आज का पत्रः कांग्रेस का सीएम से सवाल, छावला में उत्तराखंड की बेटी से दुष्कर्म और हत्या के दोषियों की सजा को क्या किए प्रयास
उत्तराखंड कांग्रेस ने शनिवार आठ अप्रैल से आज का पत्र (टुडेज लेटर) नाम से एक अभियान शुरू किया है। ये अभियान 30 अप्रैल तक हर दिन चलाया जाना है। इस अभियान में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय, ब्लॉक कांग्रेस कार्यालय और जिला कांग्रेस कार्यालय से लेकर प्रदेश इकाई कांग्रेस के नेता हर दिन एक विषय लेकर पत्र लिख रहे हैं। इसके तहत देशहित के मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को और राज्य के मुद्दों को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखे जा रहे हैं। अभियान के पांचवें दिन आज उत्तराखंड कांग्रेस ने छावला में उत्तराखंड की बेटी के साथ गैंगरेप के पास हत्या करने और आरोपियों के रिहा होने का मुद्दा उठाया है। इस संबंध में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर उनसे कई सवाल पूछे गए हैं। कांग्रेस के पत्र में युवती का नाम दिया गया है, हम लोकसाक्ष्य में नाम नहीं देंगे। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइन है कि दुष्कर्म के मामले में पीड़िता की पहचान नहीं बताई जाए। यदि उसके माता पिता सहमत हों तो भी पहचान नहीं बताई जा सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज 12 अप्रेल 2023 की चिट्ठी
आदरणीय मुख्यमंत्री जी,
उत्तराखंड की बेटी की दिल्ली के छावला में वर्ष 2012 में बलात्कार के बाद निर्मम हत्या कर दी गई थी। उसके अपराधियों को जिला अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, उसके पश्चात गुनहगारों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की, लेकिन उच्च न्यायालय ने भी उनकी फांसी की सजा बरक़रार रखी। उसके बाद सभी अपराधी सर्वोच्च न्यायालय गए। सर्वोच्च न्यायालय ने सबूतों के अभाव में सभी अपराधियों छोड़ दिया। उत्तराखंड की बेटी के माता–पिता दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। सवाल यह है कि अगर इन चारों ने उत्तराखंड की बेटी की हत्या नहीं की तो फिर किसने की? उत्तराखंड सरकार ने पीड़िता के परिजनों को न्याय दिलवाने के लिए क्या प्रयास किया? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या है छावला गैंगरेप मर्डर केस
फरवरी, 2012 को दिल्ली में द्वारका के छावला में एक 19 वर्षीय युवती के साथ रेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। ये युवती मूल रूप से उत्तराखंड की निवासी थी। इस जघन्य बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में तीन आरोपियों को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। इसे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर 2022 को दिए गए अपने फैसले में तीनों आरोपियों को बरी कर दिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पहले दिन आठ अप्रैल की चिट्ठी
माननीय प्रधानमंत्री जी, देश की वर्तमान स्थिति का आंकलन करने के पश्चात, मुझे महसूस हो रहा है कि देश में लोकतंत्र, संविधान और संवैधानिक संस्थांयें तथा परम्परायें , कमजोर हो रही हैं। मैं, देश की एकता, अखंडता, लोकतंत्र और संविधान को अक्षुण रखने के लिए प्रतिबद्ध हूँ। मैं भारतीय संस्कृति की उच्च परम्पराओं के अनुसार, लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष करता रहूँगा। देश में सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव बनाये रखना हर भारतीय का कर्तव्य है. देश में लोकतंत्र, संविधान और संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान की रक्षा, तथा बढ़ती आर्थिक विषमताओं के खिलाफ, कल्याणकारी राज्य हेतु, मेरा सत्याग्रह है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दूसरे दिन नौ अप्रैल की चिट्ठी
दूसरे दिन की चिट्ठी में भारतीय सेनाओं के साथ ही अर्द्धसैनिक बलों में रिक्त पड़े पदों की ओर प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित किया गया। इसमें कहा गया है कि-आदरणीय प्रधानमंत्री जी, इस समय थल सेना में, 1 लाख 55 हजार पद, नौसेना में 12,428 और वायु सेना में 7,031 पद खाली हैं। सेनाओं में JCO के 1,27,673 पद, नर्सिंग अफसर के 509 पद, तथा सिविलियन सेवा के 38,678 पद खाली हैं, अर्थात भारतीय सेना में कुल 2,82,673 पद खाली हैं। इसके अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों में 83,000 पद खाली हैं। क्या आप सैन्य बहुल प्रदेश उत्तराखंड के नौजवानों को सेना में सेवा का अवसर देंगे? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तीसरे दिन 10 अप्रैल की चिट्ठी
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, क्या अडानी समूह का चीन के चांग लुंग की कंपनी PMC से रिश्ता है? क्या अडानी के भाई और चांग, 2007 में सिंगापूर में एक ही घर पर रहते थे ? क्या चांग की कम्पनी अडानी के पते पर रजिस्टर्ड है ? क्या ये दोनों कम्पनीयां सामरिक महत्त्व की परियोजनाओं पर भी काम कर रही हैं ? क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा नहीं करता है? इसीलिये आवश्यक है कि अडानी की कंपनी को 20000 करोड़ रूपये कहाँ से मिले, यह देश को बताया जाये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चौथे दिन 11 अप्रैल की चिट्ठी
आदरणीय मुख्यमंत्री जी, अंकिता भंडारी की हत्या हुए, लगभग 8 महीने हो गए हैं। लेकिन अभी तक कुछ प्रश्न अनुत्तरित हैं। क्या कोई VIP उस रात रेजॉर्ट में आने वाला था? रिजोर्ट को बुलडोजर से क्यों तोडा गया ? रिजोर्ट में आग किसने और क्यों लगाई? रिजोर्ट पुलिस की अभिरक्षा में होने के वावजूद, वहां आवागमन कैसे हो रहा है ? सरकार इस मामले की जांच सीबीआई से क्यों नहीं करवा रही है ?

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।