इस ग्रह के हैं दो सूर्य, यहां दिन में दो बार होता है सूर्यास्त
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ब्रह्मांड की गतिविधियों पर लगातार नजर रखकर कोई ना कोई खोज में जुटी रहती है। अंतरिक्ष की कहानियां भी रोचक हैं और हर बार नई जानकारी मिलती है। अभी तक आपने एक सूर्य के बारे में सुना होगा। हमारे सौरमंडल में एक सूर्य है, जिसके चारों ओर सभी ग्रह चक्कर लगाते हैं। इसके विपरीत क्या आपको पता है कि एक ऐसा ग्रह भी है, जिसके पास एक नहीं, बल्कि दो सूरज हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने इस ग्रह का पता लगाया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दूरबीन कैप्लर से देखे गए अविश्वसनीय दृष्य
नासा की शक्तिशाली दूरबीन कैप्लर से देखे गए अंतरिक्ष के अविश्वसनीय दृश्य और इस ग्रह की तुलना हॉलीवुड की उस काल्पनिक फ़िल्म स्टार वॉर के टैटूइन ग्रह से की जा सकती है। साथ ही इस ग्रह पर जीवन की संभावना नहीं दिखती। इसका नाम कैप्लर -16 बी रखा गया है। माना जा रहा है कि ये ग्रह भी शनि की तरह ही ठंडी गैसों से बना है। ये नया ग्रह पृथ्वी से लगभग 200 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। नासा ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता कि इस ग्रह पर धरती की तरह कोई जीवन हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस ग्रह में होते हैं दो सूर्यास्त
हांलाकि इस तरह के संकेत इससे पहले भी मिल चुके हैं कि ग्रहों के दो सू्र्य एक ही कक्षा में हो सकते हैं, पर इस नई खोज से इसकी पुष्टि पहली बार हुई है। इसका मतलब ये हुआ कि कैप्लर -16 बी पर जब दिन ख़त्म होता है तो वहाँ पर दो सूर्यास्त होते हैं। कैप्लर -16 बी के दोनों सूर्य पृथ्वी के सूर्य की तुलना में काफ़ी छोटे हैं। पहले का द्रव्यमान पृथ्वी के सूर्य के द्रव्यमान का 69 फ़ीसदी और 20 फ़ीसदी है। इनका तापमान शून्य से सौ से डेढ़ सौ फारहेनाइट कम यानि माइनस 73 से 101 डिग्री सेल्सियस के आस-पास है। इस ग्रह की कक्षा में दोनो सूर्य हर 229 दिन के बाद 65 मील की दूरी पर होते हैं। कैप्लर टेलिस्कोप को 2009 में लगाया गया था। ताकि ये पृथ्वी जैसे ग्रहों की आकाश गंगा के दृश्यों को कैद किया जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आंशिक रूप से चट्टान से बना है यह ग्रह
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, यह ग्रह आंशिक रूप से चट्टान से बना हुआ है. जहां तरल पानी मौजूद हो सकता है। जब 2011 में इसकी खोज हुई थी, तब साइंटिस्ट बिल बोरुकी ने कहा था शायद इस ग्रह पर जीवन की संभावनाएं हो सकती हैं, लेकिन बाद की जांच में पता चला कि ऐसा संभव नहीं दिखता।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।