हिमालयन हॉस्पिटल में वैरिकोज वेन्स के उपचार की सुविधा शुरू, 50 वर्षीय महिला की सफल सर्जरी
कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जन डॉ. मुनीश अग्रवाल ने बताया कि कुसुमा देवी (50 वर्ष) उनकी ओपीडी में आयी। उन्होने बताया कि वह पिछले पांच वर्षों से पैरों में दर्द और सूजन से परेशान है। जिसके लिए चिकित्सकों ने उनकी कुछ आवश्यक जांचे करायी। जांच में पता चला कि महिला वैरीकोज वेन्स बीमारी से पीड़ित है। जिसे सर्जरी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मरीज की स्वीकृति के बाद सीटीवीएस सर्जन डॉ मुनीश अग्रवाल के नेतृत्व में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विनायक झेडे़, चीफ एनेस्थेटिस्ट डॉ. वीना अस्थाना ने स्पाइनल एनेस्थीसिया देकर रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन प्रक्रिया से खराब नसों को निकाल दिया। मरीज को अस्पताल में तीन दिन तक चिकित्सकों की निगरानी में रखने के पश्चात उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। सीटीवीएस सर्जन डॉ. मुनीश अग्रवाल ने बताया कि वैरिकोज वेन्स से पीड़ित रोगियों के लिए हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में उपचार की सुविधा शुरू हो गयी है। वैरिकोज वेन्स सर्जरी का ईलाज अस्पताल में ईसीएचएस, सीजीएचएस, आयुष्मान योजना के अंतर्गत किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या है वैरिकोज वेंस
सीटीवीएस सर्जन डॉ. मुनीश अग्रवाल ने बताया कि वैरिकोज वेन्स को वेरिकोसाइटिस भी कहा जाता है। ये समस्या तब उत्पन्न होती है जब नसें बड़ी, चौड़ी या रक्त से ज्यादा भर जाती हैं। वैरिकोज वेन्स अक्सर सूजी औैर उभरी हुई नसों के रूप में सामने आती हैं। ये नीले या लाल रंग की दिखती हैं जिनमें अक्सर दर्द महसूस होता है। लगभग 25 फीसदी वयस्क वैरिकोज वेन्स की समस्या से ग्रस्त हैं और अधिकतर मामलों में वैरिकोज वेन्स टांगों को प्रभावित करती है। जब नसें ठीक तरह से काम नहीं कर पाती हैं तब वैरिकोज वेन्स की समस्या उत्पन्न होती है। नसों की एक तरफ की वाॉल्व रक्त प्रवाह को रोक देती है। जब ये वॉल्व काम करना बंद कर देती है तो रक्त ह्रदय तक पहुंचने की बजाय नसों में ही एकत्रित होने लगता है। नसों का आकार बढ़ जाता है।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।