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June 23, 2025

किसानों को रोकने के लिए प्रयोग किए गए तरीके अलोकतांत्रिकः यशपाल आर्य

मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे किसानों को हरियाणा, यूपी और पंजाब के बार्डर पर रोका गया है। उन्हें रोकने के लिए सड़कों पर कील लगी लोहे के प्लेटें बिछाई गई। बैरिकेड्स लगाए गए। साथ ही कई स्थानों पर आंसू गैस के गोले भी ड्रोन से छोड़े गए। इसे लेकर उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि आज देश के किसान तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेते समय दिए गए आश्वासनों के पूरा न होने के विरोध में किसान नई दिल्ली तक मार्च कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस की ओर से किसानों को परेशान करने और उन्हें उनके वैध अधिकारों का प्रयोग करने से रोकने के लिए जिन तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह बेहद अलोकतांत्रिक है। ये केंद्र सरकार की किसान-विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के लिए कारण स्पष्ट हैं। चाहे वह पूंजीपतियों की मदद के लिए भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करने की कोशिश हो, अथवा तीन काले कृषि कानून लाना रहा हो। इन्होंने हर तरह से किसानों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी भी आज तक नहीं मिली है। किसानों के लिए बाज़ार को कमज़ोर करने का कार्य किया गया है। यहां तक कि यह सरकार किसानों को उचित लागत मूल्य देने में भी विफल रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यशपाल आर्य ने कहा कि वर्ष 2004 से 14 की अवधि में कांग्रेस सरकार के दौरान गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 126 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। अगर वर्तमान सरकार द्वारा किसानों को वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जाता तो आज उन्हें प्रति क्विंटल गेहूं का मूल्य 3277 रुपये मिल रहा होता। मौजूदा समय में उन्हें 2275 रुपये मिल रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि किसान ऋण के दुष्चक्र में फंसते जा रहे हैं। वर्ष 2013 से किसानों के ऊपर क़र्ज़ में 60 फीसदी बढ़ोतरी हुई है और इससे उनकी स्थिति बेहद ख़राब हो चुकी है। प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना के तहत बीमा करवाने वाले लाखों किसानों को उनके क्लेम के भुगतान में देरी की समस्या का सामना करना पड़ता है। सरकार के अपने ही आंकड़ों के मुताबिक़ वर्ष 21-22 में लगभग 2761 करोड़ रुपए के क्लेम लंबित थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यशपाल आर्य ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के बड़े-बड़े दावों और भाषणों की आड़ में अन्नदाताओं की वास्तविकता को छुपाने की कोशिश की गई। हक़ीक़त यह है कि किसान एक सम्मानजनक जीवन भी नहीं जी पा रहे हैं। वे क़र्ज़ में डूबे हैं और उन्हें उनकी फ़सलों के नुक़सान के लिए बीमा की राशि भी नहीं मिल रही है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी आज तक नहीं मिली है। किसानों के लिए बाज़ार को कमज़ोर करने का कार्य किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भाजपा पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाली सूट-बूट की सरकार है। भाजपा सरकार ने कभी किसानों के हित की बात नहीं की। यह सरकार किसान व मजदूर के दु:ख को नहीं समझ रही। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। कांग्रेस का समर्थन किसान, मजदूर और आढ़तियों के साथ है।
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Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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