Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 23, 2024

मेक इन इंडिया के प्रयासों का साइड इफेक्ट, भारत में तेजी से हो रही है हथियारों की कमी, चीन और पाकिस्तान के खतरे के समाने कमजोर

1 min read

भारत की रक्षा प्रणाली को देश में निर्मित करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास का भारत में साइड इफेक्ट भी पड़ रहा है। ये प्रयास भारत को चीन और पाकिस्तान के खतरे के सामने कमजोर बना रहे हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। उनका कहना है कि भारत की वायुसेना, थलसेना और नौसेना पुराने पड़ रहे हथियारों को बदलने के लिए कुछ ज़रूरी हथियार तंत्र आयात नहीं कर पा रहे हैं। इसके कारण साल 2026 तक भारत के पास हेलीकॉप्टर्स की भारी कमी हो जाएगी। साथ ही 2030 तक सैकड़ों लड़ाकू विमान कम पड़ जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने मोबाइल फोन से लेकर फाइटर जेट तक देश में बनाने के लिए “मेक इन इंडिया” नीति सार्वजनिक की। इसका लक्ष्य अधिक रोजगार पैदा करना और विदेशी मुद्रा को देश से बाहर जाने से रोकना था, लेकिन आठ साल बाद दुनिया में सैन्य हथियारों का सबसे बड़ा आयातक देश रहा भारत अभी भी अपनी ज़रूरतों को पूरा करने लायक हथियार स्थानीय स्तर पर बना नहीं पा रहा है। इसके साथ ही सरकार के नियम आयात को रोक रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम 30 से 60 फीसद कलपुर्ज़ों को देश में बनाने का आदेश देता है। यह इस पर निर्भर होता है कि सैन्य खरीद कैसी है और इसे कहां से खरीदा जा रहा है। भारत में पहले ऐसी कोई सीमा निर्धारित नहीं थी और फिर भारत ने रक्षा खरीद की लागत घटाने के लिए घरेलू स्तर पर निर्मााण का तंत्र प्रयोग किया। चीज़ें थम गईं और भारत की सैन्य तैयारी पहले से भी कम होने वाली है। वो भी तब जब पाकिस्तान और चीन की तरफ से भारत खतरे का सामना कर रहा है। एक सूत्र ने कहा कि भारत के लिए कमजोर वायुसेना के मायने होंगे कि उसे चीन का सामना करने के लिए जमीन पर लगभग दोगुने सैनिकों की आवश्यकता पड़ेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ब्लूमबर्ग ने तीनों सेवाओं के कई अधिकारियों से इस खबर के लिए बात की। उन्होंने पहचान सार्वजनिक ना करने की शर्त पर यह संवेदनशील जानकारी साझा की। भारत के रक्षा मंत्रालय ने इस खबर पर टिप्पणी के लिए भेजी गई ई-मेल्स का कोई जवाब नहीं दिया, जबकि भारत की सेना ने कुछ सैन्य सामानों के लिए स्थानीय स्तर पर खरीद बढ़ा दी है, लेकिन देश में फिलहाल अभी डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी और दो इंजन वाले फाइटर जेट्स के निर्माण का मंच अभी तैयार नही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारत की विदेशों से लड़ाकू विमान खरीदने की योजना एक ओर धरी हुई है। क्योंकि मोदी सरकार चाहती है कि वायुसेना देश में बने एक इंजन वाले फाइटर जेट अपना ले। यह ना केवल सप्लाई में कम हैं, जबकि डबल इंजन वाले फाइटर प्लेन का भारत में अभी निर्माण नहीं होता है। अधिकारियों ने बताया कि बंगलुरू स्थित डिफेंस निर्माण कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड हर साल केवल आठ स्वदेशी फाइटर जेट तेजस बना सकती है। कंपनी साल 2026 तक अपनी निर्माण क्षमता दुगनी करने का लक्ष्य रखती है, लेकिन रूस यूक्रेन युद्ध के कारण रुकी सप्लाई चेन की वजह से इसमें और देरी हो सकती है।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *