द न्यूयॉर्क टाइम्स का खुलासाः भारत ने इजराइल से 2017 में खरीदा था पेगासस स्पाइवेयर
‘The Battle for the World’s Most Powerful Cyberweapon’ वाली हेडिंग के साथ NYT ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इजरायली फर्म एनएसओ ग्रुप करीब एक दशक से अपने स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर को दुनिया भर में कानून-प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों को सदस्यता के आधार पर बेच रहा था। इस फर्म का दावा है कि यह स्पाइवेयर जो कर सकता है वह कोई और नहीं कर सकता। ना एक निजी कंपनी और ना ही देश खुफिया एजेंसी। इसके जरिये किसी भी आईफोन या एंड्रॉइड स्मार्टफोन के एन्क्रिप्टेड कम्यूनिकेश को लगातार और विश्वसनीय तरीके से हैक किया जा सकता है। रिपोर्ट में जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजराइल यात्रा का भी उल्लेख किया गया है, इस यात्रा के बाद इजरायल का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधान मंत्री बने थे।
मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था। फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है। ये देशद्रोह है।
मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है। pic.twitter.com/OnZI9KU1gp
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 29, 2022
राहुल गांधी ने कहा-मोदी सरकार ने किया देशद्रोह
रिपोर्ट का खुलासा होने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था। फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है। ये देशद्रोह है. मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।
Modi Govt bought Pegasus to spy on our primary democratic institutions, politicians and public. Govt functionaries, opposition leaders, armed forces, judiciary all were targeted by these phone tappings. This is treason.
Modi Govt has committed treason.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 29, 2022
राज्यसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘मोदी सरकार ने भारत के दुश्मनों की तरह काम क्यों किया और भारतीय नागरिकों के खिलाफ युद्ध के हथियार का इस्तेमाल क्यों किया? पेगासस का इस्तेमाल कर अवैध जासूसी करना देशद्रोह की श्रेणी में आता है. कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि न्याय मिले।
Why did Modi Govt act like the enemies of India and use a warfare weapon against Indian citizens?
Illegal snooping using Pegasus amounts to treason. No one is above the law and we will ensure that justice is served.https://t.co/qTIqg3yNdq
— Mallikarjun Kharge (@kharge) January 29, 2022
शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि एक स्पाइवेयर का इस्तेमाल रक्षा उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि विपक्ष और पत्रकारों की जासूसी करने के लिए किया जाता है। भाजपा है तो मुमकिन है, देश को बिग बॉस का शो बना डाला है।
Indian taxpayers money used for snoop and surveilling Indians! Hard earned money used to turn the country into one massive big boss studio just to monitor its own countrymen. This tech could have been used to ensure neighbouring nations do not occupy our territory but alas! https://t.co/q0OYTIdfDE
— Priyanka Chaturvedi?? (@priyankac19) January 29, 2022
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि भारतीय करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल भारतीयों की जासूसी और निगरानी के लिए किया जाता है! अपने ही देशवासियों पर नजर रखने के लिए मेहनत की कमाई देश को बिग बॉस के स्टूडियो में बदलने के लिए खर्च की जा रही है। इस तकनीक का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता था कि पड़ोसी देश हमारे क्षेत्र पर कब्जा न करें लेकिन अफसोस!’
उठाए जाते रहे सवाल
पेगासस को इसराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ने तैयार किया है। बांग्लादेश समेत कई देशों ने पेगासस स्पाईवेयर खरीदा है। इसे लेकर पहले भी विवाद हुए हैं। मेक्सिको से लेकर सऊदी अरब की सरकार तक पर इसके इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाए जा चुके हैं। व्हाट्सऐप के स्वामित्व वाली कंपनी फेसबुक समेत कई दूसरी कंपनियों ने इस पर मुकदमे किए हैं।
हालांकि, एनएसओ ने पहले खुद पर लगे सभी आरोपों को खारिज किए हैं। ये कंपनी दावा करती रही है कि वो इस प्रोग्राम को केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचती है और इसका उद्देश्य “आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना” है। हालिया आरोपों को लेकर भी एनएसओ ने ऐसे ही दावे किए हैं। सरकारें भी जाहिर तौर पर बताती हैं कि इसे खरीदने के लिए उनका मकसद सुरक्षा और आतंकवाद पर रोक लगाना है, लेकिन कई सरकारों पर पेगासस के ‘मनचाहे इस्तेमाल और दुरुपयोग के गंभीर’ आरोप लगे हैं।
भारत में ये थे संभावित टारगेट
बता दें, द वायर की रिपोर्ट में बताया गया है कि कांग्रस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, दो केंद्रीय मंत्री, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी और 40 भारतीय पत्रकार जासूसी के संभावित टारगेट थे। यह लिस्ट भारत की एक अज्ञात एजेंसी की है, जो कि इयरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का स्पाइवेयर Pegasus यूज करती है। एनएसओ का कहना है कि यह अपना Pegasus स्पाइवेयर केवल ‘जांची-परखी सरकारों’ को ही आतंक से लड़ने के मकसद से देती है। किसी भी प्राइवेट कंपनी को यह स्पाइवेयर नहीं दिया जाता है।
भारत सरकार ने किया था इनकार
हालांकि, भारतीय सरकार ने इसमें अपनी भूमिका से साफ इनकार किया था। वहीं, कांग्रेस समेट विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेरती रही हैं। कांग्रेस ने इसे लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग तक की थी। साथ ही इसमें पीएम मोदी की भूमिका की जांच की मांग भी की थी।
ये हुआ था खुलासा
भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के फोन नंबर उस लीक डाटाबेस में पाए गए हैं, जिन्हें इजरायली स्पाईवेयर पेगासस Pegasus के इस्तेमाल से हैक किया गया है। द वायर सहित 16 मीडिया संस्थानों की पड़ताल में यह जानकारी सामने आई है। प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया था कि लीगल कम्यूनिटी मेंबर्स, बिजनेसमैन, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, कार्यकर्ताओं और अन्यों के नंबर इस लिस्ट में शामिल हैं। इस लिस्ट में 300 से ज्यादा भारतीय मोबाइल नंबर हैं। हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस सहित बड़े मीडिया संस्थानों के बड़े पत्रकारों को भी निशाना बनाया गया है।
चुनावों के दौरान बनाया गया निशाना
द वायर (The Wire) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2019 के लोकसभा आम चुनावों से पहले 2018 और 2019 के बीच ज्यादातर को निशाना बनाया गया। पेगासस को बेचने वाली इजरायली कंपनी NSO ग्रुप का दावा है कि वह अपने स्पाईवेयर केवल अच्छी तरह से जांची-परखी सरकारों को ही ऑफर करती है।
क्या है पेगासस
पेगासस को बनाने वाले एनएसओ ग्रुप ने अपनी ट्रांसपेरेंसी और रिस्पॉसिबिलिटी रिपोर्ट 2021 में कहा है कि इसके उत्पाद सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से सत्यापित सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल के लिए ही बने हैं। कंपनी कहती है कि हम पेगासस का लाइसेंस केवल स्वीकृत, सत्यापित और अधिकृत सरकारों और सरकारी एजेंसियों को देते हैं। विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रमुख कानूनी जांच में उपयोग किए जाने के लिए।
वर्ष 2016 से मौजूद है ये स्पाइवेयर
पेगासस को इज़राइल स्थित साइबर इंटेलिजेंस और सुरक्षा फर्म NSO ग्रुप की ओर से विकसित किया गया था। माना जाता है कि यह स्पाइवेयर 2016 से ही मौजूद है और इसे क्यू सूट और ट्राइडेंट जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। बाजार में उपलब्ध ऐसे सभी उत्पादों में सबसे परिष्कृत माना जाता है। यह ऐप्पल के मोबाइल फोन ऑपरेटिंग सिस्टम आईओएस और एंड्रॉइड डिवाइसों में घुस सकता है। पेगासस का इस्तेमाल सरकार की ओर से लाइसेंस के आधार पर किया जाना था। मई 2019 में, इसके डेवलपर ने सरकारी खुफिया एजेंसियों और अन्य के लिए पेगासस की बिक्री सीमित कर दी थी।
कंपनी का ये है दावा
एनएसओ ग्रुप की वेबसाइट के होम पेज के अनुसार कंपनी ऐसी तकनीक बनाती है जो दुनिया भर में हजारों लोगों की जान बचाने के लिए आतंकवाद और अपराध को रोकने और जांच करने में मदद के लिए सरकारी एजेंसियों की मदद करती है।
ऐसे काम करता है पेगासस स्पाईवेयर
– इज़रायल के NSO ग्रुप ने पेगासस स्पाईवेयर बनाया
– आईफ़ोन और एंड्रॉयड फोन में घुसपैठ करने में सक्षम
– Whatsapp में एक खामी का पेगासस ने इस्तेमाल किया
– हानिकारक लिंक या मिस्ड Whatsapp वीडियो कॉल से ऐक्टिवेट
– स्पाईवेयर फ़ोन के बैकग्राउंड में चुपचाप सक्रिय
– फ़ोन के कॉन्टैक्ट, मैसेज, डेटा तक पूरी पहुंच
– माइक्रोफ़ोन और कैमरा भी ऑन कर सकता है
– Whatsapp ने अपनी खामी अब सुधार ली है
फोन में घुसता है स्पाईवेयर
– Whatsapp पर वीडियो कॉल आती है
– एक बार फ़ोन की घंटी बजते ही हमलावर हानिकारक कोड भेज देता है
– ये स्पाईवेयर फ़ोन में इंस्टॉल हो जाता है
– ऑपरेटिंग सिस्टम पर कब्ज़ा कर लेता है
– मैसेज, कॉल, पासवर्ड तक स्पाईवेयर की पहुंच
– माइक्रोफ़ोन और कैमरा तक भी स्पाईवेयर की पहुंच