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April 13, 2025

जो थे सत्ता में वो हुए विद्रोही, जो थे विद्रोही उनके हाथ आई सत्ता, अब हो रहा धू धड़ाम, मारे गए 600 तालिबान, एक हजार कैद

अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथ में आने के बाद अब सत्ता से बेदखल हुए विद्रोही बलों और तालिबान के बीच सबसे बड़ा युद्ध छिड़ गया है। पंजशीर क्षेत्र में चल रहे युद्ध के चलते लोगों के कानों में धूं, धांय और धड़ाम की आवाजें गूंज रही हैं।

सत्ता का खेल भी निराला है। जो अफगान सरकार में थे, वे सत्ता से बेदखल होते ही विद्रोही हो गए। इससे पहले जिनको विद्रोही या आतंकवादी कहा जा रहा था, वे अब सत्ताधारी हो गए। अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथ में आने के बाद अब सत्ता से बेदखल हुए विद्रोही बलों और तालिबान के बीच सबसे बड़ा युद्ध छिड़ गया है। पंजशीर क्षेत्र में चल रहे युद्ध के चलते लोगों के कानों में धूं, धांय और धड़ाम की आवाजें गूंज रही हैं। अफगानिस्तान के पंजशीर में तालिबान और विद्रोही बलों यानी रेजिस्टेंस फोर्सेस के बीच खूनी संघर्ष तेज हो गया है। सत्ता परिवर्तन के बाद इसे सबसे बड़ा युद्ध कहा जा सकता है। क्योंकि जब तालिबान ने अफगानिस्तान में कब्जा किया तो वह आसानी से राजधानी काबुल में घुस गया था। कहीं उसे विरोध का सामना नहीं करना पड़ा था। अफगानिस्तान की सेना से घुटने टेक दिए थे।
अब तालिबान और प्रतिरोध बलों की जंग में पंजशीर के उत्तर-पूर्वी प्रांत करीब 600 तालिबानी मारे गए हैं। स्पुतनिक ने अफगान रेसिस्टेंस बलों के हवाले से शनिवार को यह बात कही। पंजशीर के रेजिस्टेंस फोर्स (प्रतिरोध बलों) का दावा है कि शनिवार सुबह से पंजशीर के विभिन्न जिलों में करीब 600 तालिबानियों का खात्मा किया गया। वहीं, 1000 से ज्यादा तालिबानी लड़ाकों को कैद किया गया है या उन्होंने सरेंडर किया है। रेजिस्टेंस फोर्स के प्रवक्ता फहीम दास्ती ने यह ट्वीट किया।
स्पुतनिक के मुताबिक, प्रवक्ता ने आगे कहा कि तालिबान को अन्य अफगान प्रांतों से आपूर्ति प्राप्त करने में समस्या है। इस बीच, क्षेत्र में बारूदी सुरंगों की मौजूदगी की वजह से पंजशीर प्रतिरोध बलों के खिलाफ तालिबान का अभियान धीमा पड़ गया है। अलजजीरा ने बताया कि तालिबान से जुड़े सूत्र ने कहा कि पंजशीर में लड़ाई जारी है, लेकिन कैपिटल बाजारक और प्रांतीय गवर्नर के परिसर की ओर जाने वाली सड़क पर बारूदी सुरंग होने की वजह से तालिबान को अपनी कार्रवाई की धीमा करना पड़ा है।
पंजशीर को नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट का गढ़ माना जाता है, जिसकी अगुवाई पूर्व अफगान गुरिल्ला कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और पूर्व राष्ट्र अमरुल्ला सालेह कर रहे हैं। पुरानी सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का केयरटेकर यानी कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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