सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए सिर्फ मंथन नहीं ठोस निर्णय आवश्यकः डॉ सुनील अग्रवाल
एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने शिक्षा पर चल रहे चिंतन शिविर में कल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री द्वारा सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या पर चिंता जाहिर करने और उस पर मंथन की आवश्यकता बताएं जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए सबसे पहले सरकारी स्कूलों में आधारभूत ढांचे को ठीक करना होगा। उनमें छात्रों हेतु सुविधाएं जुटाने होगी। साथ ही आमजन में सरकारी स्कूलों के प्रति विश्वास बढ़ाने हेतु यह आवश्यक है। इसके लिए एक आदेश पारित किया जाए कि सभी सरकारी अधिकारियों और सांसदों विधायकों के बच्चों को अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूलों में दाखिला लेना होगा। उससे आमजन का विश्वास सरकारी स्कूलों की तरफ बढ़ेगा और सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ने से प्राइवेट स्कूलों मे भी व्यवस्थाएं सुधरेगी। साथ ही छात्रों और अभिभावकों के प्रति सहयोगात्मक भावना पैदा होगी। इससे प्राइवेट स्कूलों की मनमानी की बात भी नहीं उठेगी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में तो सरकार स्वयं मानती है कि सरकारी स्कूल बीपीएल के बच्चों को पढ़ाने लायक भी नहीं है। इसीलिए बीपीएल श्रेणी के बच्चों के लिए आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसद सीटें आरक्षित रखी जाती है। बच्चों की फीस सरकार द्वारा वहन की जाती है, जो फीस प्राइवेट स्कूलों को आरटीई के एडमिशन के एवज में दी जाती है। उस धनराशि का उपयोग सरकारी स्कूलों की व्यवस्था सुधारने में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में लोगों का विश्वास बहाल करना आवश्यक है और उसके लिए पहल स्वयं सरकार को ही करनी है।