैं। कुछ दलों ने भ्रष्टाचारी बचाओ आंदोलन छेड़ा हुआ है, लेकिन एक्शन नहीं रुकेगा। वहीं, विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी वाशिंग मशीन की तरह काम करती है। आरोपी यदि बीजेपी को ज्वाइन करते हैं तो उन पर भ्रष्टाचार के सारे आरोप हट जाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भ्रष्टाचार का वाशिंग मशीन है बीजेपी, देखें आरोप
-विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि पिछले 9 साल में ईडी और सीबीआई ने बीजेपी के एक भी बड़े नेताओं के यहां कोई कार्रवाई नहीं की है। कई नेताओं पर पहले केस दर्ज हैं, जो फाइलों में खोया हुआ है।
-विपक्ष का आरोप है कि कई नेताओं पर पहले सीबीआई और ईडी का एक्शन हुआ, लेकिन जैसे ही नेता बीजेपी में शामिल हुए उन पर कार्रवाई रोक दी गई। बीजेपी में आने वाले नेताओं का भ्रष्टाचार जांच एजेंसी को नहीं दिखता है।
-विपक्ष का आरोप है कि जिन राज्यों में बीजेपी कमजोर है, वहां पर ईडी-सीबीआई और आईटी को एक्टिव किया जाता है. फिर कई नेताओं को डराया जाता है। डर से जो बीजेपी में जाने को तैयार हो जाते हैं, उन पर कार्रवाई नहीं होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीजेपी में जाते ही नेताओं पर नहीं हुआ एक्शन
विपक्ष का कहना है कि जब तक कोई विपक्ष में रहता है, तब तक बीजेपी उस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर तमाम नेता हर दिन विपक्ष के नेताओं को निशाने में लेते हैं। वहीं, यदि कोई आरोपी बीजेपी में जाता है तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। यहां ऐसे नेताओं की लिस्ट दी जा रही है, जो बीजेपी की वाशिंग मशीन में जाने के बाद क्लीन हो गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हिमंत बिस्वा सरमा, असम
कांग्रेस की तरुण गोगोई सरकार में मंत्री रहे हिमंत बिस्वा शर्मा पर शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने आरोपी बनाया था। सरमा पर आरोप था कि शारदा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन से 20 लाख रुपए हर महीने लिए, जिससे ग्रुप का कामकाज बेहतर तरीके से चल सके। सरमा से अंतिम बार सीबीआई ने 27 नवंबर 2014 को पूछताछ की थी। हिमंत ने अगस्त 2015 में बीजेपी ज्वॉइन कर ली थी। कांग्रेस का आरोप है कि इसके बाद सीबीआई ने हिमंत की फाइल बंद कर दी। हिमंत अभी असम के मुख्यमंत्री हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शुभेंदु अधिकारी, पश्चिम बंगाल
ममता सरकार में कद्दावर मंत्री रहे शुभेंदु अधिकारी से सीबीआई ने शारदा घोटाले में पूछताछ शुरू की थी। उन पर आरोप था कि शारदा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन से फेवर लिया था। शुभेंदु पर बाद में नारदा स्टिंग ऑपरेशन में भी पैसा लेने का आरोप लगा, जिसकी जांच ईडी ने शुरू की। तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि शुभेंदु जब टीएमसी में थे, तब जांच एजेंसी उन्हें परेशान कर रही थी, लेकिन जैसे ही बीजेपी में गए तो सारे मामले में उन्हें क्लिन चिट मिलने लगी। 2022 में बंगाल पुलिस ने शुभेंदु के खिलाफ शारदा घोटाले में जांच शुरू की। शुभेंदु वर्तमान में बंगाल विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता यानी नेता प्रतिपक्ष हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जितेंद्र तिवारी, पश्चिम बंगाल
आसनसोल के कद्दावर नेता जितेंद्र तिवारी ने 2021 में तृणमूल छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। उस वक्त मोदी सरकार में मंत्री रहे बाबुल सुप्रीयो ने इसका खुलकर विरोध किया था। सुप्रीयो ने कहा था कि कोयला चोर और तस्करों को पार्टी में लाने का नुकसान होगा। सुप्रीयो ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर कहा था कि कोल तस्करी केस में सीबीआई की कार्रवाई के बाद कुछ नेता बीजेपी में आने की जुगत लगा रहे हैं। मैं ऐसा होने नहीं दूंगा। हालांकि, हाईकमान ने तिवारी की एंट्री को हरी झंडी दे दी। तृणमूल का आरोप है कि तिवारी कोयला तस्करी में शामिल रहे हैं और उन पर सीबीआई का एक्शन नहीं हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नारायण राणे, महाराष्ट्र
शिवसेना उद्धव गुट का आरोप है कि नारायण राणे को भी बीजेपी ने वाशिंग मशीन में डालकर पाक-साफ कर दिया है। राणे अभी मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने उन पर आदर्श सोसायटी मामले में हेरफेर का आरोप लगाया था। साल 2012 में सोमैया ने सीबीआई को 1300 पन्नों का एक दस्तावेज भी सौंपा था। साल 2017 में किरीट सोमैया ने ईडी को पत्र लिखकर नारायण राणे की संपत्ति जांच करने की मांग की थी। सोमैया ने कहा था कि राणे मनी लॉन्ड्रिंग कर अपना पैसा सफेद कर रहे हैं। साल 2019 में नारायण राणे बीजेपी में शामिल हो गए और उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया। शिवसेना उद्धव गुट का आरोप है कि राणे को लेकर सीबीआई और ईडी ने जांच रोक दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीएस येदियुरप्पा, कर्नाटक
कर्नाटक में बीजेपी का चेहरा बीएस येदियुरप्पा पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। येदियुरप्पा को इसकी वजह से मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। येदियुरप्पा पर 2011 में 40 करोड़ रुपए लेकर अवैध खनन को शह देने का आरोप लगा था और लोकायुक्त ने उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था। 2013 के चुनाव में येदियुरप्पा अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़े, जिससे बीजेपी को नुकसान का सामना करना पड़ा। इसके बाद येदि की घर वापसी हुई. 2016 में सीबीआई की विशेष अदालत ने येदियुरप्पा को क्लीन चिट दे दिया था। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी में आने के बाद येदियुरप्पा के खिलाफ एजेंसी ने जांच ठीक ढंग से नहीं किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रवीण डारेकर, महाराष्ट्र
2009 से 2014 तक मनसे के विधायक रहे प्रवीण डारेकर पर 2015 में मुंबई कॉपरेटिव बैंक में 200 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया गया था। बीजेपी ने इस मामले को जोरशोर से उठाया, जिसके बाद आर्थिक अपराध शाखा को केस की जांच सौंपी गई। 2016 में डारेकर बीजेपी में शामिल हो गए और विधान परिषद पहुंच गए. साल 2022 में आर्थिक अपराध शाखा ने उन्हें क्लीन चिट दे दिया। डारेकर अभी मुंबई कॉपरेटिव बैंक सोसाइटी के अध्यक्ष हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हार्दिक पटेल, गुजरात
पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल पर बीजेपी सरकार के दौरान राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था। हार्दिक को इसकी वजह से तड़ीपार भी रहना पड़ा था। हार्दिक पर 20 केस दर्ज किए गए थे। पटेल गुजरात चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस का आरोप है कि राजद्रोह केस में बचने के लिए हार्दिक ने यह कदम उठाया। हार्दिक अभी बीजेपी के वीरमगाम से विधायक हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये भी हैं अन्य नाम
विपक्ष का कहना है कि इन नामों के अलावा सोवन चटर्जी, यामिनी जाधव और भावना गवली जैसे नेताओं पर भी जांच एजेंसी ने कोई एक्शन नहीं लिया, क्योंकि सभी बीजेपी या उनके सहयोगी पार्टी में चले गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीजेपी में गए और आरोपों से पीछा छुड़ाकर वापस लोटे
अब उन 2 नेताओं की कहानी को हम बताने जा रहे हैं। इन पर विपक्ष में रहने के दौरान बीजेपी भ्रष्टाचार का आरोप लगाती थी। दोनों नेता पहले बीजेपी के साथ गए और उन आरोपों से पीछा छुड़वाया। फिर बीजेपी से बाहर निकल आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अजित पवार, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के कद्दावर नेता अजित पवार पर 70 हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले का आरोप 2014 से पहले बीजेपी लगाती थी। इस मामले की जांच ईओडब्लयू को सौंपी गई थी। अजित पवार को लेकर बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे पवार को जेल में चक्की पीसने की बात कह रहे थे। 2019 में एक राजनीतिक उठापटक में अजित बीजेपी के साथ चले गए। पवार देवेंद्र फडणवीस के साथ जाकर गठबंधन कर लिया और खुद डिप्टी सीएम बन गए। इसके बाद घोटाले से जुड़ी सारी फाइलें बंद कर दी गई। बाद में अजित पवार बीजेपी छोड़ खुद की पार्टी में लौट आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुकुल रॉय, पश्चिम बंगाल
पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल रॉय पर 2015 में शारदा घोटाले में पैसा लेकर चिटफंड कंपनी फेवर देने का आरोप लगा था। रॉय ने 2017 में बीजेपी ज्वाइन कर ली। इसके बाद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। साल 2019 में रॉय ने दावा किया कि सीबीआई ने इस मामले में उन्हें क्लिन चिट दे दिया है और गवाह के तौर पर सिर्फ पूछताछ की है।

 

 

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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