64 साल की उम्र में भालू से भिड़ गया ग्रामीण, दोनों में होती रही गुथमगुत्था, आखिरकार हारकर भागा हमलावर
64 साल की उम्र के बुजुर्ग ग्रामीण पर जैसे ही भालू ने हमला किया तो एकबारगी वह भीतर ही भीतर घबरा गए। फिर उन्होंने ठीन ली कि जल्दी से आत्मसमर्पण नहीं करेंगे और भिड़ गए भालू से। इस दौरान उनकी भालू से गुथमगुत्था चलती रही। साथ ही वह शोर मचाकर मदद की गुहार भी लगाते रहे। ग्रामीणों ने उनकी आवाज सुनी और उसी दिशा की ओर दौड़े। देखा तो सबके पैरों तले जमीन खिसक गई। बुजुर्ग भालू से लोहा ले रहे हैं। या फिर उसे छका रहे हैं। लोगों ने भी मदद के लिए शोर मचाया। भालू की तरफ पत्थर फेंके। इस लड़ाई में जीत किसकी हुई ये बड़ी बात नहीं है, हां भालू जरूर भाग गया। बुजुर्ग भी हमले से लहूलुहान हो गए। उन्हें अस्पताल में उपचार के लिए भेजा गया।
घटना पिथौरागढ़ जिले में मुनस्यारी तहसील के गोरीपार में बसंतकोट पट्टी के धूरातोली गांव की है। गोकुल सिंह पाना (64 वर्ष) गांव के निकट ही अपनी बकरियां चरा रहे थे। इसी दौरान झाड़ियों में छिपे भालू ने उन पर हमला कर दिया। एक क्षण के लिए तो गोकुल भीतर ही भीतर सिहर उठे। फिर उन्होंने ठान ली कि यदि जीना है तो भालू से भिड़ना होगा। फिर दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया। खूब गुत्थमगुत्था हुई। भालू के वार से वह बचने का प्रयास करते रहे। उसके पंजे गोकुल को लहुलूहान कर रहे थे। वह लात से भालू पर वार कर रहे थे। उनका चेहरा भी खून से रंग गया।
इस बीच उनके चीखने और मदद की गुहार को आसपास खेत में काम कर रहे ग्रामीणों ने सुना। वे भी मौके की तरफ भागे। लोगों ने बड़ी मुश्किल से शोर मचाकर और पत्थर फेंककर भालू को भगाया।
घायल गोकुल सिंह को गंभीर हालत में सीएचसी मुनस्यारी पहुंचाया गया।जहां चिकित्सकों ने उनके सिर से लेकर चेहरे तक कई टांके लगे हैं। इस वर्ष सर्दियों में भालू के हमले की पहली घटना के बाद ग्रामीण दहशत में हैं। ग्रामीणों ने गांवों के आसपास तक पहुंचे भालुओं को खदेड़ने की मांग वन विभाग से की है।
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में वन्य जीवों के आंतक से लोग हमेशा से जूझते आए हैं। सर्दियों में वन्य जीव भी ऊंचाई वाले इलाकों से पलायन कर नीचले क्षेत्र में आ जाते हैं। ऐसे में मानव और वन्यजीवों के मध्य संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं। बेहद आक्रामक ये भालू मानवों को देखते ही उन पर हमला कर देते हैं। गोरी पार से लेकर नाचनी के निकट नौलड़ा तक के क्षेत्रों में भालुओं के झुंड नजर आते हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।