Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 24, 2025

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर उत्तराखंड में भी हड़ताल का व्यापक असर, कई संगठनों ने की भागीदारी

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आज उत्तराखंड में संयुक्त ट्रेड यूनियंस संघर्ष समिति की हड़ताल का भी व्यापक असर रहा। हड़ताल में सीटू, इंटक, एटक, बैंक, बीमा, आशा, आंगनवाड़ी, भोजन माता यूनियन, बिजली, संविदा कर्मचारी, ठेका कर्मचारियों, बस्ती बचाओ आंदोलन सहित अन्य कई संगठनों ने हड़ताल में भागेदारी की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत विभिन्न श्रमिक संगठन देहरादून में राजपुर रोड स्थित गांधी पार्क में इकठ्ठा हुए। यहां से जिला मुख्यालय तक रैली निकाली गई। इससे पहले गांधी पार्क में आयोजित सभा में इंटक के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने केंद्र की मोदी सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट हो कर संघर्ष करने का आह्वान किया। उन्होंने चार श्रम संहिताओं को रद्द करने की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर सीटू के प्रांतीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि केंद्र की मोदी और उत्तराखंड की धामी सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों को हम लागू नहीं होने देंगे। इन नीतियों से श्रमिक वर्ग गुलामी के अंधेरे में धकेल दिया जाएगा। इसीलिए आज पूरे देश का मजदूर हड़ताल पर हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

सीटू के प्रांतीय सचिव लेखराज ने कहा कि सरकार को श्रम संहिताओं को रद्द कर श्रम कानूनों को ओर अधिक प्रभावशाली बनाया जाना चाहिए। ये सरकार इसके उल्ट कर रही है। सन 2020 में पूरी दुनियां करोना महामारी से जूझ रही थी। उस समय सांसदों को निलंबित कर संसद में 44 में से 29 प्रभावशाली श्रम कानूनों को समाप्त कर मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को कानून के रूप में बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। ये प्रस्ताव पूर्ण रूप से मालिकों के पक्ष में है। केंद्र सरकार मजदूरों को 26 हजार न्यूनतम वेतन देने के बजाय मालिकों और पूंजीपतियों को ही पोषित करने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि मजदूर वर्ग इनकी चाल को समझ गया है जो इनको लागू भी होने देगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर इंटक के प्रांतीय महासचिव पंकज क्षेत्री ने कहा कि राज्य की धामी सरकार के 12 घंटे कम करने के आदेश से इस सरकार का मजदूर विरोधी चेहरा सामने आ गया है। एटक के प्रांतीय महामंत्री अशोक शर्मा ने इस देशव्यापी हड़ताल को एक ऐतिहासिक हड़ताल कहा। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ बैंक, बीमाकर्मी हड़ताल पर हैं, वहीं, मोदी सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ आशा, आंगनवाड़ी, भोजन माता, संविदा, ठेका मजदूर हड़ताल में शामिल होकर इस सरकार को मजदूर वर्ग के खिलाफ रोकने का काम कर रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गांधी पार्क से दोपहर करीब 12 बजे सीटू, एटक व इंटक से जुड़ी यूनियन से जुड़े लोगों ने जिला मुख्यालय तक रैली निकाली और केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों का विरोध किया। जिला मुख्यालय में नगर मजिस्ट्रेट प्रत्यूष कुमार के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदर्शनकारियों में सीटू के कृष्ण गुनियाल, मनमोहन रौतेला, धीरज कुमार, एसनेगी, भगवंत पायल, रविन्द्र नौडियाल, किसान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह साजवान, गंगाधर नौटियाल, शिव प्रसाद देवली, इंटक के वीरेंद्र नेगी, हिमांशु नेगी, एटक के समर भंडारी, अनिल उनियाल, विक्टर थॉमस, चंपा देवी, जनवादी महिला समिति की प्रांतीय महामंत्री दमयंती नेगी, नूरेशा अंसारी, आंगनवाड़ी की प्रांतीय अध्यक्ष जानकी चौहान, महामंत्री चित्रा, रजनी गुलेरिया, लक्ष्मी पंत, सुनीता रावत, आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे, सुनीता चौहान, कलावती चंदोला, भोजन माता कामगार यूनियन से बबीता, सुनीता, मीनू नेगी, एसएफआई के प्रांतीय अध्यक्ष नितिन मलेथा, महामंत्री शैलेन्द्र परमार, कनिका, अंशिका, इंतजाम आदि शामिल रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

आशाओं की मांग
इससे पहले उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे ने आशा वर्कर्स की मांगों को दोहराया। इन मांगों में चार श्रम कोड वापस लेने, आशाओं को न्यूनतम वेतन 26000 हजार करने, आशा वर्कर्स को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने, रिटायरमेंट के बाद पेंशन, अस्पताल में सम्मानजनक व्यवहार, ट्रेनिंग स्वास्थ्य विभाग की ओर से कराने, एनजीओ का हस्तक्षेप बंद करने, ट्रेनिंग का प्रतिदिन न्यूनतम 500 रूपये भुगतान करने, सभी बकाया राशि का भुगतान, हर माह का पैसा हर माह खाते में डालने आदि की मांगों को दोहराया।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *