हर दिन लाखों रुपये का सोना उगलता है ये ज्वालामुखी, फिर भी सोना लाना नहीं है आसान
एक ज्वालामुखी हर दिन सोना उगलता है। इसके बावजूद भी वहां से सोना लाना आसान नहीं है। हाल ही में नासा ने इससे जुड़ी ये हैरान करने वाली ये जानकारी शेयर की है। ये ज्वालामुखी एंटार्कटिका में है। वैसे तो अंटार्कटिका में 138 सक्रिय ज्वालामुखी हैं। इनमें से एक माउंट एरेबस रोजाना लाखों रुपये का सोना उगल रहा है। ये ज्वालामुखी हर रोज करीब 80 ग्राम गोल्ड डस्ट उगलता है। लाखों की डस्ट कलेक्ट कर लाना आसान इसलिए नहीं है, क्योंकि जहां ज्वालामुखी से ये गोल्ड डस्ट निकाल रहा है, वो जगह कई हजार फीट की ऊंचाई पर है। ज्वालामुखी से रोजाना निकलने वाली धूल में सोने के कण पाए गए हैं। आंका गया है कि हर दिन करीब पांच लाख रुपये से ज्यादा ये ज्वालामुखी सोना उगलता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
न्यूयॉर्क पोस्ट ने आईएफएल साइंस की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि नासा के वैज्ञानिकों ने ज्वालामुखी की धूल का विश्लेषण कर सोना पाए जाने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि इस धूल में रोजना करीब 80 ग्राम क्रिस्टलीकृत सोने का पता लगाया है। माउंट एरेबस अंटार्कटिका के डिसेप्शन द्वीप में स्थित है, जो इस क्षेत्र के दो सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वैज्ञानिकों का कहना है कि माउंट एरेबस ज्वालामुखी से निकलने वाली धूल को एकत्र करना या आगे की जांच करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि पहाड़ तक आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता है। नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) अर्थ ऑब्जर्वेटरी की रिपोर्ट है कि अन्य उगलने वाली घटनाओं के हिस्से के रूप में, एरेबस के सबसे दक्षिणी लावा-स्पिवर से 621 मील की दूरी पर कीमती धातु की धूल का पता लगाया गया है, जो 12,448 फीट ऊंचा है। नासा के अनुसार, यह नियमित रूप से गैस और भाप के गुबार उत्सर्जित करता है, और कभी-कभी चट्टान (बम) भी उगलता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय में लैमोंट-डोहर्टी अर्थ ऑब्ज़र्वेटरी के कॉनर बेकन के अनुसार, एरेबस 1972 से लगातार विस्फोट कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह पर्वत अपने शिखर क्रेटर में से एक में “लावा झील” के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि ये वास्तव में काफी दुर्लभ हैं, क्योंकि यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ बहुत ही विशिष्ट शर्तों को पूरा करने की आवश्यकता होती है कि सतह कभी भी न जमे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इतनी ऊंचाई पर है जगह
सोना उगलने वाला ये ज्वालामुखी करीब 12 हजार 448 फीट की ऊंचाई पर है। गोल्ड डस्ट जहां जाकर गिरती है वो जगह इनसे करीब 621 माइल्स की दूरी पर है। नासा (NASA) के मुताबिक ये ज्वालामुखी बहुत पतली क्रस्ट पर स्थित है। इसकी वजह से धरती में मौजूद मोल्टन रॉक्स आसानी से बाहर आ जाती हैं। इन ज्वालामुखियों से बहुत सी गैस और भाप भी निकलती है। कभी कभी चट्टानी टुकड़े भी बाहर आते हैं।
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