दिया बुझने की फड़फड़ाहट, एमपी में बीजेपी को ढूंढे नहीं मिल रहे हैं प्रत्याशी, तीन केंद्रीय मंत्री समेत सात सांसदों को टिकट
क्या दिया बुझने की फड़फड़ाहट होने लगी है। क्योंकि एमपी में बीजेपी डरी नजर आ रही है। उसे विधानसभा के लिए जिताऊ प्रत्याशी तलाशने में पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। इस साल के अंत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें मध्य प्रदेश एक बड़ा राज्य है। इस राज्य की रिपोर्ट बीजेपी को परेशान कर रही है। ऐसे में बीजेपी को जिताऊ प्रत्याशी ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। बीजेपी ने प्रत्याशियों की जो लिस्ट जारी की, उसमें तीन केंद्रीय मंत्री समेत सात सांसदों के नाम हैं। ऐसे में एमपी के मामा शिवराज सिंह चौहान के लिए भी आने वाले समय में संकट नजर आने लगा है। क्योंकि, सात सांसदों में अधिकांश चौहान विरोधी हैं। ऐसे में मामा को अब साइड करने की तैयारी हो रही है। यही नहीं, बीजेपी जिन सात सांसदों को चुनाव में उतर रही है, इनमें कई तो विधानसभा चुनाव आज तक नहीं लड़े। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की भले ही निर्वाचन आयोग ने घोषणा नहीं की, लेकिन सारे दल पूरी तैयारी से जुटे हुए हैं। इस बीच बीजेपी की सोमवार को जारी की गई प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की टिकट की घोषणा नहीं कर भारतीय जनता पार्टी ने जो किया, उससे यही लगता है कि शायद बीजेपी उन पर शिकंजा कसना चाह रही है। सात सांसदों को चुनाव मैदान में उतारने पर एक सवाल ये भी उठता है कि यदि इनमें ये कई इस बार विधानसभा चुनाव जीत जाते हैं तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी किसे मैदान में उतारेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दरअसल, 230 सीटों वाली विधानसभा के लिए अब तक घोषित 78 सीटों को देखकर साफ़ नज़र आता है कि बीजेपी ने क्षेत्रीय वरिष्ठ पार्टी नेताओं की महत्वाकांक्षाओं को संभालने, कमज़ोर सीटों पर मज़बूती हासिल करने के लिए अपने शीर्ष नेतृत्व को इस्तेमाल करने, और मुख्यमंत्री पद की दौड़ को खुला रखने की भरपूर कोशिश की है। सूबे में अब तक चुनाव प्रचार अभियान के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजनैतिक हलकों में हैरानी फैला देने वाले एक कदम के तहत बीजेपी ने घोषणा की कि वह लोकसभा के सात सदस्यों को को चुनाव मैदान में उतार रही है। इनमें तीन केंद्रीय मंत्री हैं। सूची में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी शामिल हैं। इन लोगों में से चार लोग अतीत में विधायक रह चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक दशक बाद विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे कैलाश विजयवर्गीय पिछली बार 2013 में अपने पैतृक इंदौर जिले की महू सीट से दूसरी बार जीते थे। अब वह वह इंदौर-1 सीट से चुनाव लड़ेंगे। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दो दशक के बाद विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं, क्योंकि वह आखिरी बार 2003 में ग्वालियर से लगाीतार दूसरा बार चुनाव जीते थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते भी इस बार चुनाव मैदान में उतार दिए गए हैं। प्रत्याशी सूची से ऐसा महसूस होता है कि सत्तासीन पार्टी चुनाव मैदान में अपने ही वरिष्ठ क्षेत्रीय नेताओं के बीच संतुलन कायम करने की कोशिश कर रही है। या फिर हार से डरी हुई है। क्योंकि नया प्रत्याशी बीजेपी को नहीं मिल रहा है और वह अपने सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव में उतार रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके पीछे मंशा ये मानी जा रही है कि चुनिंदा इलाकों और जातियों के बीच उनके तजुर्बों और असर से ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाया जा सके। सात मौजूदा सांसदों को चुनाव मैदान में लाकर बीजेपी न सिर्फ़ कमज़ोर सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि आसपास की सीटों पर भी इन दिग्गजों की लगातार मौजूदगी से असर पड़े। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस बीच, मध्य प्रदेश कांग्रेस के मुखिया और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि BJP ने हार कबूल कर ली है। माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट X (पूर्व में ट्विटर) पर कमलनाथ ने लिखा कि मध्य प्रदेश में हार स्वीकार कर चुकी BJP ने उम्मीद का आखिरी झूठा दांव आज खेला है। साढ़े 18 साल की BJP सरकार और 15 साल से ज़्यादा के शिवराजी विकास के दावों को नकारने वाली BJP प्रत्याशियों की सूची करोड़ों कार्यकर्ताओं की पार्टी होने का दावा करने वाली BJP की आंतरिक हार पर पक्की मुहर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए दावा किया कि कांग्रेस के डर से BJP ने सूबे में अपने ‘डूबते जहाज़’ को बचाने के लिए शीर्ष केंद्रीय नेताओं को शामिल किया है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि शिवराज सिंह चौहान जानते हैं कि वह हारने वाले हैं, लेकिन वह अपने साथ अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बड़े नेताओं को भी डुबोना चाहते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन सात सांसदों को दिया गया टिकट
बीजेपी ने दूसरी सूची में तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा है। इनमें मध्य प्रदेश में जिन सात सांसदों को बीजेपी ने टिकट दिया है उनमें मुरैना की दिमनी सीट से नरेंद्र सिंह तोमर, सतना से गणेश सिंह, सीधी से रीती पाठक, जबलपुर पश्चिम से राकेश सिंह, गडरवारा से सांसद उदय प्रताप सिंह, नरसिंहपुर से प्रह्लाद पटेल और निवास सीट से फग्गन सिंह कुलस्ते को विधानसभा टिकट दिया गया है। बीजेपी ने अपने राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को भी इंदौर सीट से टिकट दिया है। वहीं, कई ऐसे लोगों को रिपीट किया गया, जो पिछले चुनाव में बुरी तरह से हार गए थे। ऐसे में बीजेपी की मजबूरी है कि उसे प्रत्याशी ढूंढ कर भी नहीं मिलरहे हैं।
क्या शिवराज सिंह चौहान के पर करतने की तैयारी
चर्चा ये भी है कि एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पर करतने की तैयारी भी चल रही है। कारण ये है कि शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की जनता में खुद को मामा के रूप में स्थापित करने के साथ ही कई योजनाएं ला रहे हैं। वहीं, आज तक पीएम नरेंद्र मोदी ने उनकी किसी योजना की तारीफ नहीं की। क्योंकि पीएम मोदी तो सिर्फ एक ही नाम सुनना चाहते हैं, वो नाम उनका ही है। ऐसे में यदि कोई ज्यादा उड़ने लगता है तो ये इतिहास रहा है कि पीएम मोदी उसके पर कतर देते हैं। क्योंकि बीजेपी शासित किसी भी राज्य की बात करें तो वहां के सीएम छोटी से छोटी योजना का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को देते हैं। ऐसे राज्यों के सीएम ऊपर से आई स्क्रिप्ट को अपने भाषणों में पढ़ते हैं। इसके विपरीत शिवराज सिंह चौहान अपने नाम से ही लोगों को गारंटी देते हैं। कारण ये भी है कि एक तरफ पीएम मोदी महिला आरक्षण की बात कर रहे हैं, वहीं शिवराज सिंह चौहान लाडली बहना का राग अलाप रहे हैं। कई बार वह भाषणों में कहते हैं कि तुम्हारा मामा अकेला है। ऐसे में अब उन्हें अकेला छोड़ने की तैयारी है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।