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June 20, 2025

बसंत पंचमी में बन रहा ये संयोग, राजनीति में नामी चेहरों के लिए अशुभ संकेत, प्रभाव होगा कमः डॉ. आचार्य संतोष खंडूड़ी

इस दिन की ग्रहों की स्थिति पूर्ण रूपेण काल सर्पयोग को दर्शाती है। अर्थात सीधा का सिद्धांत बनता है कि बड़े बड़े नामी लोग राजनीतिक हो या अन्य दृष्टि से उनके जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता हुआ दिखाई देगा।

 माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती को समर्पित बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती या शारदे की पूजा-अर्चना करने का विधान है। हिंदू धर्म में बसंत पंचमी के पर्व विशेष महत्व है। इस बार बसंत पंचमी का पर्व 5 फरवरी, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का उद्भव हुआ था, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, कोई नई विद्या आरंभ करना, कोई नया काम शुरू करना, अन्नप्राशन संस्कार, गृह प्रवेश या अन्य कोई शुभ काम करना शुभ माना जाता है। वहीं, इस बार ऐसा संयोग बन रहा है कि प्रभावशाली या नामी लोगों को के जीवन पर गंभीर संकट आ सकता है। यहां विस्तार से बता रहे हैं डॉ. आचार्य संतोष खंडूड़ी।
ये है ग्रहों की चाल, इनको होगा नफा और नुकसान
इस वर्ष ये त्योहार तारीख के हिसाब से पांच फरवरी अर्थात शनिवार को पड़ रहा है। शनि ग्रह इस दिन अपनी राशि पर बैठकर न्याय को संबोधित कर रहा है। अर्थात जन सामान्य के लिए यह दिन अत्यंत कल्याणकारी सिद्ध होगा। पूरी तरह ये दिन नवीनता को दर्शाने वाला दिवस लगता है। इस दिन की ग्रहों की स्थिति पूर्ण रूपेण काल सर्पयोग को दर्शाती है। अर्थात सीधा का सिद्धांत बनता है कि बड़े बड़े नामी लोग राजनीतिक हो या अन्य दृष्टि से उनके जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता हुआ दिखाई देगा। क्योंकि वृहस्पति कुंभ राशि पर और वृहस्पति के घर में शुक्र बैठा हुआ है। जो स्पष्ट दर्शाता है कि प्रभावशाली लोग अपना प्रभाव नहीं फैला पाएंगे। राजनीतिक दृष्टिकोण से आने वाले समय में बहुत सारे नए चेहरे नए युग का निर्माण करेंगे। शनि ग्रह का अपनी राशि पर सूर्य और बुद्ध के साथ गोचर करना यह दर्शाता है कि आने वाला समय न्याय प्रिय, समाजसेवी, कर्मठ और समर्पित लोगों का होगा। छल, कपट, दंभ और षड्यंत्रकारी लोग का समय समाप्त हो जाएगा।
इसी दिन से होता है त्योहारों का शुभारंभ
बसंत पंचमी के दिन से त्योहारों का भी शुभारंभ होता है। साथ ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। इसी दिन रंगों के त्योहार होली की शुरुआत भी हो जाती है। होली की ध्वजा भी दिन लगाई जाती है। इसमें संपूर्ण लोग समूह में आ करके त्योहार को न्योता देते हैं। ताकी हमारे जीवन में त्योहार आए। इसीलिए इस दिन होली का झंडा लगाया जाता है। ये आयोजन भी समूह में किया जाता है। ताकी हमारे घर के साथ ही समाज के सभी लोगों जीवन में खुशियां आएं।
की जाती है प्रकृति की पूजा
बसंत पंचमी के दिन से ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि के सृजन का कार्य की योजना शुरू होती है। इसलिए इस दिन प्रकृति की पूजा की जाती है। इस दिन कन्या को साक्षात देवी अर्थात सरस्वती के रूप में पूजा जाना चाहिए। यह दिन अपने आप में सुसज्जित, सुसंस्कारित और सफल होने का दिवस है। जिसके जीवन में बसंत का आगमन हो जाता है, वह संपूर्ण जीवन खुशी, आनंद और सफलता के साथ बीताता है।
छह हाथ लेकर प्रकट होती हैं मां सरस्वती
इस दिन मां सरस्वती ब्रह्माजी द्वारा की गई आराधना से छह हाथ लेकर प्रकट होती है। जिसमें एक में पुस्तक, एक में वीणा, एक में पुष्प, एक में शंख, एक में वेद और एक हाथ आशीर्वाद प्रदान करते हुए होता है। इसी दिन संपूर्ण धरती पर प्रकृति स्वमेय वेद स्वर में प्रकट होती है। अर्थात मधुर नाद मां वीणा से प्रकट होता है। संपूर्ण धरती पल्लवित होना प्रारंभ कर देती है। यानी संपूर्ण धरती पर फूल खिलने शुरू हो जाते हैं। पेड़ों में नए पत्ते आते हैं। चारों तरफ हरियाली छाने लगती है। साथ ही सुगंधित हवा से वातावरण बन जाता है। मंगल कार्यों का आरंभ भी हो जाता है।
सिद्धि प्राप्त करने का दिन
इस दिन प्रत्येक मनुष्य को प्रकृति के बीच रहकर समय व्यतीत करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन धरती पर अपार ऊर्जा का संचार होता है। इसका लाभ एकांत में गंगा तट व घने जंगलों के बीच ही लिया जा सकता है। ऋषि मुनी, साधु संत, ब्राह्मण वर्ष भर से इस दिन का इंतजार करते हैं। ताकी उनके द्वारा किए गए मंत्र, जप, तप की उनको सिद्धिप्राप्त हो सके। अर्थात यह दिवस सिद्धिप्राप्त करने का श्रेष्ठ और पूजनीय दिवस है।
खाएं पीला भोजन, मीठे से करें दिन की शुरुआत
इस दिन गणेश जी के साथ मां सरस्वती जी की पूजा करनी चाहिए। पीले वस्त्र धारण करें, पीला भोजन करें, पीला जैसा ही वातावरण बनाएं। ऐसा करने से जीवन में स्वर्णीय अवसर मिलते हैं। मां सरस्वती को सफेद वस्त्र पहनाएं। मां को श्रृंगार की वस्तुएं, सफेद फूल, पीले फूल, पूजा की विशेष सामग्री अर्पित कर विशेष मंत्र से मां की पूजा करें। इस दिन जहां अध्ययन व अध्यापक का कार्य होता है, वहां विशेष पूजन किया जाता है। पारंपरिक दृष्टि से इस दिन मीठे चावल केसर डालकर बपनाए जाते हैं। यह जीवन में तनाव, कष्ट को तिलांजलि देने का दिन है। बच्चों के माथे पर हल्दी और केसर का टीका लगाना चाहिए। सुबह की शुरुआत मीठे से की जाए।
आचार्य का परिचय
आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी
(धर्मज्ञ, ज्योतिष विभूषण, वास्तु, कथा प्रवक्ता)
चंद्रविहार कारगी चौक, देहरादून, उत्तराखंड।
फोन-9760690069
-9410743100

 

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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