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November 7, 2024

ऐसे परोसा जा रहा है सच, रामनवमी के दिन हिंसा के बाद जिन तीन बदमाशों के घर तोड़े, वे पहले से थे जेल में बंद

दंगा हुआ शहर में। आगजनी हुई, पथराव हुआ और कई लोगों के घर जले। दंगे के दौरान मूकदर्शक बनने वाली पुलिस भी दंगे के बाद हरकत में आती है और प्रशासन भी।

दंगा हुआ शहर में। आगजनी हुई, पथराव हुआ और कई लोगों के घर जले। दंगे के दौरान मूकदर्शक बनने वाली पुलिस भी दंगे के बाद हरकत में आती है और प्रशासन भी। बगैर किसी जांच के दंगाई की पहचान हो जाती है। बगैर कहीं केस चले ही ऐसे लोगों पर एक्शन भी हो जाता है। एक्शन के तौर पर दंगाई के घरों पर बुलडोजर चला दिया जाता है। ये ही तो सब हम और आपके समक्ष परोसा गया है। जो ऊपर से तो सच लगता है, लेकिन इसमें कितना झूठ है, ये कोई नहीं जानता। यूपी की बुलडोजल नीति को मध्य प्रदेश ने अपनाया तो शुरुआत में ही विवाद उठ गए। अब दंगे को लेकर जिन लोगों के घर तोड़े गए उनमें से तीन लोग ऐसे हैं, जो पहले से ही जेल में बंद थे। दंगे की एफआइआर में उनके नाम जोड़े गए और और घरों पर बुलडोजर चला दिया गया। ये है आज का सच।
मध्यप्रदेश के बड़वानी में पुलिस ने 10 अप्रैल को शहर में हुई सांप्रदायिक झड़पों के दौरान दंगे और आगजनी के आरोप में 11 मार्च से जेल में बंद तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है। दरअसल शहर में सांप्रदायिक दंगों के बाद 10 अप्रैल को दो मोटरसाइकिलों को आग लगाने के आरोप में जिन तीनों पर मामला दर्ज किया गया है, उनकी पहचान शहबाज़, फकरू और रऊफ के रूप में पुलिस ने की। यहां ये भी बताना जरूरी है कि तीनों पांच मार्च से आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास के मामले में जेल में बंद हैं।
बड़वानी पुलिस ने रामनवमी के जुलूस में पथराव और हिंसा के बाद लगभग 1 दर्जन एफआईआर दर्ज की थी। सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि जिस थाने में इन तीन लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था, उसी थाने में उनके खिलाफ दंगा करने का मामला दर्ज किया गया है। अब पुलिस को कौन समझाए कि हिंदी फिल्मों की तरह क्या जेल से निकलकर ये दंगा करने आए और फिर वापस जेल में जले गए। बड़वानी जिले के एसपी ने 11 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था कि 11 मार्च को सिकंदर अली पर फायरिंग के लिए धारा 307 के तहत शहबाज़, फकरू और रऊफ पर मामला दर्ज किया गया था, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। तब से तीनों जेल में हैं।
बड़वानी पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि पहले से ही जेल में बंद तीनों दंगा और आगजनी कैसे कर सकते हैं। सेंधवा एसडीओपी मनोहर सिंह ने इस मामले में कहा कि हम मामले की जांच करेंगे। विवेचना में जेल अधीक्षक से उनकी जानकारी लेंगे, अभी जो मामला दर्ज किया गया है वो फरियादी के आरोपों के आधार पर दर्ज किया गया है।
शहबाज़ की मां सकीना ने आरोप लगाया है कि सांप्रदायिक झड़पों के बाद उनके घर को तोड़ दिया गया था और उन्हें कोई नोटिस दिया गया था। यहां पुलिस आई मेरा बेटा डेढ़ महीने से जेल में है। उसको आपसी झगड़े में अंदर कर दिया था। यहां पुलिस ने आकर हमें बाहर कर दिया। बोला आपका घर तोड़ना है। हमारा सामान भी तितर-बितर कर दिया। मेरे बच्चे का कहीं से कुछ था ही नहीं। वो तो जेल में था। वो तो पुलिस को पूछना चाहिये उसपर क्यों एफआईआर दर्ज की।
उन्होंने कहा कि किस वजह से उसका नाम आया। मुझे पुलिस से पूछना है किसने उसको बाहर किया। हमने उस समय पुलिसवालों को बताया कि बेटा तो जेल में है, लेकिन हमारी कोई सुनने को तैयार ही नहीं था। हमने हाथ जोड़ा, माफी मांगी। छोटे बेटे का नाम एफआइआर में ही नहीं था। उसको भी उठाकर लेकर गये। शाहबाज़ आदतन अपराधी है उसके खिलाफ महाराष्ट्र के अकोला में हत्या और मध्यप्रदेश के सेंधवा में 5 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। फखरू के खिलाफ 2 और रऊफ के खिलाफ 4 से अधिक मामले दर्ज हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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