Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 23, 2024

भारत के इन इलाकों में ऐसे तलाशते हैं जीवनसाथी, रहते हैं लिव इन रिलेशन में, बच्चा होने पर करते हैं शादी

दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों के साथ ही देश के अन्य इलाकों में युवक और युवतियों के शादी से पहले लिव इन रिलेशन में रहने की घटनाएं आपको देखने में मिल जाएगी। ऐसे संबंधों को आम लोग पसंद नहीं करते हैं। आज भी हमारे समाज में इसे बुरी निगाह से देखा जाता है। जब एक लड़का और लड़की अपनी मर्जी से एक की छत के नीचे बिना शादी किए पति-पत्नी की तरह रहते हैं, तो उस रिश्ते को लिव-इन रिलेशनशिप कहा जाता है। क्या आप जानते हैं भारत की कई जनजाति लिव-इन रिलेशनशिप में रहती हैं। लिव-इन रिलेशन की यह परंपरा काफी पुरानी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसी जनजाति में लिव इन रिलेशन में रहना बेहद आम बात है और माता-पिता खुद इसकी इजाजत अपने बच्चों को देते हैं। यही नहीं, यहां औरतें शादी से पहले ही मां भी बन जाती हैं। हम बात कर रहे हैं राजस्थान और गुजरात में रहने वाली जनजाति गरासिया की। वहीं, छत्तीसगढ़ में बस्तर क्षेत्र के पास मुरिया जनजाति में भी इसी तरह की परंपरा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राजस्थान और गुजरात में रहने वाली गरासिया जनजाति की परंपरा को करीब से देखने पर आपको मॉडर्न जमाने के लिव-इन रिलेशनशिप की झलक देखने को मिलेगी। इस जनजाति में पुरुष और महिला बिना शादी के साथ रह लेते हैं और महिलाएं शादी से पहले मां भी बन जाती हैं। औरतों को ये हक होता है कि वो अपने मन मुताबिक लड़का चुन सकें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मेले से पार्टनर के साथ भाग जाते हैं लोग
शादी के लिए यहां दो दिनों का गौर मेला लगता है। इस मेले में लड़के-लड़कियां जुटते हैं और अगर उन्हें कोई पसंद आ जाता है तो वो उसके साथ मेले से भाग जाते हैं। फिर वो बिना शादी किए ही एक दूसरे के साथ रहने लगते हैं। इस दौरान उनका बच्चा भी हो सकता है जो उनके इच्छा के मुताबिक ही होता है। तब वो अपने गांव लौटते हैं और माता-पिता धूमधाम से उनकी शादी करवाते हैं। वो चाहें तो बिना शादी किए भी रह सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे शुरू हुई लिव-इन में रहने की प्रथा
इस जनजाति में लिव-इन में रहने की प्रथा सालों पुरानी है. माना जाता है कि सालों पहले इस जनजाति के 4 भाई कहीं और जाकर रहने लगे। इनमें से 3 लोगों ने भारतीय तौर-तरीकों से शादी की पर एक भाई शादी किए बिना ही किसी लड़की के साथ लिव-इन में रहने लगा। उन तीनों भाइयों की कोई संतान नहीं हुई पर चौथे भाई की संतान पैदा हुई। बस तब से ही यहां लिव-इन में रहने की परंपरा शुरू हो गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार गरासिया औरतें अगर चाहें तो दूसरे मेले में पहले पार्टनर के होते हुए दूसरा पार्टनर भी चुन सकती हैं। इस तरह उन्हें काफी आजादी मिलती है, जितनी मॉडर्न समाज में भी नहीं मिलती। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुरिया जनजाती में भी है ऐसी परंपरा
छत्तीसगढ़ में बस्तर क्षेत्र के पास मुरिया जनजाति रहती है। इस जनजाति के लोग दिलचस्प संस्कृति के साथ अपना जीवन जीते हैं। यहां महिलाओं को अपना पार्टनर चुनने और लिव-इन में रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। मुरिया समुदाय में पुरुषों और महिलाओं के बीच भौतिक सीमाएं न के बराबर है। आज का आधुनिक समाज इन सीमाओं को तोड़ने के लिए संघर्ष कर रहा है। इससे यह मतलब है कि यहां महिलाएं बातचीत और जीवन जीने के लिए स्वतंत्र हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे पसंद करते हैं पार्टनर
घोटुल मुरिया लोगों की एक परंपरा है। इसमें बांस या मिट्टी की झोपड़ी बनी होती है। जहां रात को लड़कियां और लड़के नाच-गाना करके मनोरंजन करते हैं। इसे आप मुरिया का नाइटक्लब भी कह सकते हैं। यहां पर लड़का और लड़की अपने लिए पार्टनर की तलाश भी करते हैं। उनके चयन का तरीका भी बहुत अलग है। जब घोटुल में कोई लड़का आता है उसे लगता है कि वह अब शारीरिक रूप से मेच्योर है तो वह बांस से एक कंघी बनाता है। वहीं लड़की को जब कोई लड़का पसंद आता है तो वह उसकी कंघी चुरा लेती है। जिससे संकेत मिलता है कि वह लड़के को पसंद करती हैं। जब लड़की बालों में कंघी लगाकर बाहर निकलती है तो सबको पता चल जाता है कि वह किसी को पसंद करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पहले साथ रहते हैं, फिर होती है शादी
इसके बाद लड़का और लड़की जोड़ी बनकर घोटुल को सजाने लगते है। इसके बाद दोनों एक ही झोपड़ी में साथ रहने लगते हैं। इस दौरान वह पति-पत्नी की तरह रहते हैं। एक दूसरे की भावनाओं और शारीरिक जरूरतों को पूरा करते हैं। इसके बाद लड़का और लड़की दोनों के परिवार उनकी शादी तय करते हैं। झोपड़ी में वही लड़के और लड़कियां जाते हैं जिनके बारे में समुदाय में सबको पता होता है कि यह दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

 

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page