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November 13, 2024

डॉलर की बादशाहत को खतरा, ये पांच पांडव ला रहे हैं अपनी करेंसी, इस सम्मेलन हो सकती है इसकी घोषणा

क्या डॉलर के जरिये अमेरिका की पूरी दुनिया में बादशाहत खत्म हो जाएगी। क्या उसकी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। इन सवालों का सही जवाब तो बाद में आएगा, लेकिन हम आपको इसके लिए हो रहे प्रयासों की जानकारी दे रहे हैं। कई दशकों से अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय व्यापार की आधिकारिक करंसी है, लेकिन अब इसकी बादशाहत खत्म हो सकती है। इसके साथ ही यहां की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ सकता है। क्योंकि अब पांड पांडव यानि की पांच देश अमेरिका की बादशाहत को खत्म करने के प्रयासों में जुट गए हैं। ये पांच पांडव हैं  ब्रिक्स देश। जो मिलकर अपनी करंसी लाने की योजना बना रहे हैं। ब्रिक्स देशों में ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इन देशों के सम्मेलन में अपनी करेंसी लाने की घोषणा हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पिछले साल रूस-यूक्रेन में जंग छिड़ने के कारण रूस को दुनियाभर के कई देशों में प्रतिबंध झेलना पड़ा। इसका असर वहां की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। रूसी सांसद अलेक्जेंडर बाबाकोव का कहना है कि ब्रिक्स देश भुगतान के लिए नई करंसी बनाने की तैयारी में है। ऐसे में सवाल है कि कैसी होगी ब्रिक्स करंसी और क्या ये देश मिलकर डॉलर को पीछे छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ब्रिक्स मुद्रा अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देगी
ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देश कथित तौर पर आपस में व्यापार के लिए एक सामान्य मुद्रा के निर्माण की खोज कर रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अगस्त 2023 में जल्द से जल्द एक नई वित्तीय व्यवस्था की घोषणा की जा सकती है, जिसे एक सामान्य ब्रिक्स मुद्रा में अनुवाद करने की क्षमता के साथ देखा जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारत, चीन लगातार कर रहे हैं प्रयास
भारत डॉलर को वैश्विक आरक्षित मुद्रा के रूप में रुपये से बदलने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। नई दिल्ली डॉलर की कमी का सामना कर रहे देशों को अपने व्यापार भुगतान को भारतीय रुपये में निपटाने की पेशकश कर रहा है। देश का लक्ष्य अपने निकट पड़ोस में “आपदा प्रूफ” देशों को बनाना है और जिसके साथ यह महत्वपूर्ण व्यापार मात्रा साझा करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ब्रिक्स के सम्मेलन
ब्रिक्स का 14वां शिखर सम्मेलन 23 और 24 जून 2022 को हुआ। चीन XIV ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का मेजबान था। यह तीसरी बार था, चीन ने शिखर सम्मेलन की मेजबानी की, पहली बार 2011 में और दूसरी बार 2017 में। इसकी परिणति बीजिंग घोषणा में हुई। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का 2023 संस्करण अगस्त 2023 में दक्षिण अफ्रीका में होने वाला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

समझिए ब्रिक्स के बारे में
BRICS दुनिया की 5 उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का संक्षिप्त रूप है। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। BRIC शब्द 2001 में गोल्डमैन सैक्स के तत्कालीन अध्यक्ष जिम ओ नील द्वारा गढ़ा गया था। पहला BRIC शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में येकातेरिनबर्ग (रूस) में हुआ था। 2010 में, दक्षिण अफ्रीका औपचारिक रूप से ब्रिक्स बनाने वाले संघ में शामिल हो गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ब्रिक्स करंसी क्यों लाने की तैयारी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार को लेकर डॉलर का एकाधिकार रहा है। पिछले कुछ सालों में इसके कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर हुआ। यही वजह है कि अब ब्रिक्स देश अपनी करंसी लाने की योजना बना रहे हैं जो उनके बीच कारोबार और लेन-देन का जरिया बन सके। इसके अलावा अघोषित तौर पर इसे अमेरिकी डॉलर को पीछे छोड़ने की योजना भी बताया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अभी सबसे पावरफुल है डॉलर
1944 से डॉलर दुनिया की ऑफिशियल रिजर्व करंसी है, यह निर्णय 44 देशों के समूह ने लिया था, जिसे ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट के नाम से जाना जाता है। इसके बाद से ही डॉलर दुनियाभर में पावरफुल स्थिति में है. डॉलर को लेकर अमेरिका द्वारा बनाई जाने वाली पॉलिसी को दुनियाभर के देशों को मानना पड़ता है। साल-दर-साल अमेरिका की एकतरफा नीतियों का असर दुनियाभर के देशों पर पड़ा है, लेकिन चीन और रूस समेत कई देश नई करंसी के रूप में इसका समाधान तलाश रहे हैं। IMF के मुताबिक, पिछले साल के आखिरी क्वार्टर में दुनियाभर में डॉलर का फॉरेन एक्सचेंज गिरकर 59 फीसदी तक पहुंच चुका है। ऐसे में ब्रिक्स करंसी आती है तो यह आंकड़ा तेजी से गिरना तय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

किसे सबसे ज्यादा दिक्कत
डॉलर भले ही किंग करंसी कहा जाता है, लेकिन रूस और चीन जैसे कुछ ऐसे देश हैं जो डॉलर को नापसंद करते हैं। वो इस पर रोक लगाना चाहते हैं। इसे ही डी-डॉलेराइजेशन कहा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नई ब्रिक्स करंसी आने पर कई देशों में कारोबार के लिए डॉलर पर निर्भरता कम होगी। इसके साथ ही अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कब आएगी ब्रिक्स करंसी और कैसी होगी पेमेंट व्यवस्था
कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि नई करंसी एक कार्ड के रूप में होगी जो ब्रिक्स देशों में लागू होगी। इसकी मदद से भुगतान उस देश को उसकी अपनी करंसी में प्राप्त होगा। ब्रिक्स देश डॉलर की जगह अपनी उस करंसी में भुगतान करेंगे। इस साल अगस्त में दक्षिण अफ्रीका में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन इसकी घोषणा की जा सकती है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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