डराने लगा है कोरोना का नया वेरिएंट, वैज्ञानिक दे रहे हैं चेतावनी, दुनिया में लगाए जा सकते हैं फिर से प्रतिबंध
दुनिया भर में कोरोना के नए संक्रमितों के मामलों में फिर से तेजी आनी शुरू हो गई है। भारत समेत दुनियाभर के करीब 22 देशों में कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट फिर से वैज्ञानिकों को डराने लगा है। कोरोना के इस नए वेरिएंट का नाम आकटूरस है और वैज्ञानिकों का कहना है कि हम इससे निपटने के लिए अभी तैयार नहीं हैं। साथ ही वैज्ञानिक इसे लेकर चेतावनी दे रहे हैं। उनका कहना है कि यदि समय रहते हम तैयार नहीं हुए तो फिर से दुनियाभर में कोरोना को लेकर प्रतिबंध लगाने पड़ सकते हैं। वहीं, देश के कई राज्यों में मास्क को जरूरी कर दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आकटूरस वेरिएंट को XBB.1.16 के नाम से भी जाना जाता है और यह पूरी दुनिया में बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं और वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि आकटूरस जल्द ही पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रबल वेरिएंट बन जाएगा। वैज्ञानिकों ने कहा कि ओमिक्रोन का यह सब वेरिएंट पिछले स्ट्रेन की तुलना में ज्यादा आक्रामक हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बच्चों पर पड़ रहा बुरा असर
इसकी वजह स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन है। इस नए वेरिएंट का बच्चों में बहुत बुरा असर पड़ रहा है। बच्चे conjunctivitis के शिकार हो रहे हैं। भारत में इस समय कोरोना के मामलों में बहुत ज्यादा तेजी आ गई है। मंगलवार 18 अप्रैल की सुबह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 7633 नए संक्रमित मिले। इस दौरान 11 मौत दर्ज की गई। वहीं, यदि टीकों की बात करें तो एक दिन पहले सोमवार को देशभर में 749 लोगों को कोरोनारोधी टीके लगाए गए। वहीं, इस दिन 211029 लोगों का परीक्षण किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह आकटूरस वेरिएंट की वजह से है। यह कोविड स्ट्रेन अब भारत, ब्रिटेन समेत दुनिया के 22 देशों तक पहुंच गया है। इसके फैलने का क्रम लगातार जारी है जिससे वैज्ञानिक टेंशन में आ गए हैं। ब्रिटेन के वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर लारेंस यंग ने द इंडिपेंडेंट से बातचीत में कहा कि जब भी एक नया वेरिएंट पैदा होता है तो आपको उसका पता लगाना होता है क्या वह पहले से ज्यादा संक्रामक है। ज्यादा बीमारी पैदा करने वाला है या क्या यह ज्यादा रोगजनक है। इस तरह की चीजें जीनोमिक सर्विलांस के महत्व को दर्शाती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने सलाह दी कि हम तब तक यह आश्वस्त नहीं हो सकते हैं कि चारों तरफ कौन सा वेरिएंट है और किसी स्तर का संक्रमण इसकी वजह से हो रहा है। यह तब तक पता नहीं चल पाएगा जब तक कि इसकी वजह से व्यापक प्रकोप नहीं फैल जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में टेस्टिंग, वैक्सीन लगवाने और संक्रमण की वजह का पता लगाने की क्षमता में काफी कमी आ गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वैज्ञानिकों ने कहा कि इसका मतलब यह है कि अगर दुनिया में यह कोविड का घातक वेरिएंट बढ़ता है तो हम उसके लिए तैयार नहीं होंगे। ऐसे में इस वेरिएंट से बचने के हमें एक और सख्त प्रतिबंध लगाना पड़ सकता है। ऑक्सफर्ड वेरिएंट की रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप में टेस्टिंग की दर साल 2022 की शुरुआत में गिरकर 1000 लोगों पर 613 हो गई थी जो अब बहुत ही कम हो गई है। दुनिया में अब तक 5 अरब लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है। ये टीका कुछ ही महीने में संक्रमण को रोकने में कारगर है। हालांकि, अभी भी 30 फीसदी लोग कोरोना की वैक्सीन से महरूम हैं।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।