Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 22, 2024

द न्यूयॉर्क टाइम्स का खुलासाः भारत ने इजराइल से 2017 में खरीदा था पेगासस स्पाइवेयर

भारत सरकार ने इजराइल के साथ करीब 2 बिलियन अमरीकी डॉलर की हुई डिफेंस डील के तहत साल 2017 में इजरायली स्पाइवेयर पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली खरीदी थी। यह जानकारी द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में सामने आई है।

भारत सरकार ने इजराइल के साथ करीब 2 बिलियन अमरीकी डॉलर की हुई डिफेंस डील के तहत साल 2017 में इजरायली स्पाइवेयर पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली खरीदी थी। यह जानकारी द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में सामने आई है। बता दें, पिछले साल एक बड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब भारत सहित कई देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और अन्य लोगों की जासूसी के लिए कथित तौर पर सरकारों द्वारा Pegasus का इस्तेमाल किया गया था। यह स्पाइवेयर इजरायल का NSO ग्रुप बनाता है। भारत में ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। पिछले साल 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में छह सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी का गठन कर आठ हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा था। जनवरी माह में ही जांच समिति ने एक सार्वजनिक नोटिस में ऐसे लोगों से 7 जनवरी तक संपर्क करने को कहा था, जिन्हें संदेह है कि उनके फोन को निशाना बनाया गया। समिति ने यह भी कहा है कि वह फोन की जांच के लिए तैयार है।
‘The Battle for the World’s Most Powerful Cyberweapon’ वाली हेडिंग के साथ NYT ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इजरायली फर्म एनएसओ ग्रुप करीब एक दशक से अपने स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर को दुनिया भर में कानून-प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों को सदस्यता के आधार पर बेच रहा था। इस फर्म का दावा है कि यह स्पाइवेयर जो कर सकता है वह कोई और नहीं कर सकता। ना एक निजी कंपनी और ना ही देश खुफिया एजेंसी। इसके जरिये किसी भी आईफोन या एंड्रॉइड स्मार्टफोन के एन्क्रिप्टेड कम्यूनिकेश को लगातार और विश्वसनीय तरीके से हैक किया जा सकता है। रिपोर्ट में जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजराइल यात्रा का भी उल्लेख किया गया है, इस यात्रा के बाद इजरायल का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधान मंत्री बने थे।

राहुल गांधी ने कहा-मोदी सरकार ने किया देशद्रोह
रिपोर्ट का खुलासा होने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था। फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है। ये देशद्रोह है. मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।

राज्यसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘मोदी सरकार ने भारत के दुश्मनों की तरह काम क्यों किया और भारतीय नागरिकों के खिलाफ युद्ध के हथियार का इस्तेमाल क्यों किया? पेगासस का इस्तेमाल कर अवैध जासूसी करना देशद्रोह की श्रेणी में आता है. कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि न्याय मिले।

शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि एक स्पाइवेयर का इस्तेमाल रक्षा उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि विपक्ष और पत्रकारों की जासूसी करने के लिए किया जाता है। भाजपा है तो मुमकिन है, देश को बिग बॉस का शो बना डाला है।

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि भारतीय करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल भारतीयों की जासूसी और निगरानी के लिए किया जाता है! अपने ही देशवासियों पर नजर रखने के लिए मेहनत की कमाई देश को बिग बॉस के स्टूडियो में बदलने के लिए खर्च की जा रही है। इस तकनीक का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता था कि पड़ोसी देश हमारे क्षेत्र पर कब्जा न करें लेकिन अफसोस!’

उठाए जाते रहे सवाल
पेगासस को इसराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ने तैयार किया है। बांग्लादेश समेत कई देशों ने पेगासस स्पाईवेयर खरीदा है। इसे लेकर पहले भी विवाद हुए हैं। मेक्सिको से लेकर सऊदी अरब की सरकार तक पर इसके इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाए जा चुके हैं। व्हाट्सऐप के स्वामित्व वाली कंपनी फेसबुक समेत कई दूसरी कंपनियों ने इस पर मुकदमे किए हैं।
हालांकि, एनएसओ ने पहले खुद पर लगे सभी आरोपों को खारिज किए हैं। ये कंपनी दावा करती रही है कि वो इस प्रोग्राम को केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचती है और इसका उद्देश्य “आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना” है। हालिया आरोपों को लेकर भी एनएसओ ने ऐसे ही दावे किए हैं। सरकारें भी जाहिर तौर पर बताती हैं कि इसे खरीदने के लिए उनका मकसद सुरक्षा और आतंकवाद पर रोक लगाना है, लेकिन कई सरकारों पर पेगासस के ‘मनचाहे इस्तेमाल और दुरुपयोग के गंभीर’ आरोप लगे हैं।
भारत में ये थे संभावित टारगेट
बता दें, द वायर की रिपोर्ट में बताया गया है कि कांग्रस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, दो केंद्रीय मंत्री, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी और 40 भारतीय पत्रकार जासूसी के संभावित टारगेट थे। यह लिस्ट भारत की एक अज्ञात एजेंसी की है, जो कि इयरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का स्पाइवेयर Pegasus यूज करती है। एनएसओ का कहना है कि यह अपना Pegasus स्पाइवेयर केवल ‘जांची-परखी सरकारों’ को ही आतंक से लड़ने के मकसद से देती है। किसी भी प्राइवेट कंपनी को यह स्पाइवेयर नहीं दिया जाता है।
भारत सरकार ने किया था इनकार
हालांकि, भारतीय सरकार ने इसमें अपनी भूमिका से साफ इनकार किया था। वहीं, कांग्रेस समेट विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेरती रही हैं। कांग्रेस ने इसे लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग तक की थी। साथ ही इसमें पीएम मोदी की भूमिका की जांच की मांग भी की थी।
ये हुआ था खुलासा
भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के फोन नंबर उस लीक डाटाबेस में पाए गए हैं, जिन्हें इजरायली स्पाईवेयर पेगासस Pegasus के इस्तेमाल से हैक किया गया है। द वायर सहित 16 मीडिया संस्थानों की पड़ताल में यह जानकारी सामने आई है। प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया था कि लीगल कम्यूनिटी मेंबर्स, बिजनेसमैन, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, कार्यकर्ताओं और अन्यों के नंबर इस लिस्ट में शामिल हैं। इस लिस्ट में 300 से ज्यादा भारतीय मोबाइल नंबर हैं। हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस सहित बड़े मीडिया संस्थानों के बड़े पत्रकारों को भी निशाना बनाया गया है।
चुनावों के दौरान बनाया गया निशाना
द वायर (The Wire) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2019 के लोकसभा आम चुनावों से पहले 2018 और 2019 के बीच ज्यादातर को निशाना बनाया गया। पेगासस को बेचने वाली इजरायली कंपनी NSO ग्रुप का दावा है कि वह अपने स्पाईवेयर केवल अच्छी तरह से जांची-परखी सरकारों को ही ऑफर करती है।
क्या है पेगासस
पेगासस को बनाने वाले एनएसओ ग्रुप ने अपनी ट्रांसपेरेंसी और रिस्पॉसिबिल‍िटी रिपोर्ट 2021 में कहा है कि इसके उत्पाद सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से सत्यापित सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल के लिए ही बने हैं। कंपनी कहती है कि हम पेगासस का लाइसेंस केवल स्वीकृत, सत्यापित और अधिकृत सरकारों और सरकारी एजेंसियों को देते हैं। विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रमुख कानूनी जांच में उपयोग किए जाने के लिए।
वर्ष 2016 से मौजूद है ये स्पाइवेयर
पेगासस को इज़राइल स्थित साइबर इंटेलिजेंस और सुरक्षा फर्म NSO ग्रुप की ओर से विकसित किया गया था। माना जाता है कि यह स्पाइवेयर 2016 से ही मौजूद है और इसे क्यू सूट और ट्राइडेंट जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। बाजार में उपलब्ध ऐसे सभी उत्पादों में सबसे परिष्कृत माना जाता है। यह ऐप्पल के मोबाइल फोन ऑपरेटिंग सिस्टम आईओएस और एंड्रॉइड डिवाइसों में घुस सकता है। पेगासस का इस्तेमाल सरकार की ओर से लाइसेंस के आधार पर किया जाना था। मई 2019 में, इसके डेवलपर ने सरकारी खुफिया एजेंसियों और अन्य के लिए पेगासस की बिक्री सीमित कर दी थी।
कंपनी का ये है दावा
एनएसओ ग्रुप की वेबसाइट के होम पेज के अनुसार कंपनी ऐसी तकनीक बनाती है जो दुनिया भर में हजारों लोगों की जान बचाने के लिए आतंकवाद और अपराध को रोकने और जांच करने में मदद के लिए सरकारी एजेंसियों की मदद करती है।
ऐसे काम करता है पेगासस स्पाईवेयर
– इज़रायल के NSO ग्रुप ने पेगासस स्पाईवेयर बनाया
– आईफ़ोन और एंड्रॉयड फोन में घुसपैठ करने में सक्षम
– Whatsapp में एक खामी का पेगासस ने इस्तेमाल किया
– हानिकारक लिंक या मिस्ड Whatsapp वीडियो कॉल से ऐक्टिवेट
– स्पाईवेयर फ़ोन के बैकग्राउंड में चुपचाप सक्रिय
– फ़ोन के कॉन्टैक्ट, मैसेज, डेटा तक पूरी पहुंच
– माइक्रोफ़ोन और कैमरा भी ऑन कर सकता है
– Whatsapp ने अपनी खामी अब सुधार ली है
फोन में घुसता है स्पाईवेयर
– Whatsapp पर वीडियो कॉल आती है
– एक बार फ़ोन की घंटी बजते ही हमलावर हानिकारक कोड भेज देता है
– ये स्पाईवेयर फ़ोन में इंस्टॉल हो जाता है
– ऑपरेटिंग सिस्टम पर कब्ज़ा कर लेता है
– मैसेज, कॉल, पासवर्ड तक स्पाईवेयर की पहुंच
– माइक्रोफ़ोन और कैमरा तक भी स्पाईवेयर की पहुंच

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *