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November 11, 2024

एम्स ऋषिकेश में एंडो वस्कुलर एओटिक रिकंस्ट्रक्शन तकनीक से उपचार की सुविधा शुरू

एम्स ऋषिकेश में एंडो वस्कुलर एओटिक रिकंस्ट्रक्शन तकनीक से उपचार की सुविधा शुरू हो गई है। इस विधि से संस्थान के इंटरवेंशन रेडियोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने एक 82 वर्षीय बुजुर्ग का सफलतापूर्वक उपचार किया है। अब तक इन इलाज के लिए मरीजों को दिल्ली के अस्पतालों में जाना पड़ता था, मगर इस सुविधा के एम्स ऋषिकेश में शुरू होने से अब उत्तराखंड व आसपास के राज्यों के लोगों को इलाज के लिए दिल्ली नहीं जाना होगा। संस्थान में इस तकनीक से पहले मरीज के सफलतापूर्वक उपचार करने पर एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डा.) मीनू सिंह ने चिकित्सकीय टीम की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि संस्थान मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने को प्रतिबद्ध है। लिहाजा संस्थान में मरीजों के उपचार के लिए हरेक तरह के इलाज को उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष ब्रिगेडियर प्रोफेसर सुधीर सक्सेना ने उम्मीद जताई है कि भविष्य में भी विभागीय चिकित्सक इसी तरह से मरीजों को जटिलतम उपचार सुलभ कराने की दिशा में सततरूप से उपलब्धिपूर्ण कार्य करेंगे। जिस बुजुर्ग का इस तकनीकी से इलाज किया गया, वह लंबे अरसे से सबसे बड़ी हार्ट से शरीर के विभिन्न हिस्सों को रक्त संचार करने वाली नस से जुड़ी दिक्कत से परेशान थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

संस्थान में उपचार के लिए आए मरीज के जरुरी परीक्षण के बाद ईवीएआर विधि से उपचार का निर्णय लिया गया। इस तकनीक के प्रोसिजर जिसमें एक छोटे से चीरे के माध्यम से पैर की सबसे छोटी नस से शरीर में प्रवेश कर हृदय से शरीर को रक्त सप्लाई करने वाली सबसे बड़ी नस अयोटा नस में तीन ग्राफ्ट लगाए गए। इस उपचार विधि से बुजुर्ग मरीज का उपचार करने वाले संस्थान के इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट डा. उदित चौहान ने बताया कि मरीज के शरीर में रक्त सप्लाई करने वाली अयोटा नस उम्र के हिसाब से काफी कमजोर हो गई थी, जो कि कभी भी फट सकती थी। इसे इस प्रोसिजर के अंतर्गत ग्राफ्ट लगाकर मजबूती दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने बताया कि यह व्यक्ति इस उम्र में कई तरह की अन्य बीमारियों से भी ग्रसित थे। लिहाजा एंडो वस्कुलर एओटिक रिकंस्ट्रक्शन विधि से उपचार प्रक्रिया जटिल थी,जिसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। उन्होंने बताया कि संस्थान में अब नियमिततौर पर मरीजों को इस तकनीक का लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि इवीएआर प्रोसिजर में इन्वरवेंशन रेडियोलॉजी विभाग के चिकित्सकों की टीम के साथ ही सीटीवीएस विभाग के डा. अनीष गुप्ता व उनकी टीम तथा एनेस्थीसिया विभाग से डा. गौरव जैन व उनकी टीम के सदस्य शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एम्स में कम खर्च में उपलब्ध है महंगा इलाज
अब तक इस विधि से उपचार दिल्ली आदि महानगरों के अस्पतालों में ही उपलब्ध था। इसके लिए उत्तराखंड व समीपवर्ती क्षेत्रों के मरीजों को इस तकनीक के इलाज के लिए वहां जाना पड़ता था। डा. उदित ने बताया कि बड़े निजि अस्पतालों में इस तकनीक से इलाज पर 12 से 14 लाख रुपए तक खर्च आता है, जबकि एम्स में यह प्रोसिजर 5 से 6 लाख तक के खर्च में उपलब्ध कराया गया है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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