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September 13, 2024

दिल के मरीजों को इन योगासन से बढ़ सकता है खतरा, ऐसे में जान लें क्या करें या क्या ना करें

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योग व्यक्ति के शरीर और मानसिक हेल्थ में सुधार करता है। योग करने से मेंटल हेल्थ में सुधार, शरीर की सूजन और चिंता कम करने, प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने, संतुलन बढ़ाने, वजन कम करने में मदद मिल सकती है। पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं जैसे एसिडिटी और गैस्ट्रिक की समस्या को ध्यान और योग करके कम किया जा सकता है। कहा जाता है कि योग योग हृदय की सभी समस्याओं का समाधान है, लेकिन ये सच नहीं है। हर तरह योग हृदय रोगों का इलाज नहीं है। इसकी अपनी सीमाएं हैं। आप अगर हार्ट पेशेंट हैं तो आपको कुछ योगासन को करने से परहेज करना चाहिए। नहीं तो फिर दिल से जुड़े जोखिम बढ़ सकते हैं। हम ऐसे आसनों के बारे में बताएंगे जो हृदय रोगियों के लिए खतरा हैं। वहीं, हृदय के लिए लाभकारी योगासन के बारे में भी जानकारी देंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

योग शुरू करने से पहले लें एक्सपर्ट की राय
योग कई बीमारियों में काफी फायदेमंद है। योग करने से हमारे शरीर को पॉज़िटिव एनर्जी मिलती है और हमार मन, मस्तिष्क और सेहत दुरुस्त होती है। यदि आपको कोई बीमारी है तो योग करने से पहले आपको योग एक्सपर्ट की राय लेनी चाहिए। ताकि आप जान सको कि कौन सा योग बेहतर है। अपने हेल्थ का चेकअप करना चाहिए, ताकि आपको पता रहे कि जो योग आप कर रहे हैं उससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा। फिलहाल दिल की बीमारी से जुड़े लोगों को नीचे दिए गए आसन को करने से बचना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हलासन
हार्ट पेशेंट को हलासन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे आपके हार्ट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इससे रक्त संचार का उल्टा प्रवाह बनता है, जो कि हृदय के लिए नुकसानदाय हो सकता है।
चक्रासन
यह आसन आपके शरीर को लचीला बनाता है, लेकिन यह दिल के मरीजों के लिए अच्छा नहीं है। इससे भी दिल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे दिल से जुड़ी दूसरी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
सर्वांगासन
यह आसन दिल के मरीजों के लिए अच्छा नहीं है। यह भी आपके हार्ट पर दबाव बनाता है, जिससे हार्ट अटैक जैसा खतरा बनता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शीर्षासन
यह आसन भी आपके दिल की सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। इससे आपका ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ता है। इससे सिर में रक्त जमा हो सकता है।
कपालभाति
यह आसन भी हार्ट मरीजों के लिए अच्छा नहीं है। हृदय रोगियों के लिए कपालभाति का अभ्यास हानिकारक हो सकता है। इससे भी ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ता है।
नोटः यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं हैय़ अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कर्णपीरासन (कान बंद करने की मुद्रा)
कर्नापीड़ासन एक ऐसा आसन है जिसमें व्यक्ति के कान उसके घुटनों के करीब होते हैं और पैर फर्श के करीब होते हैं। यह आसन रक्तचाप को नियंत्रित करता है, रीढ़ की हड्डी को खींचता है, कान की समस्याओं का इलाज करता है और अस्थमा के रोगियों के लिए फायदेमंद है। हालाँकि, यह हृदय रोग वाले लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि यह हृदय पर बहुत अधिक दबाव डालता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विपरीत करणी (सरल उलटा मुद्रा)
इस आसन को करने के लिए आपको अपनी पीठ के बल लेटना होगा और अपने पैरों और कूल्हों को अपने हाथों से सहारा देते हुए ऊपर उठाना होगा। यदि आपको दिल की बीमारी है या आपको दिल का दौरा पड़ने का खतरा है, तो कृपया यह व्यायाम न करें क्योंकि यह निचले शरीर में अधिक रक्त प्रवाहित करके आपके दिल पर दबाव डालता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हार्ट ब्लॉकेज के लिए योग के फायदे
कुछ आसनों को छोड़कर हृदय रोगी ऐसे आसन कर सकते हैं, जो उनके लिए खतरनाक नहीं हैं। योग कुल मिलाकर हृदय के लिए अच्छा है। रक्तचाप, रक्त कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर को कम करके, योग आपके हृदय को स्वस्थ और मजबूत रखने में मदद करता है। कुछ ऐसे योग आसन भी हैं जो हार्ट ब्लॉकेज से जुड़ी समस्याओं से बचाते हैं। अगर आप हार्ट ब्लॉकेज के लिए योग करना चाहते हैं तो नीचे कुछ आसन बताए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पादंगुष्ठासन या बड़े पैर की मुद्रा
पादंगुष्ठासन को “बड़े पैर का आसन” भी कहा जाता है। यह आपके दिल को स्वस्थ और स्वस्थ रखने के लिए सबसे अच्छे योग आसनों में से एक है। यह आसन तनाव और चिंता से राहत दिलाते हुए आपकी जांघों और पिंडलियों को मजबूत बनाता है। रक्तचाप को कम करने के लिए बड़े पैर के अंगूठे की मुद्रा की भी अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्थिता त्रिकोणासन या विस्तारित त्रिकोण मुद्रा
उत्थिता त्रिकोणासन छाती के विस्तार के लिए बहुत अच्छा है, जो हृदय को खोलने में मदद करता है। यह मुद्रा पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करते हुए हैमस्ट्रिंग और पीठ की मांसपेशियों को फैलाती है। याद रखें, इस मुद्रा के लिए कुछ एकाग्रता और स्थिर सांस की आवश्यकता होती है, जो आपको बेहतर ध्यान केंद्रित करने में भी मदद कर सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आगे की ओर झुकने की मुद्रा
फर्श पर बैठ जाएं और अपने पैरों को फैला लें। अब सांस छोड़ें और अपने शरीर को आगे की ओर झुकाएं ताकि आपका माथा आपकी जांघों के संपर्क में आ जाए। अपने हाथों से अपनी एड़ियों को पकड़ें। 30 सेकंड तक इसी स्थिति में रहें। यह आसन पाचन में मदद करता है और इंसुलिन प्रतिरोध को नियंत्रित करता है, जिससे हृदय में रुकावट की संभावना कम हो जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ब्रिज पोज़
अपनी पीठ के बल फर्श पर लेट जाएं। अपने घुटनों को मोड़ें ताकि वे आकाश की ओर इंगित करें। आपके हाथ आपके शरीर के दोनों ओर आराम से रखे होने चाहिए। अब धीरे से अपने कूल्हों को ज़मीन से ऊपर उठाएं और अपनी ठुड्डी को अपनी छाती से सटा लें। अपने हाथों को अपनी उठी हुई पीठ के पीछे पकड़ लें। साथ ही सांस अंदर-बाहर करते रहें। कुछ सेकंड के बाद, अपनी पीठ को नीचे करना शुरू करें। यह मुद्रा रक्तचाप को कम करने में सहायता करती है और आपके हृदय को सुरक्षित रखने में मदद करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गोमुखासन
गोमुखासन एक और प्रभावी आसन है और साथ ही बैठने वाला आसन भी है। इस आसन के लिए आपको अपने पैरों को क्रॉस करना होगा। आपके एक ऊपरी पैर की एड़ी दूसरे पैर के नितंब के नीचे होनी चाहिए। पैर के निचले हिस्से की भुजा को ऊपर उठाएं। यहां अग्रबाहु नीचे की ओर झुकी होगी। दूसरे हाथ को पीठ के पीछे ले जाएं और अपने अग्रबाहु को ऊपर की ओर झुकाएं। अब दोनों हाथों को पकड़ने की कोशिश करें। इसके कई अन्य लाभों के अलावा गोमुखासन रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अनुलोम-विलोम
इस आसन को रोजाना सुबह शाम करने से हार्ट को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।
भ्रामरी
भ्रामरी प्राणायाम थकान और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। इस आसन को करने से तनाव से तो मुक्ति मिलती है साथ ही मन भी शांत रहता है।
भस्त्रिका
इस प्राणायाम को रोजाना करने से हाइपरटेंशन, अस्थमा, हार्ट संबंधी बीमारी, टीवी, ट्यूमर, बीपी, लिवर सिरोसिस, साइनस, किसी भी तरह की एनर्जी और फेफड़ों के लिए अच्छा माना जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्राणायाम के दौरान सावधानियां
-यदि आपकी कोई पुरानी चिकित्सीय स्थिति है, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें।
-जब तक विशेष रूप से ऐसा करने के लिए न कहा जाए। हमेशा नाक से सांस लें।
-प्राणायाम अभ्यास के दौरान किसी भी प्रकार का तनाव नहीं होना चाहिए। फेफड़े नाजुक अंग हैं। सुनिश्चित करें कि आपकी सांस को सीमा से अधिक मजबूर न किया जाए।
-सांस लेते समय तेज आवाज न करें। सांस को लयबद्ध और स्थिर रखें।
-भोजन के तुरंत बाद प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। भोजन के कम से कम तीन घंटे बाद आप प्राणायाम कर सकते हैं।
-शुरुआती लोगों को सांसें नहीं रोकनी चाहिए। जब आप प्राणायाम की बुनियादी बातों से सहज हो जाएं, तो किसी विशेषज्ञ शिक्षक के मार्गदर्शन में अपनी सांस रोकना सीखें।
-यदि आपको थकान या बेचैनी महसूस हो तो प्राणायाम करना बंद कर दें और सामान्य श्वास लेते हुए शवासन में लेट जाएं। अपने योग शिक्षक से परामर्श लें।
-अगर आप बहुत ज्यादा थके हुए हैं तो प्राणायाम का अभ्यास न करें, प्राणायाम करने से पहले शवासन में 10-15 मिनट आराम करें।
-यदि आप योग आसन और प्राणायाम करते हैं तो प्राणायाम से पहले योग आसन का अभ्यास करें। आसनों का अभ्यास करने के बाद प्राणायाम करने से पहले शवासन में आराम करें। प्राणायाम के बाद कोई भी कठिन व्यायाम न करें।
-प्राणायाम का अभ्यास जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए।
-प्राणायाम बाहर या हवादार कमरे में करें।
-फेफड़ों में रक्त जमा होने पर प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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