बिना सेवा शर्तों एवं नियमावली के एक तरफा विद्यालयों के विलय का होगा विरोध
जूनियर हाई स्कूल शिक्षकों के कहना है कि बिना सेवा शर्तों एवं नियमावली के एक तरफा विद्यालयों के विलय का कड़ा विरोध किया जाएगा।
जूनियर हाई स्कूल शिक्षकों के कहना है कि बिना सेवा शर्तों एवं नियमावली के एक तरफा विद्यालयों के विलय का कड़ा विरोध किया जाएगा। शिक्षकों के मुताबिक, राज्य गठन के बाद से ही शिक्षा के संगठनात्मक संरचना पर कभी भी गम्भीरता पूर्वक विचार नहीं किया गया। वर्तमान तक विना छात्र संख्या मानकों के ही प्रदेश में राजनीतिक तुष्टिकरण की नीति के तहत करीब डेढ़ हजार से अधिक जूनियर हाईस्कूलों का हाईस्कूल में उच्चीकरण किया गया। इन जूनियर विद्यालयों में मौलिक एवं पूर्व से ही संचालित कर रहे जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों को एक तरफा हटाए जाने के तुगलकी फरमान तक जारी किए गए। इस पर शिक्षक संघ को आन्दोलनात्मक कदम उठाने पड़े। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के निवर्तमान प्रान्तीय महामंत्री राजेंद्र बहुगुणा ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में कक्षा 6 से 12 तक की राजकीय शिक्षा को जानबूझ कर दो-दो शिक्षा निदेशालयों में बांटा गया है।उन्होंने कहा कि कक्षा 6 से 8 तक प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय में, कक्षा 6 से 10 और कक्षा 6 से 12 तक माध्यमिक शिक्षा निदेशालयों में बंटी एवं संचालित हैं। इसी प्रकार इन विद्यालयों में कार्यरत्त शिक्षकों की सेवनियमावली एवं शैक्षिक प्रशासन ब्यवस्था भी अलग- अलग हैं। शासन को 1500 संबंधित विद्यालयों के विलय से पूर्व संबंधित शिक्षा निदेशालयो एवं शैक्षिक प्रशासन का विलय, शैक्षिक प्रशासनिक ढांचे, शिक्षकों की सेवा शर्तें, पदोन्नति अवसर, वित्त विभाग द्वारा संगठनात्मक ढांचे के युक्तिकरण संबंध में जारी अगस्त 2018 के शासनादेश का क्रियान्वयन, पूर्व में जारी शासनादेशो, एवं विभागीय प्रस्तावों पर सम्यक विचार करना होगा।
उन्होंने कहा कि एक तरफा विलय की कार्यवाही को कदापि स्वीकार नहीं किया जाएगा। हर स्तर पर इसका विरोध होगा। बहुगुणा ने मांग की है कि विभाग एवं शासन इस प्रकार की किसी भी कार्यवाही से पूर्व संगठन को विश्वास में ले। क्योंकि उच्चीकरण के नाम पर एवं सम्यक निर्णय के अभाव में आज सबसे अधिक नुकसान प्रदेश के जूनियर हाईस्कूल शिक्षकों को उठाना पड़ रहा है।





