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November 12, 2024

यूकेएसएसएससी की परीक्षा धांधली में पूर्व चेयरमैन सहित तीन गिरफ्तार, चार आरोपियों को मिली जमानत

एक तरफ भर्ती परीक्षा घोटालों में गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है, वहीं, दूसरी तरफ कमजोर पैरवी के चलते आरोपियों की जमानत मिलने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। यूकेएसएसएससी की ओर से 2016 में कराई गई वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में धांधली की जांच के बाद एसटीएफ ने शनिवार को यूकेएसएसएससी के पूर्व चेयरमैन आरबीएस रावत, सचिव मनोहर कन्याल और पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ्तार कर लिया है। यह भर्ती परीक्षा प्रकरण में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। 2016 के मामले में लंबे समय से जांच चल रही थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

2016 के मामले में लंबे समय से जाँच चल रही थी। आयोग की ओर से छह मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई थी। परीक्षा सभी 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई थी। परीक्षा में कुल 87196 परीक्षार्थियों द्वारा प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया गया था। 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था। परीक्षा में धांधली के मद्देनजर विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति वर्ष 2017 में गठित की गई थी। वर्ष 2019 में अनियमितताओं की पुष्टि होने पर विजिलेंस की ओर से मुकदमा दर्ज किया गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के निर्देश के बाद इसी साल अगस्त महीने में विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

क्रमवार विवरण
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा दिनांक 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई।
परीक्षा 6 मार्च 2016 को समस्त 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई थी।
परीक्षा में कुल 87196 परीक्षार्थियों द्वारा प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया गया था।
30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था।
परीक्षा में धांधली के मद्देनजर विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति वर्ष 2017 में गठित की।
परीक्षा में अनियमितताओं की पुष्टि होने के कारण परिणाम को निरस्त किया गया।
वर्ष 2019 में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग के निर्देशानुसार उक्त परीक्षा में हुई अनियमितताओं के संबंध में जांच सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून को प्राप्त हुई।
वर्ष 2020 में शासन की अनुमति उपरांत अभियोग पंजीकृत कराया गया।
वर्ष 2020 से वर्ष 2022 तक उक्त प्रकरण की विवेचना सतर्कता अधिष्ठान देहरादून द्वारा की जा रही थी।
वर्ष 2022 माह अगस्त में मुख्यमंत्री के निर्देश अनुसार एसटीएफ को विवेचना स्थानांतरित हुई।
सटीएफ द्वारा विवेचना को आगे बढ़ाते हुए साक्ष्य संकलन की कार्रवाई की गई।
पूर्व में जांच कमेटी द्वारा उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर शीट को एफएसएल भेजा गया, जिसमें ओएमआर शीट में छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी।
यह पाया गया कि उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर स्कैनिंग/ फाइनल रिजल्ट बनाए जाने का कार्य तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था।
मामले में अब तक दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थी चिन्हित किए गए हैं और उनके बयान एसटीएफ द्वारा दर्ज किए गए हैं।
पूर्व में तीन अभियुक्त मुकेश कुमार शर्मा, मुकेश कुमार और राजेश पाल को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है।
आज आठ अक्‍टूबर 2022 को एसटीएफ द्वारा तीन बड़ी गिरफ्तारियां की गईं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन पर भी लटकी गिरफ्तार की तलवार
वहीं यूकेएसएसएससी की ओर से पिछले सात सालों में करवाई गई भर्तियों में गड़बड़ी के मामले में आयोग के सचिव संतोष बड़ौनी, पूर्व परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी व तीन अनुभाग अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। जांच के बाद विजिलेंस ने शासन को पत्र लिखकर पांचों अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की शासन से अनुमति मांगी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चार आरोपियों को मिली जमानत
पेपर लीक मामले में चार आरोपियों को देहरादून कोर्ट से जमानत मिल गई है। मामले में पंतनगर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त अधिकारी दिनेश चंद्र जोशी समेत चार आरोपितों को जमानत मिल गई है। हालांकि, इस केस में जिन 21 आरोपितों पर गैंगस्टर लगाई गई है, उनमें से किसी की भी जमानत नहीं हो पाई है। पेपर लीक मामले में एसआइटी ने कुल 41आरोपितों को गिरफ्तार किया था। शुक्रवार को अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ आशुतोष कुमार मिश्र की अदालत से पंतनगर विश्वविद्यालय के पूर्व अधिकारी दिनेश चंद्र जोशी के अलावा तुषार चौहान, भावेश जगूड़ी और अंकित रमोला को जमानत मिली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सकी एसटीएफ
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने दलील दी कि दिनेश चंद्र जोशी के पास से कोई धनराशि की रिकवरी नहीं हुई है। इसके अलावा दिनेश चंद्र जोशी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 80 लाख रुपये में अभ्यर्थियों को पेपर बेचा है, लेकिन इसका भी कोई पर्याप्त सबूत एसटीएफ पेश नहीं कर सकी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एक-एक लाख रुपए के मुचलके और एक लाख रुपये का बांड भरवाया
इतना ही नहीं जिन छात्रों को पेपर बेचने का आरोप लगाया गया है, उनको केस में आरोपित न बनाकर मात्र उनके बयानों के आधार पर ही जोशी को आरोपित बनाया गया है। अदालत ने आरोपितों को एक-एक लाख रुपये के मुचलके और एक लाख रुपये का बांड भरवाया है। इतना ही नहीं जमानत मिलने वाले आरोपियों को देश छोड़ने पर पाबंदी लगाई गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस तरह एक के बाद एक घोटाले होते रहे उजागर
गौरतलब है कि बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल की ओर से सीएम को शिकायत की गई थी। उन्होंने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से चार और पांच दिसंबर 2021 को आयोजित स्नातक स्तर की परीक्षा में अनियमितता के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच एसटीएफ को सौंपी थी। परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने छह युवकों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में एक आरोपी से 37.10 लाख रूपये कैश बरामद हुआ। जो उसके द्वारा विभिन्न छात्रों से लिया गया था। इस मामले में अब तक कुल 41 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें बीजेपी नेता भी शामिल है, जिसे पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। परीक्षा भर्ती मामले में अब तक कुल 94.79 लाख कैश बरामद किया है। इसी मामले में दो दर्जन से ज्यादा बैंक अकाउंट फ्रीज लिए जा चुके हैं। जिसमे करीब तीस लाख की राशि जमा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके बाद अब हर दिन किसी ना किसी विभाग में भर्ती घोटाला उजागर हो रहा है। साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्षों पर भी बैकडोर से नियुक्ति करने के आरोप लगे। वहीं, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री पर भी ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। ऐसे में अब मांग उठ रही है कि पूरे प्रकरणों की सीबीआइ से जांच कराई जाए, या फिर उच्च न्यायालय के सीटिंग जज की अध्यक्षता में गठित समिति से जांच हो। उधर, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभाओं में हुई भर्तियों की जांच को कमेटी गठित कर दी थी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने बड़ा एक्शन लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने विधानसभा में 480 में से 228 नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। ये 2012 के बाद से की गई तदर्थ नियुक्तियां हैं। इनमें उपनल से की गई 22 भर्तियां भी रद्द कर दी गईं। इसके साथ ही उन्होंने सचिव मुकेश सिंघल को भी निलंबित कर दिया था। साथ ही कहा गया कि तत्‍कालीन विधानसभा अध्‍यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल की भूमिका की जांच की जाएगी। वहीं बताया गया कि 2012 से पहले हुई नियुक्ति पर विधिक जांच होगी।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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