गंगा किनारे धरोहर में गूंजी डॉ. संतोष नाहर के वाइलिन की धुन
ऋषिकेश में गंगा किनारे श्रुति-सरिता आर्ट के तत्वावधान में ‘धरोहर-2024’ भारतीय शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें दिल्ली से आए प्रख्यात वाइलिन वादक डॉ. संतोष नाहर ने मनमोहक प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ.स्वामी राम के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया गया। वीरभद्र मार्ग पर स्थित अभयम आश्रम में ‘धरोहर-2024’ का आयोजन किया गया। भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध वाइलिन वादक डॉ. संतोष नाहर ने राग चारुकेशी से संगीत संध्या का आरंभ किया, उनके वादन ने श्रोताओं को सुरों से ओत-प्रोत कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके उपरांत उन्होने “पायो जी मैंने राम रत्न धन पायो” भजन की धुन से श्रोताओं को भाव विभोर किया। तबले संगत पर उनके साथ ऋषिकेश से प्रदीप कुमार रहे। कार्यक्रम प्रस्तुति से पूर्व डॉ.संतोष नाहर ने सभी संगीत के साधकों को संबोधित किया। डॉ.नाहर ने शास्त्रीय संगीत के महत्व के साथ, संगीत के सूक्ष्म अवयव, स्वयं का सांगीतिक अनुभव एवं अभ्यास के स्वरूप को बताकर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
श्रुति-सरिता आर्ट के संस्थापक आशीष कुकेरती कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग के लिए “टफ ग्रुप” का धन्यवाद ज्ञापित किया। सचिव साधना मिश्रा ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस दौरान “आई वेल यू” के संस्थापक पवन कुमार मिश्रा, “मोक्सी” के संस्थापक मनीष श्रीवास्तव सहित श्रुति-सरिता आर्ट के सदस्य व पदाधिकारी मौजूद रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शास्त्रीय संगीतज्ञ डॉ. संतोष नाहर ने कहा कि शास्त्रीय संगीत हमारी प्राचीन परंपरा का हिस्सा रहा है। श्रुति-सरिता आर्ट की ओर से धरोहर कार्यक्रम के आयोजन से युवाओं और अन्य लोगों तक शास्त्रीय संगीत का महत्व सभी लोगों तक पहुंचेगा। भारतीय शास्त्रीय संगीत के संरक्षण के लिए श्रुति-सरिता आर्ट का अतुलनीय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारतीय शास्त्रीय संगीत आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार
श्रुति-सरिता आर्ट के संस्थापक आशीष कुकरेती कहते हैं कि भारतीय शास्त्रीय संगीत आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार है। अच्छे संगीत से हमारे आंतरिक स्वरूप में अनेकों प्रकार के सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। हम जैसा संगीत सुनते हैं वैसा ही प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है। संगीत नाद स्वराभ्यास से हमारे शारीरिक एवं मानसिक ऊर्जा में एक विशेष प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन होता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रसार व संरक्षण के लिए श्रुति-सरिता आर्ट प्रतिबद्ध है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।