Video: कीजिए गंगोत्री धाम के दर्शन, मौसम सुहावना है चले आइए यहां
उत्तराखंड में इन दिनों मौसम सुहावना बना है। चारों धामों में यात्रा व्यवस्था भी धीरे धीरे पटरी पर आ रही है। अनलॉक-05 की नई गाइडलाइन में अब यात्रियों को कोरोना निगेटिव रिपोर्ट लानी जरूरी नहीं है। हां थर्मल स्कैनिंग सहित अन्य नियमों का पालन करना होगा। ऐसे में आप चारों धाम की यात्रा के लिए आ सकते हैं।
उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2020 के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड ई -पास जारी कर रहा है। 16 अक्टूबर 2020 तक कुल 157889 ई पास जारी हो चुके हैं। इनमें यदि एक दिन 16 अक्टूबर की बात करें तो इस दिन कुल 2819 ईपास जारी किए गए। इनमें श्री बदरीनाथ धाम के लिए 735, श्री केदारनाथ धाम के लिए 1681, श्री गंगोत्री धाम के लिए 189 व यमुनोत्री के लिए 214 ईपास जारी किए गए।
अब बात करते हैं गंगोत्री धाम की। सर्दियों की शुरुआत होते ही भगीरथ गंगा का जल भी निर्मल होने लगा है। सर्दियों में बर्फ कम पिघलने के कारण गंगा का जल स्तर भी कम होने लगा है। वहीं, मंदिर में भी दर्शन के लिए पहले जहां लंबी लाइन लगती थी, अब ऐसा नहीं हो रहा है। क्योंकि यात्रियों की संख्या अभी बहुत अधिक नहीं है।
यात्रियों में है उत्साह
कोरोना महामारी के भय के बीच प्रसिद्ध धाम गंगोत्री में भी नवरात्रे को लेकर तीर्थ यात्रियों सहित पुरोहितों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। गंगोत्री में मां गंगा की नवरात्र में विशेष दुर्गा के रूप में पूजा अर्चना होती है। गंगा विश्व कल्याण के साथ सुख समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक मानी जाती है। आज से यहां पर विशेष पूजा अर्चना की जाएगी । हालांकि कोरोना की वजह से यात्रियों की संख्या में कमी नजर आ रही है। फिर भी अन्य राज्यो से आये यात्रियों में खासा उत्साह है।
दर्शन के लिए आज लगी कतार
सुबह से ही भक्तों का तांता गांगोत्री धाम में लगा है यात्री गंगा स्नान के बाद मंदिर के दर्शनों के लिए लंबी लाइनों में लग कर अपनी बारी का इंतजार कर रहे है । प्रसिद्ध धाम गंगोत्री में मां गंगा की नवरात्र में विशेष दुर्गा के रूप में पूजा अर्चना होती है। माँ गंगा विश्व कल्याण के साथ सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए मानी जाती है। गंगा की भोग मूर्ति गंगोत्री धाम के गर्भगृह में ही रहती है। जबकि धाम के कपाट बंद होने के बाद गंगा की उत्सव मूर्ति शीतकाल में छह माह के लिए गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा में पहुंचती है। तथा यहीं पर छह माह तक श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन करते हैं। शारदीय नवरात्र ही एक ऐसा अवसर होता है, जिसका अनुष्ठान गंगोत्री धाम में होता है। चैत्र नवरात्र का अनुष्ठान गंगा की शीतकालीन पड़ाव मुखबा में होता है।
गंगा दर्शन से ज्ञान की प्राप्ति
मां गंगा के दर्शन मात्र से ही ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शारदीय नवरात्र में गंगोत्री में नौ दिनों तक पांच ब्राह्मण सप्त चंडी पाठ कर रहे हैं। इसके अलावा गंगोत्री में महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की भी खास पूजा अर्चना की जा रही है।
गंगोत्री धाम में मां गंगा साक्षात रूप में विराजती है। कहा जाता है कि यहीं पर भगीरथ शिला में बैठ कर राजा भगीरथ ने 5500 वर्षों तक गंगा को धरती पर लाने के लिए तपस्या की थी। मान्यता है कि भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो कर गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। गंगोत्री मंदिर का निर्माण सर्व प्रथम गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने 18वीं शताब्दी में शुरू करवाया था। इसके बाद जयपुर नरेश राजा जय सिंह 1922 में गंगोत्री मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। गंगोत्री मंदिर सफेद रंग के चित्तीदार ग्रेनाइट शिलाखंडों को तराश कर बनाया गया।
गंगोत्री से सुमीत कुमार की रिपोर्ट।