ये कैसा शहीद द्वार, शहीद का नाम गायब, नेताओं की भरमार, नेताओं के नाम की नीचे जलते हैं श्रद्धांजलि के दीए
ये कैसा शहीद द्वार है। इसके लोकार्पण के पत्थर में शहीद तक का नाम नहीं है। इसमें सिर्फ नाम है तो नेताओं के। इन नेताओं के जो शहीदों के नाम पर आंसू तो बहाते हैं, राजनीति तो करते हैं, लेकिन उनके नाम का सहारा लेकर अपना ही नाम चमकाते हैं। यदि उनके मन में शहीद के प्रति आदर भावना होती तो शहीद द्वार लिखने के साथ ही शहीद का नााम जरूर लिखा होता।
हालांकि द्वार में शहीद की फोटो है, लेकिन व्यस्तम सड़क पर खड़े होकर गेट पर लिखा देखने और पढ़ना मुश्किल है। वहीं, शिलापट्ट में शहीद का जिक्र होना चाहिए था। जो गेट के बगल में लगाया गया है। ताकी कोई भी यदि वहां खड़ा हो तो वो जान सके कि शहीद कौन है। दो लाइन का शहीद के बारे में जिक्र भी किया जाना चाहिए था। इस शिलापट्ट में स्थानीय लोगों की ओर से दीपक जलाए जाते हैं, अब अंदाजा लगा लो कि दीपक किसके नाम पर जल रहे हैं, जिनके नाम का पत्थर है या फिर शहीद के नाम। जिसका नाम इसमें लिखा ही नहीं गया। नेताओं के नाम के नीचे श्रद्धांजलि के दीए जलाना भी अजीबोगरीब स्थिति है। कायदे से जहां दीपक जलाए जाने हों, वहां शहीद की फोटो होनी चाहिए।
देहरादून के हर्रावाला में शहीद दीपक नैनताल की स्मृति में ये द्वार बनाया गया है। इसका उद्घाटन उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक नंबर 2020 को किया। शहीद दीपक नैनवाल गढ़वाल राइफल्स का जवान थे, लेकिन शिलापटट पर नेताओ के नाम हैं। अब सवाल उठता है कि किस शहीद की याद में ये द्वारा है। इस शहीद द्वार में वार्ड 97, सिद्धपुरम कालोनी हर्रावाला लिखा है। लोकार्पण के शिलापट्ट में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, महापौर सुनील उनियाल गामा, पार्षद विनोद कुमार, अधिशासी अभियंता अनुपम भटनागर, नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय के नाम हैं। शहीद का नाम लिखने की आवश्यकता ही नहीं समझी गई।
फोटोः साभार, प्रभुपाल रावत
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
यही तो मूर्ख बीजेपी वालों का काम है