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June 24, 2025

Video: पर्यटकों के लिए खुला सबसे खतरनाक रास्ता, यहां उछलना, गहराई में झांकना है प्रतिबंधित, रोमांच भरा है सफर

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पहाड़ियों पर करीब साढ़े दस हजार फीट की ऊंचाई पर सीढ़ीनुमा रास्ते को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। इस खौफनाक रास्ते पर सुरक्षा की दृष्टि से कई प्रतिबंध भी लगाए गए हैं।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पहाड़ियों पर करीब साढ़े दस हजार फीट की ऊंचाई पर सीढ़ीनुमा रास्ते को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। इस खौफनाक रास्ते पर सुरक्षा की दृष्टि से कई प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। जैसे यहां झुंड बनाकर नहीं चल सकेंगे। इस पर ज्यादा देर तक रुकना, बैठना, उछलकूद करना, ज्वलनशील पदार्थ ले जाना भी प्रतिबंधित है। कारण है कि पूरा रास्ता लकड़ी के फट्टों का बना है। जो हवा में झूल रहा है। इसकी रेलिंग से झांकना भी प्रतिबंधित किया गया है।
भारत-चीन सीमा पर उत्तरकाशी जिले की जाड़ गंगा घाटी में स्थित गर्तांगली (सीढ़ीनुमा रास्ता) के पुनरुद्धार का कार्य पूरा होने के बाद बुधवार को इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। पहले दिन कुछ स्थानीय पर्यटक ही गर्तांगली के दीदार को पहुंचे। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि एक बार में अधिकतम दस पर्यटकों को ही गर्तांगली जाने के निर्देश गंगोत्री नेशनल पार्क के उपनिदेशक को दिए गए हैं।
रोमांच से भरपूर है यहां का सफर
जिलाधिकारी ने बताया कि भैरवघाटी के पास चेकपोस्ट बनाकर गर्तांगली क्षेत्र में जाने वाले पर्यटकों का पंजीकरण करने के निर्देश भी पार्क प्रशासन को दिए गए हैं। वहीं, गंगोत्री नेशनल पार्क के अधिकारी गर्तांगली की सैर को शुल्क तय करने समेत अन्य पर्यटन सुविधाएं जुटाने में लगे हैं। विदित हो कि समुद्रतल से 10500 फीट की ऊंचाई पर एक खड़ी चट्टान को काटकर बनाए गए इस सीढ़ीनुमा मार्ग से गुजरना बहुत ही रोमांचकारी अनुभव है। 140 मीटर लंबा यह सीढ़ीनुमा मार्ग 17वीं सदी में पेशावर से आए पठानों ने चट्टान को काटकर बनाया था।

भारत तिब्बत के बीच व्यापार का गवाह है ये रास्ता
1962 से पहले भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियां संचालित होने के कारण नेलांग घाटी दोनों तरफ के व्यापारियों से गुलजार रहती थी। दोरजी (तिब्बती व्यापारी) ऊन, चमड़े से बने वस्त्र व नमक लेकर सुमला, मंडी व नेलांग से गर्तांगली होते हुए उत्तरकाशी पहुंचते थे। भारत-चीन युद्ध के बाद गर्तांगली से व्यापारिक आवाजाही बंद हो गई। हालांकि, सेना की आवाजाही होती रही। भैरव घाटी से नेलांग तक सड़क बनने के बाद 1975 से सेना ने भी इस रास्ते का इस्तेमाल बंद कर दिया। देख-रेख के अभाव में इसकी सीढ़ि‍यां और किनारे लगाई गई लकड़ी की सुरक्षा बाड़ जर्जर होती चली गई। गर्तांगली के पुनरुद्धार का कार्य बीते मार्च में शुरू हुआ, लेकिन अप्रैल में बर्फबारी के चलते कार्य की गति धीमी रही। हालांकि, जून में कार्य ने रफ्तार पकड़ी और जुलाई के अंतिम सप्ताह में कार्य पूरा भी हो गया। अब गर्तांगली को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है।
देखें वीडियो-साभार सत्येंद्र सेमवाल

दुनिया का सबसे खतरनाक रास्ता
गर्तांगली दुनिया के खतरनाक रास्तों में शुमार है। ऐसे में ट्रैक पर एक बार में अधिकतम दस लोग एक मीटर की दूरी बनाकर चलेंगे। ट्रैक में झुंड बनाकर आवागमन या फिर बैठना प्रतिबंधित होगा। यहां उछल-कूद जैसे क्रियकलाप भी मना है। इसके अलावा ट्रैक की रैलिंग से नीचे झांक भी नहीं सकते हैं। ट्रैक की सुरक्षा के दृष्टिगत ट्रैक क्षेत्र में धूमपान करना और अन्य ज्वलनशील पदार्थ ले जाना वर्जित है। यहां भोजन बनाना भी मना है।

नियम और पालन
पहले दिन स्थानीय लोग गर्तांगली पहुंचे और उन्होंने इस स्थान का लुत्फ उठाया। फिर सवाल ये उठता है कि जो नियम जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताए, उसके उलट ही नजारा देखा गया। झुंड बनाना प्रतिबंधित है, लेकिन लोग झुंड में ही नजर आए। इस रास्ते में बैठना मना है, वहीं लोग एक साथ बैठकर सेल्फी लेते नजर आए। ऐसे में नियमों का पालन कहां तक हो पाएगा, ये प्रशासन को देखना है। हालांकि पहले दिन गिनती भर के लोग थे, ऐसे मे ज्यादा खतरे वाली बात नहीं थी। साथ ही ये ध्यान देना होगा कि सभी को नियमों की जानकारी दी जाए। वहीं, कोरोना के लिहाज से भी लोगों ने मास्क लगाने बंद कर दिए हैं। यहां भी किसी के मास्क नजर नहीं आए।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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