सामने आ रहा है चुनावी चंदे का सचः जिनकी हुई जांच, उन्होंने ही दिया बीजेपी को चंदा, ममता बनर्जी भी कम नहीं
गुरुवार को चुनाव आयोग ने जो डेटा जारी किया है, उससे सारी जानकारी सार्वजनिक हो गई है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिये किस पार्टी को किस कंपनी की ओर से चंदे के रूप में कितनी बड़ी रक़म मिली है। यह डेटा 12 अप्रैल 2019 से 24 जनवरी 2024 तक ख़रीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड का है। अब नई जानकारी से बीजेपी पूरी तरह से एक्सपोज नजर आ रही है। साफ तौर पर नजर आ रहा है कि गिरफ्तारी के डर से कुछ लोगों ने बीजेपी को चंदा दिया। फिर इन कंपनियों को कथित तौर से बीजेपी ने क्या फायदा पहुंचाया, इस खबर में हम इसे भी बताने का प्रयास करेंगे। हम मीडिया में प्रकाशित अलग अलग खबरों को समेटकर आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। दिलचस्प बात यो ये है कि कटघरे में ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार भी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इलेक्टोरल बांड आज तक का सबसे बड़ा घोटाला नजर आ रहा है। इसे सुप्रीम कोर्ट भी असंवैधानिक करार दे चुका है। इसमें डराना भी है, धमकाना भी है। साथ ही इसमें ब्लैकमेलिंग भी है। अब भी लोगों को समझ नहीं आएगा कि ना खाऊंगा और ना ही खाने दूंगा। ये सिर्फ एक जुमला ही था, या कुछ और है। फिर हम भी कुछ नहीं कह सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ़्रास्ट्रक्टर लिमिटेड (एमईआईएल) ने बीजेपी को 584 करोड़ रुपए का चंदा दिया है। एमईआईएल ने अपने कुल डोनेशन का 60 फ़ीसदी बीजेपी को दिया है। यह किसी भी डोनर का किसी एक पार्टी को दिया गया सबसे बड़ा चंदा है। इसके अलावा एमईआईएल ने 195 करोड़ रुपए तेलंगाना में केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति को दिए। यह रक़म उसके कुल डोनेशन का 20 फ़ीसदी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके को एमईआईएल से 85 करोड़ रुपए मिले हैं। इसी की सहायक कंपनी वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने 110 करोड़ रुपए का चंदा कांग्रेस को और 80 करोड़ रुपए बीजेपी को दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लॉटरी किंग नाम से मशहूर सैंटियागो मार्टिन की फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज पीआर ने सबसे ज़्यादा तृणमूल कांग्रेस को 542 करोड़ रुपए का चंदा दिया है। फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने 1,368 करोड़ रुपए की क़ीमत के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे थे। इस रक़म का 39.6 फ़ीसदी हिस्सा ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को मिला है और इसके बाद डीएमके को 36.7 प्रतिशत (503 करोड़ रुपए) मिला है, जबकि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी 154 करोड़ रुपए मिले हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी को इस कंपनी से 100 करोड़ रुपए मिले हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 21 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड के अल्फा न्यूमरिक नंबर्स जारी करने के लिए कहा था. इस अल्फ़ा न्यूमरिक नंबर्स से पता चलना था कि किस राजनीतिक पार्टी को किस कंपनी या व्यक्ति से चंदे के रूप में कितनी बड़ी रक़म मिली है। सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश से पहले एसबीआई अल्फ़ा न्यूमरिक नंबर देने से बच रहा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दो सेट में दी गई जानकारी
पहले सेट में 386 पन्नों में ये जानकारी है कि किस कंपनी ने किस तारीख़ को कितने रुपए का इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदा। इस सूची में चुनावी बॉन्ड का नंबर और उसे जारी करने वाली ब्रांच के कोड भी दिए गए हैं। दूसरे सेट में 552 पन्नों में सूचीबद्ध तरीक़े से बताया गया है कि किस राजनीतिक दल ने किस तारीख़ को कितने रुपए का चुनावी बॉन्ड भुनाया। इस सूची में भी बॉन्ड का नंबर दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सबसे बड़े सवाल
-फ्यूचर गेमिंग ने 1368 रुपये चंदे के रूप में दिए, इनमें टीएमसी को पांच सौ करोड़ का चंदा दिया। बंगाल में लॉटरी व्यवसाय गली गली फैल चुका है। क्या युवाओं का यही भविष्य है।
-दिल्ली आबकारी नीति के मामले में 10 नवंबर 2022 अरविंदो फार्मा के पिनाका शरद चंद्र रेड्डी को गिरफ्तार किया जाता है। पांच दिन बाद अरविंदो फार्मा इलेक्ट्रोरल बांड के जरिये बीजेपी को पांच करोड़ रुपये दे देती है। इसके बाद एक जून 2023 को शरद चंद्र सरकारी गवाह बन जाते हैं। आठ नवंबर 2023 को शरद के अरविंदो फार्मा और एपीएल हेल्थ की तरफ से बीजेपी को 35 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा दिया जाता है। दोनों ने कुल मिलाकर बीजेपी को 40 करोड़ का चंदा दिया। इसी मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में क्या चुनावी चंदा लेने के लिए पहले ब्लैकमेलिंग नहीं की गई। ये सवाल सबसे अहम है।
-केविंटर ग्रुप ने बीजेपी को 320 करोड़ रुपये दिए। रिपोर्टर्स कलक्टिव की रिपोर्ट के मुताबिक ये 320 करोड़ रुपये तब दिए गए, जब ईडी उसके पीछे पड़ी हुई थी। केविंटर का ममता बनर्जी सरकार के साथ एक डेयरी में ज्वाइंट प्रोजेक्ट हुआ था। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने शेयर को अंडर वैल्यू किया और कम दामों पर बेचा। तब ईडी पीछे पड़ी। अदालत में मामला गया। अदालत में पश्चिम बंगाल सरकार को जीत मिली। 320 करोड़ तक दिए जब ईडी पीछे पड़ी थी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी कई सवालों का जवाब देना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-फ्यूचर गेमिंग ने सबसे ज्यादा 1368 करोड़ रुपये का राजनीतिक चंदा दिया। इसमें सिर्फ बीजेपी को सौ करोड़ रुपये गया। सीएजी ने फ्यूचर गेमिंग के खिलाफ 2017 से गड़बड़ की बात की थी। 2019 से उनके खिलाफ कार्रवाई होती है। ईडी फ्यूचर गेमिंग की 400 करोड़ की संपत्ति जब्त करती है। फ्यूचर गेमिंग के सैंटियागो मार्टिन को गिरफ्तार नहीं किया जाता है। हालांकि, अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार हो चुके हैं। अब कारण क्या है, लेकिन ये भी सच है कि उनके बड़े बेटे चार्ल्स जोस मार्टिन बीजेपी में चले गए। जिसकी कंपनी के खिलाफ जांच चल रही है, उसके बेटे का बीजेपी में राम माधव जैसे नेता स्वागत करते हैं। क्या से सौ करोड़ के अलावा और भी डील है।
-कटघरे में ममता बनर्जी भी हैं। फ्यूचर गेमिंग ने 1368 करोड़ में से पांच सौ से छह सौ करोड़ टीएमसी को दिया। पश्चिम बंगाल की गली गली में लॉटरी के बैनर आपको नजर आ जाएंगे। वायर की खबर में भी ऐसा ही दावा किया गया कि है डियर लॉटरी के बैनर जगह जगह दिख जाएंगे। लोगों को लॉटरी के जरिये एक करोड़ जीतने का प्रलोभन दिया जाता है। वायर की पड़ताल के मुताबिक, फ्यूचर गेमिंक डियर लॉटरी चलाता है। इसके तीन जैकपॉट एक एक करोड़ के निकाले जाते हैं। ये तीन लोग भी टीएमसी के नेताओं से जुड़े होते हैं। अगस्त 2022 में रुचिका गुप्ता का जैकपॉट निकलता है। वह जोड़ासांको के विधायक विवेक गुप्ता की पत्नी हैं। इसके अलावा नीरू सिंह टीएमसी के नरहटी विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह की साली का भी एक करोड़ रुपये का जैकपॉट निकलता है। इसे भी फ्यूचर गेमिंग होटल सर्विसेज ने आयोजित किया था। क्या ममता बनर्जी इन सवालों का जवाब देंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-वेदांता ने 402 करोड़ के बॉंड खरीदे। इनमें बीजेपी को 227 करोड़ रुपये का चंदा दिया। यानि 60 फीसद पैसा बीजेपी की जेब में डाला। 2018 में वेदांता के खिलाफ ईडी ने जांच शुरू की थी। 2022 को सीबीआई जांच शुरू हुई थी।
-मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने 968 करोड़ के चुनावी बॉंड खरीदे। इनमें सबसे ज्यादा पैसा 519 करोड़ रुपये बीजेपी को दिए। मेगा को तमाम प्रोजेक्ट मिले। इसके तेलंगाना के प्रोजेक्ट पर सीएजी ने भी सवाल उठाया था। 2019 में इस कंपनी पर आयकर की रेड पड़ी। फिर ईडी की जांच शुरू हुई। इतना सब कुछ होने के बाद भी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी सदन में इस कंपनी की तारीफों के पुल बांधते नजर आए।
-भारतीय एयरटेल ने बीजेपी को 236 करोड़ रुपये दिए। ये भी सवाल है कि इस चंदे की एवज में इस कंपनी को कितना फायदा पहुंचाया गया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।