धर्मपुर विधानसभाः कांग्रेस में टिकट लगभग तय, बीजेपी में युवा चेहरे की वकालत, क्या चमोली पर सिद्धार्थ पड़ सकते हैं भारी

भाजपा में दावेदार
भाजपा में धर्मपुर विधानसभा सीट के लिए दावेदारों में वर्तमान विधायक विनोद चमोली सीटिंग विधायक की हैसियत से अपना दावा पुख्ता कर रहे हैं। वहीं, युवा मोर्चा में सक्रिय रहे सिद्धार्थ अग्रवाल भी इस सीट से दावा कर रहे हैं। वह दिवंगत भाजपा नेता उमेश अग्रवाल के बेटे हैं। उमेश अग्रवाल भी भाजपा संगठन में सक्रिय रहे थे और पूर्व सीएम मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी के सिपाहसलार भी रहे। बीर सिंह पंवार भी इस सीट से टिकट के दावेदार हैं। वह टिहरी में रहे और विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे। 97 में राजकीय महाविद्यालय चंबा में वह छात्रसंघ के महासचिव भी रहे। युवा मोर्चा से वह लंबे समय तक जुड़े रहे। हालांकि इस समय वह भाजपा संगठन में किसी पद पर नहीं हैं। युवावस्था से ही भाजपा में सक्रिय रहे रतन सिंह चौहान, कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे भूपेंद्र कंडारी, रेशम बोर्ड के उपाध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह भी इस सीट के दावेदार हैं। वहीं, भाजपा महानगर मीडिया प्रभारी राजीव उनियाल के नाम भी की भी चर्चा है। वह वरिष्ठ पत्रकार हैं और शुरू से ही भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता हैं।
अभी तक नहीं हारे विनोद चमोली
विनोद चमोली नगर पालिका में सभासद रहे। फिर अध्यक्ष बने। इसके बाद वह मेयर का चुनाव जीते। फिर धर्मपुर विधानसभा से विधायक का चुनाव जीते। विनोद चमोली आज तक कोई भी चुनाव नहीं हारे और राज्य आंदोलन के दौरान वह सक्रिय रहे। आंदोलन के दौरान दो आंदोलनकारियों पर रासूका लगाई गई थी। इनमें पूर्व विधायक राजेंद्र शाह (दिवंगत) और विनोद चमोली थे।
युवा चेहरे के रूप में उभरे सिद्धार्थ अग्रवाल
यदि भाजपा में टिकट की बात की जाए तो विनोद चमोली के साथ ही सिद्धार्थ अग्रवाल के नाम की चर्चा जरूर होगी। सिद्धार्थ अग्रवाल के पिता स्व. उमेश अग्रवाल भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता रहे। वह भाजपा देहरादून महानगर अध्यक्ष, गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष भी रहे। सिद्धार्थ अग्रवाल ने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और वह युवा मोर्चा, व्यापारिक संगठन में सक्रिय हैं।
सिद्धार्थ के तर्क
टिकट की पैरवी करने वाले सिद्धार्थ अग्रवाल का तर्क है कि हमारे सीएम पुष्कर सिंह धामी युवा हैं। जब हम युवा सरकार का नारा दे रहे हैं तो सरकार में भी युवा चेहरे आगे आने चाहिए। अभी तक युवाओं को लेकर कोई विजन नहीं रहा है। हम चाहते हैं कि युवाओं को आर्थिक रूप से मजबूत किया जाए। उनके लिए योजनाएं बनें। वह पिछले 15 साल से धर्मपुर क्षेत्र में लगातार मेहनत कर रहे हैं। इसका नतीजा ये रहा है कि इस क्षेत्र के लोगों में भाजपा के प्रति विश्वास बढ़ा है। उनका सदैव यही प्रयास रहता है कि जनता के सुख दुख के साथ खड़े रहें। पहले तक ये सीट कांग्रेस के कब्जे में थी, लेकिन युवाओं की मेहनत के बल पर इसे भाजपा के पक्ष में किया गया।
कांग्रेस के दावेदार
कांग्रेस के दावेदारों में देखा जाए तो तीन बार के विधायक रहे दिनेश अग्रवाल की दावेदारी मजबूत नजर आती है। वह बार एसोसिएशन देहरादून में सात बार महामंत्री रहे। एक बार उपाध्यक्ष और एक बार अध्यक्ष रहे। विधानसभा के वह छह बार चुनाव लड़े और इनमें तीन चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई। हालांकि वह नगर निगम मेयर का चुनाव भी लड़े और हार गए थे। इनके अलावा कांग्रेस में दो अन्य दावेदार भी हैं। इनमें पूरन सिंह रावत और सुरेंद्र रांगड़ हैं। पूरन सिंह रावत किशोर उपाध्याय के कार्यकाल में कांग्रेस के प्रदेश सचिव रहे। वहीं, सुरेंद्र रांगड़ टिहरी बांध विस्थापितों की समस्याओं को लेकर लगातार संघर्ष करते आ रहे हैं।
धर्मपुर विधानसभा सीट का गणित
धर्मपुर विधानसभा सीट में सबसे ज्यादा पर्वतीय क्षेत्र के मतदाता हैं। इसके बाद यहां 40 हजार मतदाता मुस्लिम हैं। यही कारण है कि पिछले नगर निगम के चुनाव में दिनेश अग्रवाल को सबसे ज्यादा वोट इस विधानसभा सीट के अंतर्गत ही मिले थे। इस विधानसभा सीट से मेयर का चुनाव लड़ने वाले सुनील उनियाल गामा को कम ही वोट मिले। यही नहीं, वर्ष 2009 में जब हरीश रावत ने हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा तो धर्मपुर विधानसभा सीट से ही उन्हें सबसे ज्यादा मत मिले थे। ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही मेहनत करनी पडे़गी।
सबसे बड़ा सवालः कौन होगा जिताऊ उम्मीदवार
प्रदेश में वैसे तो मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस की बीच में है। साथ ही आम आदमी पार्टी भी तीसरा कोम बना रही है। क्षेत्रीय दल के रूप में उत्तराखंड क्रान्ति दल भी दोनों दलों का गणित बिगाड़ सकता है। इसे देखते हुए भाजपा इस विचार के साथ टिकट बंटवारे को लेकर लेकर गहन मंथन में है। प्रत्येक विधानसभा में किस प्रकार से जिताऊ कैंडिटेड की खोज हो। इसके लिए प्रयत्नशील है फिर चाहे वहां वर्तमान में भाजपा का विधायक ही क्यूं ना हो, पार्टी टिकट काटने पर कतई भी संकोच नहीं करेगी।
धर्मपुर विधानसभा हॉट शीट के रूप में भी जानी जा रही है। वर्तमान सर्वें के हिसाब से इस विधानसभा को सी ग्रेड के रूप में माना गया है। स्थानीय लोगौं में वर्तमान विधायक विनोद चमोली के खिलाफ काफी नाराजगी भी है। पिछले काफी समय से कार्यकर्ताऔं और पदाधिकरियौं में इनके प्रति काफी नाराजगी देखी गई है। इनके कार्यकाल में कई पदाधिकारियौं ने अपना इस्तीफा तक दे दिया है। इसका पार्टी ने संज्ञान लिया है साथ ही उनका एक बार विधानसभा के कुछेक जनता के सामने क्रोधवश यह कहना कि-भाड़ में गया तुम्हारा टिकिट, नहीं लड़ना मुझे चुनाव, भी उन पर भारी पड़ सकता है।
बताया जा रहा है कि वैसे 2012 व 2017 में इस विधानसभा से भाजपा का टिकिट पूर्व महानगर अध्यक्ष स्वर्गीय उमेश अग्रवाल को संभवत: मिल चुका था। अन्त समय में 2012 में प्रकाश सुमन ध्यानी व (जोकि हार गए थे) 2017 में विनोद चमोली जी को यहाँ से टिकिट मिला। अगर धर्मपुर विधानसभा के इतिहास की बात की जाए तो यह विधानसभा 15 साल तक कांग्रेस के दिनेश अग्रवाल के पास थी। उन पन्द्रह साल से विपक्ष के रूप में अगर किसी ने उनके खिलाफ मुखरता से आवाज उठाई थी तो वह थे उमेश अग्रवाल ही थे। दूर्भाग्यवश उनको टिकिट नहीं मिल पाया और वर्ष 2019 को उनका एक लंबी बिमारी के बाद देहान्त हुआ।
हॉल ही में धर्मपुर विधानसभा में सर्वे के हिसाब से विधायक प्रत्याशी के रूप में तन-मन-धन से हर वर्ग का सहयोग सेवा करने वाले सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल का नाम इन दिनों जोर-शोरौं पर चल रहा है। सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल प्रदेश युवा मोर्चा उपाध्यक्ष हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।