त्रिवेंद्र के केदारनाथ से बैरंग लौटने पर धीरेंद्र प्रताप ने जताया दुखः, साथ ही बोले- बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय
देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों की ओर से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का विरोध करने पर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने अपनी प्रतिक्रिया दी।
गौरतलब है कि चारधाम देवस्थानम बोर्ड का तीर्थ पुरोहित और हक हकूकधारी, पंडा समाज, साधु संत सभी विरोध कर रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी का केदारनाथ धाम में पांच नवंबर को दौरा है। इसके पहले तीर्थ पुरोहितों, व्यापारियों, संतों ने देवस्थानम बोर्ड के विरोध में आंदोलन तेज कर दिया है। साथ ही पीएम मोदी का विरोध करने के लिए तीन नवंबर को पहले ही केदारनाथ कूच करने का आह्वान किया है। गंगोत्री में सोमवार को बाजार बंद रख कर तीर्थ पुरोहितों और व्यापारियों ने जुलूस निकाला। वहीं, केदारनाथ में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेद्र सिंह रावत सोमवार को जब दर्शन को पहुंचे तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। वह बगैर दर्शन के ही बैरंग लौट गए।
इस मामले को लेकर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ तीर्थ पुरोहितों द्वारा किए गए व्यवहार पर दुख जताया। कहा कि वह भी राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। यदि कहीं किसी राजनीतिक कार्यकर्ता का अपमान होता है तो उन्हें भी दुख होता है। पूर्व मुख्यमंत्री स्तर के व्यक्ति का अपमान हो तो और भी दुखद है। साथ ही उन्होंने कहा त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री रहते चौकी तीर्थ पुरोहितों की भावनाओं और जज्बातों का ख्याल नहीं किया। यही कारण है कि आज उन्हें अपमान और उपहास का पात्र बनना पड़ा। उन्होंने कहा कि सत्ता में आना एक बात है और जन आकांक्षाओं के अनुरूप फैसले लेना दूसरी बात है। उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र को भी यह समझ लेना चाहिए कि-कहा कि- जब बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय।
उन्होंने प्रधानमंत्री के 5 तारीख को केदारनाथ जी के दौरे को भी इस संदर्भ से जोड़ते हुए नरेंद्र मोदी से भी मांग की है कि वे तीर्थ पुरोहितों की आकांक्षाओं और उनकी आजीविका को चलाने की मजबूरियों को भी समझे और केदारनाथ जाने से पहले तीर्थ पुरोहितों की आकांक्षाओं के अनुरूप देवस्थानम बोर्ड को भंग करने और स्थानीय पुरोहितों के अधिकारों को पूर्व की तरह रखे जाने की घोषणा करें। ताकि जनता ने जो ने भारी समर्थन दिया है उनके केदारनाथ जाने पर उनको भी अपमान का पात्र ना बनना पड़े।
ये है मामला
बता दें कि वर्ष 2020 में सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। उस समय भी तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारियों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। वहीं, गंगोत्री में पिछले साल भी निरंतर धरना होता रहा। केदारनाथ और बदरीनाध धाम में तो बोर्ड ने कार्यालय खोल दिए, लेकिन गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते कार्यालय तक नहीं खोला जा सका।
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद सत्ता संभालते ही पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड के फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। तीरथ सिंह रावत के बाद पुष्कर धामी सीएम बने और उन्होंने इस मामले में उच्चस्तरीय समिति गठित की। इसके अध्यक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी को बनाया गया। मनोहर कांत ध्यानी ने हाल ही में समिति की रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। पांच नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का केदारनाथ में दौरा है। ऐसे में यदि रिपोर्ट पर बवाल होता है तो दिक्कत हो सकती है। इससे ऐन पहले अब नौ सदस्यों को नामित कर चारों धामों से तीर्थ पुरोहितों को खुश करने का प्रयास किया गया है।
हाल ही में सरकार ने उत्तराखंड में उच्च स्तरीय समिति देवस्थानम विधेयक में उत्तराखंड शासन की ओर से उत्तराखंड के चारधामों से नौ तीर्थपुरोहितों, हक हकूकधारियों, विद्वतजनों और जाधकारों को नामित कर दिया गया है। इस संबंध में सचिव धर्मस्व एवं तीर्थाटन की ओर से शासनादेश जारी किया गया था। धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल की ओर से जारी शासनादेश में चारों धामों से नौ सदस्य नामित किए गए हैं।
इसके तहत श्री बदरीनाथ धाम से विजय कुमार ध्यानी, संजय शास्त्री एडवोकेट ( ऋषिकेश), रवीन्द्र पुजारी एडवोकेट (कर्णप्रयाग- चमोली), केदारनाथ से विनोद शुक्ला, लक्ष्मी नारायण जुगडान, गंगोत्री धाम से संजीव सेमवाल, रवीन्द्र सेमवाल, यमुनोत्री धाम से पुरुषोत्तम उनियाल, राजस्वरूप उनियाल नामित हुए है।
शासनादेश में कहा गया है कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानय प्रबंधन बोर्ड के समस्त पहलुओं पर विचार विमर्श करने के लिए सभी पक्षों से विचार-विमर्श करने के उपरांत संस्तुति के लिए पूर्व राज्य सभा सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति में उपरोक्त सदस्यों को नामित किया गया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।