नवरात्र का सातवां दिन आज, कीजिए मां कालरात्रि का पूजन, गुड़ का लगाएं भोग
मां कालरात्रि का पूजन नवरात्रि के सप्तम दिन किया जाता है। इनक स्वरुप देखने में भयानक है। यह स्वरुप अत्यंत शुभ फल देने वाला कल्याणकारी है। मां के इस स्वरुप से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। डॉ. आचार्य सुशांत राज ने बताया कि इनकी पूजा वाले दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र में स्थापित होता है। साधक समस्त तरह के भय से मुक्त हो जाता है और उसके लिए समस्त सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं।
मां कालरात्रि आदिशक्ति का सांतवा स्वरुप हैं। इनका स्वरुप देखने में रौद्र है, क्योंकि यह राक्षसों और दुष्टों का संहार करती है। इनका यह स्वरूप दुष्टों में भय उत्पन्न करने वाला है, लेकिन भक्तों के लिए इनका यह स्वरुप हमेशा शुभफलदायी है। इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाना चाहिए।
कालरात्रि
एक वेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरणी।।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयड्करी।।
मां कालरात्रि को शुभंगकारी भी कहा जाता है। दुर्गा पूजा के सप्तम दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। इस दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र में स्थित रहता है। उसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं। इस चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः मां कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश और ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली हैं। जिससे साधक भयमुक्त हो जाता है।

आचार्य का परिचय
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शिव मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।