संस्कार, संस्कृति और करुणा का संगम बना एसआरएचयू रामलीला महोत्सव, हनुमान उठाकर लाए पर्वत, लक्ष्मण की बचे प्राण

देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू), जौलीग्रांट परिसर में हिमालयन रिक्रेएशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट (एचआरडब्ल्यूटी) की ओर से रामलीला में लक्ष्मण मेघमाद युद्ध, लक्ष्मण शक्ति और कुंभकर्ण बध का शानदार मंचन किया गया। रामलीला महोत्सव का शुभारंभ मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री व विधायक प्रेमचंद्र अग्रवाल व विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित व नवदुर्गा की भव्य आरती के साथ किया। संपूर्ण परिसर भक्ति और अध्यात्म की भावना से गूंज उठा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रामलीला का मुख्य आकर्षण राम सेना और रावण सेना का युद्ध रहा। लक्ष्मण-मेघनाथ युद्ध हुआ तो छल से मेघनाद ने लक्ष्मण पर वार कर मूर्छित कर दिया। जब मेघनाथ के नागपाश से लक्ष्मण मूर्छित हो गए, तब अंगद द्वारा सुषेण वैद्य को वानर शिविर में लाया गया। सुषेण वैद्य रामायण के प्रसिद्ध चिकित्सक थे, जो लंका नगरी में राक्षस राजा रावण के दरबार के निजी वैद्य के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने बताया कि लक्ष्मण के उपचार के लिए संजीवनी बूटी ही सहायक होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुषेण वैद्य के कहने पर हनुमान संजीवनी बूटी की तलाश में निकल गए। बूटी की पहचान नहीं होने के कारण उन्होंने पूरा पहाड़ की उठा लिया। जब वह आसमान में पहाड़ लेकर जा रहे थे, तो रास्ते में भरत की निगाह उन पर पड़ती है। वह समझते हैं कि कोई राक्षस पहाड़ लेकर जा रहा है। कहीं ऐसा ना हो कि ये राक्षस वन में राम के लिए घातक बन जाए। इस पर वह तीर मारकर हनुमानजी को नीचे गिरा देते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हनुमान के मुंह से जय श्रीराम छूटता है, तो भरत असमंजस में पड़ जाते हैं। इसके साथ ही हनुमान-भरत संवाद ने भी दर्शकों का मन मोह लिया, जिसमें भरत का अपने भाई श्रीराम के प्रति प्रेम और अटूट समर्पण दिखाई दिया। फिर भरत तीर में बैठाकर हनुमान को लंका की तरफ भेजते हैं। सुषेण वैद्य के प्रयासों से लक्ष्मण की जान बच जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी क्रम में कुंभकरण वध का रोमांचक प्रसंग भी मंचित किया गया। विशालकाय और वीर योद्धा कुंभकरण के युद्ध कौशल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। कुंभकर्ण को जगाने के काफी देर तक प्रयास होते रहे और बड़ी मुश्किल से उनकी निंद्रा टूटी। कुंभकर्ण भी रावण को पहले समझाता है कि उसने गलत किया। जब वह नहीं माना तो वह राम लक्ष्मण से युद्ध करने को तैयार हो जाता है। वहीं भगवान श्रीराम ने बाणों से उसका वध कर धर्म की विजय और अधर्म के विनाश का सशक्त संदेश दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रामलीला के विभिन्न पात्रों की भूमिका विश्वविद्यालय के स्टाफ और छात्र-छात्राओं ने निभाई। उनके उत्कृष्ट अभिनय ने भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा का जीवंत चित्रण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं एवं स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। आयोजन को सफल बनाने में एचआरडब्ल्यूटी की टीम ने समर्पित भाव से योगदान दिया। संचालन में सुनील खंडूड़ी, गरिमा कपूर, योगेश, गितिका, आकांक्षा, आराधना, अनीता, अराधना, बलवंत, नैंसी, भुवन आदि ने सहयोग दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कलाकारों के नाम
राम- दीपक
लक्ष्मण- आयुष
भरत- जितेंद्र
शत्रुघ्न- देवेंद्र
सीता- सुशील
हनुमान- सुधीर जोशी
रावण- मनीष गौड़
कुंभकरण- अमरेंद्र कुमार
मेघनाथ- मंजीत
विभीषण- डॉ.अंकित
जामवंत- रुपेश महरोत्रा
सुग्रीव- समीर
अंगद- भुवन
नल- अमित जोशी
नील- हिमांशु नेगी
संचालन- गरिमा कपूर,
सुषेण वैद्य- विजय रावत
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो। यदि आप अपनी पसंद की खबर शेयर करोगे तो ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी। बस इतना ख्याल रखिए।

Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।