आंख के कैंसर का 30 मिनट में इलाज, बगैर चीरा और तामझाम के शुरू हुई गामा नाइफ रेडियोथैरेपी

कैंसर का नाम सुनते ही हर कोई भीतर से सिहर उठता है। आंख में भी कैंसर होता है और अब इसके इलाज के लिए अच्छी जानकारी सामने आई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में आंखों के कैंसर के लिए ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें चीरा आदि किसी तामझाम की जरूरत नहीं होती। यही नहीं, सिर्फ आधे घंटे के अंदर बिना चीरा लगाए कैंसर की सर्जरी हो जाती है। एम्स देश का पहला संस्थान है जहां गामा नाइफ के जरिये बिना चीरा लगाए आंखों के कैंसर का इलाज किया जा रहा है। इस तकनीक से अब तक 15 मरीजों का सफल इलाज किया गया है। इसमें सबसे कम उम्र वाला 14 साल का किशोर भी है। खास बात यह है कि इस तकनीक में आंखों की रोशनी जाने का खतरा बहुत मामूली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आंखों के कैंसर के बारे में
आई कैंसर कई तरह के होते हैं। इनमें बड़ा होता है मेलानोमा कैंसर। यह कैंसर आंखों में पाए जाने वाले सेल्स को प्रभावित करता है। आईबॉल में पाए जाने वाले कैंसर को इंट्राऑकुलर कैंसर कहते है। इसके कई लक्षण हैं। इनमें से शुरुआती लक्षण – आंखों में धुंधलापन, एक आंख से दिखाई ना देना, आंखों में दर्द, बैचेनी महसूस करना आदि हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉक्टरों ने किया ये दावा
जानकारों की मानें तो आंखों में कोरोइडल मेलेनोमा नमक कैंसर होता है। इसकी शिकायत अधिकतर एडल्ट्स में देखी जाती है, लेकिन कुछ केस ऐसे हैं जिनमें 40 साल के भी मरीज को देखा गया है। बता दें गामा नाइफ के जरिये अब आंखों के कैंसर का इलाज आसानी से हो सकता है। यह एक स्पेशल रेडियोथैरेपी है। इसमें सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। यह दावा किया जा रहा है कि देश में केवल एम्स में ही गामा नाइफ के जरिये यह इलाज होगा। इस इलाज के लिए 75 हजार रुपए फीस बताई जा रही है। इस फीस के बाद पूरी लाइफ लॉन्ग फॉलोअप फ्री में होगा। यहीं नहीं आयुष्मान भारत और बीपीएल के मरीजों का यहां मुफ्त में इलाज हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गामा नाईफ तकनीकी के बारे में
गामा नाईफ एक मशीन है, जो एमआरआई मशीन के जैसी होती है। इस मशीन की मदद से अब बिना आखों में चीरा करें, सिर्फ एक टांका लगा कर आंख के कैंसर का इलाज किया जा सकता है। कई बार आंख के कैंसर के उपचार के दौरान मरीज की आखों की रोशिनी चली जाती थी, लेकिन अब इस थेरेपी के जरिये आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है, वो भी बिना चीड़ फाड़ के। यह तकनीक पेशेंट की आंखों से 200 किरणों में से ट्यूमर को ढूंढ़कर मारती है। इस तकनीक से मरीजों को काफी आराम मिलेगा। बता दें इस थेरेपी में केवल आधे घंटे में ही इलाज पूरा हो जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आंखों की रोशनी नहीं जाती
दरअसल, गामा नाइफ तकनीक बहुत बेजोड़ है। इस तकनीकी से आंखों के कैंसर का जड़ से सफाया किया जाता है। वो भी आंखों की रोशनी को बिना नुकसान पहुंचाए। इस तकनीक का काफी फायदा आम लोगों तक पहुंच रहा है। आसान शब्दों में कहे तो कोई बार आंख के कैंसर में इलाज के दौरान मरीज की आंखें तक निकलानी पड़ती थी, लेकिन डॉक्टर्स की मानें तो गामा नाईफ तकनीक से कैंसर का भी इलाज किया जा रहा और आंखों की भी सुरक्षा की जा रही है। इस थेरेपी की सबसे अच्छी बात ये है कि इससे आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सामान्य सर्जरी में जटिलताएं
एम्स, नई दिल्ली में न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर दीपक अग्रवाल ने बताया कि यदि मरीज बीमारी को शुरुआती दौर में नहीं समझ पाता और किसी वजह से आंखों में ट्यूमर बहुत बड़ा हो गया तो इसमें कई तरह के खतरे रहते हैं। अधिकांश मामलों में इलाज के बावजूद आंखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है। इसलिए इसकी जल्दी सर्जरी करनी पड़ती है। दुखद यह है कि कैंसर को हटाने के लिए आंख को भी सर्जरी कर बाहर निकालना पड़ता है। उसकी जगह पर दूसरी आंख ट्रांसप्लांट नहीं की जा सकती है। यानी वह व्यक्ति इलाज के बावजूद जिंदगी भर दृष्टिहीन बना रहेगा। अब एम्स में ऐसी बीमारी वाला व्यक्ति इलाज कराने आ जाए तो इसकी आशंका बहुत कम हो जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आयुष्मान कार्ड वालों को जिंदगी भर मुफ्त में इलाज
एम्स में इसके लिए 75 हजार रुपये की फीस है, लेकिन इसके बाद पूरी लाइफ लॉन्ग फॉलोअप फ्री में की जाती है। अगर एमआरआई भी करनी पड़े तो वह भी फ्री में उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं आयुष्मान भारत और बीपीएल के मरीजों का फ्री में इलाज हो रहा है। गामा नाईफ की मदद से एम्स अस्पताल में आंखो के कैंसर के मरीजों को बेहतर इलाज मिल रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत में अमूमन 40 बर्ष की उम्र वाले लोगों में इस तरह के कैंसर देखे जाते हैं। लेकिन पश्चिमी देशों में ये 60 की उम्र में दिखता है। अगर ये आंखों का ट्यूमर नर्वस में हो तो आंखों की रोशनी को बचाना संभव नहीं है। इसलिए भारत में गामा नाइफ तकनीक की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। थेरेपी के अच्छे रिजल्ट आ रहे हैं और अब देश के दूसरे अस्पतालों में भी ये ऑफर किए जा रहे हैं, लेकिन एम्स में जो लेटेस्ट विधि से इलाज शुरू किया गया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।