अपर सहायक अभियंता की खो गई सेवा पुस्तिका, अधिशासी अभियंता ने दिए चावल लेकर मंदिर जाने के आदेश, अब मांगा गया स्पष्टीकरण

दुनिया भर के देश अंतरिक्ष और ब्रह्लांड में विभिन्न खोजों पर जुटे हैं, लेकिन भारत में लोग मंदिर से आगे बढ़ने को तैयार नहीं हैं। हालांकि, ये आस्था का विषय है, लेकिन किसी भी समस्या का समाधान सिर्फ इंसान की मेहनत पर टिका होता है। अब इसे क्या कहेंगे कि किसी अधिकारी की सेवा पुस्तिका खो जाती है तो दूसरा अधिकारी समस्त स्टाफ को दो मुट्ठी चावल लेकर मंदिर में जाने के लिए लिखित आदेश दे डालता है। वो भी ऐसे विभाग में जहां पढ़े लिखे लोगों की भरमार है और वे इंजीनियर हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अधिशासी अभियंता ने जारी किए ये आदेश
उत्तराखंड में लोक निर्माण विभाग लोहाघाट के राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के अधिशासी अभियंता इंजीनियर आशुतोष कुमार की ओर से जारी आदेश उत्तराखंड में चर्चा का विषय बने हैं। अपने अधिनस्थ स्टाफ को उन्होंने लिखित में ऐसा अजीबोगरीब आदेश दिया कि जो अब वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया कि खंड में कार्यरत अपर सहायक अभियंता जय प्रकाश की सेवा पुस्तिका अधिष्ठान सहायक प्रथम की अलमारी से खो गई है। काफी खोजबीन के बाद सेवा पुस्तिका नहीं मिली, जो कि खेद का विषय है। इस कारण जय प्रकाश मानसिक रूपर से चिंतित हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आदेश में कहा गया कि विचार आया कि सेवा पुस्तिका नहीं मिलने की दशा में क्यों ना कार्यलय के समस्त अधिकारी और कर्मचारी दैवीय आस्था के आधार पर अपने अपने घरों से दो मुट्ठी चावल मांग कर किसी मंदिर में डाल आएं। ऐसा करने से देवता न्याय करेंगे। आदेश में कहा गया कि सभी 17 मई को कार्यालय में उपस्थित होने पर दो मुट्ठी चावल जमा करा दें। ताकि समस्या का समाधान हो सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देखें आदेश

अधिशासी अभियंता के आदेश को लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता राजेश चंद्र ने गंभीरता से लिया है। साथ ही उटपटांग आदेश जारी करने पर अधिशासी अभियंता को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है। नोटिस में कहा गया कि सेवा पुस्तिका खोने पर इसे दैवीय आस्था का आधार बनाकर स्टाफ से दो मुट्ठी चावल मंगवाकर किसी मंदिर में डालने का आदेश कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन है। साथ ही ये पूछा कि ऐसा आदेश किस उद्देश्य से शासकीय कार्यशैली में लिया गया है। इसके लिए अधिशासी अभियंता से तीन दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देखें आदेश
अब ऐसा ही होगा
ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटना पहली बार हो रही है। अप्रैल माह में दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन अशोक विहार स्थित लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्राचार्य डॉ. प्रत्यूष वत्सला ने कॉलेज की एक कक्षा की दीवारों पर गोबर का लेप दिया था। इसके पीछे तर्क दिया गया कि एक ये संकाय सदस्य द्वारा शुरू की गई शोध परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक भारतीय तकनीकों का उपयोग कर तापीय तनाव को नियंत्रित करना है। इस घटना का काफी विरोध हुआ था और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रौनक खत्री ने प्राचार्य के कार्यालय की दीवारों को गोबर लेप दिया था। साथ ही कहा था कि मैडम अब अपने कमरे से एसी हटवाकर उसे छात्रों को सौंप देंगी और कॉलेज को गाय के गोबर से लिपे आधुनिक और प्राकृतिक शीतल वातावरण में चलाएंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुलिस का काम किया हल्का
अब इससे एक कदम और आगे बढ़कर उत्तराखंड में एक अधिकारी ने तो पुलिस का काम ही हल्का कर दिया। गुम हुई फाइल की शिकायत पुलिस से करने की बजाय ऐसा प्रयोग बता दिया जो शायद किसी भी पढ़े लिखे व्यक्ति को हजम नहीं होगा। फिर तो इस तरह के अधिकारी को ये भी बताना चाहिए कि यदि कोई बच्चा किसी परीक्षा की तैयारी ना करे तो क्या दो मुट्ठी चावल मंदिर में डालने से वह उत्तीर्ण हो जाएगा। कोरोनाकाल में भी इस तरह के कई लोगों ने गोबर से कोरोना का इलाज करने की पैरवी कर डाली थी, जबकि समाधान वैक्सीन से ही हो पाया था।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।