Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

October 26, 2025

देश की आजादी के साथ शुरू हुआ युगवाणी का प्रकाशन, आज है जन जन की वाणी

उत्तराखंड में पत्रकारिता के नए-नए आयाम दिए हैं। इसमें आज हिमालयी सरोकारों से संबद्ध युगवाणी का भी नाम आता है। यह पत्रिका उत्तराखंड ही नहीं, अपितु विदेशों में बसे प्रवासी उत्तराखंडियों की भी वाणी बनी हुई है। इस युगवाणी को शुरू करने वाले आचार्य गोपेश्वर कोठियाल के बारे में यहां बताया जा रहा है। जानिए इतिहासकार एवं दून निवासी देवकी नंदन पांडे से।
सन 1909 में टिहरी रियासत के उदखंडा नामक ग्राम में एक संपन्न परिवार में आचार्य गोपेश्वर कोठियाल का जन्म हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गांव में पूरी करने के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए काशी गए। काशी गए। जहां उन्होंने शिक्षा की सर्वोच्च आचार्य परीक्षा उत्तीर्ण की। आचार्य की उपाधी ग्रहण करने के उपरांत कोठियालजी ने सारस्वत मार्ग का आवलंबन न कर उसमें समयोचित संशोधन करते हुए पत्रकारिता के जटिल पथ को अपनाया और उस मार्ग पर आजीवन चले।
15 अगस्त 1947 की भारतभूमि पर स्वतंत्रता की लोकापगा का अवतरण हुआ। उसी तिथि पर आचार्य ने युगवाणी का प्रकाशन आरंभ किया। देहरादून से प्रकाशित यह समाचार पत्र पर्वतीय लोक संस्कृति को विशिष्टता को उजागर करने के साथ ही संपूर्ण उत्तराखंड के दूसस्थ गांव गांव की वाणी बना। स्वतंत्रता के पश्चात भी गुलामी के अवशेष के रूप में मदमस्त टिहरी रियासत को सामंतशाही के चुंगल से मुक्त कराने में इस साप्ताहिक समाचार पत्र की महान भूमिका रही।
युगवाणी में संस्कृति और विकास के लिए ऋषिकल्प व्यक्तित्व् आचार्य गोपेश्वर कोठियाल आजीवन प्रयासरत रहे। पत्रकारिता के मूल्यों के मूर्तिमान प्रतीक और हिंदी पत्रकारिता के युगस्तंभ आचार्यजी का देहावसान 19 मार्च 2000 को हुआ।


आचार्य जी के निधन के पश्चात पत्रकारिता के समुज्जवल संस्कारों में ढले उनके ज्येष्ठ पुत्र संजय कोठियाल ने निजी प्रयासों से युगवाणी के आकार और रंग रूप में परिवर्तन लाकर इसे साप्ताहिक से मासिक पत्रिका का स्वरूप दिया। साथ ही इसमें उन लेखकों को समबद्ध किया, जो वैचारिक समपन्नता से राज्य को सामाजिक व आर्थिक सुदृढ़ता देने में सक्षम हैं। आज हिमालयी सरोकारों से संबद्ध युगवाणी उत्तराखंड ही नहीं, अपितु विदेशों में बसे प्रवासी उत्तराखंडियों की भी वाणी बनी हुई है।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *