Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

October 14, 2025

कैबिनेट में आशा वर्कर्स का मुद्दा गायब, कुमाऊं की आशाओं को हुआ धोखे का अहसास, अब फिर से शुरू करेंगी आंदोलन

विगत दिवस शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में आशाओं के संबंध में प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं होने से अब फिर से आशाओं में गुस्सा पनप रहा है।

उत्तराखंड में 12 सूत्रीय मांगों को लेकर गढ़वाल मंडल में आशा कार्यकत्रियां आंदोलनरत हैं। वहीं, कुमाऊं की आशाओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आश्वासन पर आंदोलन स्थगित कर दिया था। विगत दिवस शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में आशाओं के संबंध में प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं होने से अब फिर से आशाओं में गुस्सा पनप रहा है। आशा वर्कर्स का कहना है कि उनके साथ हर बार छलावा हो रहा है। वे चुप नहीं बैठेंगी। उधर, 24 सितंबर को आंदोलन स्थगित करने के बावजूद कुमाऊं मंडल में जिला व ब्लाक स्तर पर आशाओं ने प्रदर्शन किए। साथ ही उन्हें एहसास हुआ कि उनके साथ छलावा किया गया और आंदोलन तोड़ने की कोशिश की गई। उन्होंने चेतावनी दी कि है कि इसके बावजूद अब आशाएं चुप नहीं रहेंगी। वे आंदोलन को तेज करेंगी।
रानीखेत, द्वाराहाट में किए गए प्रदर्शन
सरकार की वादाखिलाफी पर फ्रंटलाइन कोरोना योद्धा आशा कार्यकर्ताओं का धैर्य फिर जवाब दे गया। उपमंडल मुख्यालय के साथ ही द्वाराहाट में कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आईं। प्रदर्शन कर आशाओं के शोषण व समझौते से मुकरने का आरोप लगाया। साफ कहा कि जब तक मानदेय, राज्य कर्मी का दर्जा व कोरोनाकाल का भत्ता आदि नहीं दे दिया जाता वह चुप नहीं बैठेंगी।
आशा हेल्थ वर्कर यूनियन के बैनर तले शुक्रवार को जिला उपाध्यक्ष मीना आर्या की अगुआई में जुलूस निकाल आशाओं ने प्रदर्शन किया। सभा में कार्यकर्ताओं ने रोष जताया कि बेमियादी आंदोलन को तोड़ने के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सकारात्मक कदम उठाने का भरोसा तो दिला दिया। मगर आशाओं के हित में अब तक ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका है। उन्होंने इसे छलावा करार दे पुन: आंदोलन का ऐलान किया। इस दौरान ब्लॉक अध्यक्ष कमला जोशी, भावना बिष्ट, जया जोशी, शोभा पंत, कुसुम लता जोशी, शोभा पंत, प्रेमा सुयाल, हीरा देवी, लीला बेलवाल, उमा देवी, मंजू नेगी, मीना बिष्ट, रेनू जीना, दीपा पपनै, गीता देवी, कविता मेहरा मौजूद रहीं।

प्रोत्साहन के बजाय उपेक्षा कर रही सरकार
द्वाराहाट में यहां आशाओं ने जुलूस निकाल प्रदर्शन किया। कहा कि कोरोनाकाल में जान जोखिम में डाल सेवा दी। मगर सरकार उपेक्षा पर आमादा है। उन्होंने आशाओं समेत सभी स्कीम वर्कर्स को समान वेतन व कोविड का निश्शुल्क टीकाकरण की सुविधा, मानदेय आदि मांगें दोहराईं। बाद में तहसील प्रशासन के जरिये पीएम को ज्ञापन भेजा गया। प्रदर्शन में ब्लॉक अध्यक्ष ललिता मठपाल, दीपा भरड़ा, रमा बिष्ट, उमा पंत, मीना देवी, हेमा बिष्ट, पार्वती देवी, विमला आर्या, जानकी देवी, रेखा बोरा, उषा चौधरी, गीता वर्मा, चंपा रावत आदि शामिल रहीं।
चंपावत में भी किया प्रदर्शन
चंवावत में ऐक्टू के राष्ट्रव्यापी आंदोलन में शामिल जिले की आशा वर्करों ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कलक्ट्रेट व तहसील मुख्यालयों में प्रदर्शन कर धरना दिया। आशाओं ने मुख्यमंत्री पर आशाओं को गुमराह करने का आरोप लगाया। कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने खटीमा दौरे में आशा वर्करों 20 सितंबर तक आशाओं के मासिक मानदेय पर शासनादेश जारी करने का वादा किया था। लेकिन कलक्ट्रेट में आशा वर्करों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के बाद जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। लंबित मांगों का निराकरण न करने पर फिर से अनिश्चितकालीन आंदोलन पर जाने की चेतावनी दी है।
प्रदर्शन के दौरान उन्होंने अपनी मांगों को प्रमुखता से रखा। इस मौके पर ब्लाक अध्यक्ष रुक्मणी जोशी, जिला उपाध्यक्ष हेमा जोशी, विद्या देवी, लीलावती भट्ट, रेनू गोस्वामी, गीता देवी, कमला बिष्ट, नीलू महर, मालती देवी, उमा जोशी, लक्ष्मी रैंसवाल, नीरू देवी, संगीता, कमला जोशी, उषा थ्वाल, सीता चौधरी सहित दर्जनों आशाएं मौजूद रहीं। इधर लोहाघाट में आशाओं ने उप जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में प्रदर्शन कर एसडीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा। जिलाध्यक्ष सरस्वती पुनेठा ने के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने तहसील परिसर तक रैली निकाली और सरकार कि खिलाफ नारेबाजी की। कहा आशाओं के मानदेय बढ़ोत्तरी करने सहित विभिन्न समस्याओं का शीघ्र समाधान नही किया तो गया तो आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी।
इधर पाटी, बाराकोट ब्लाक मुख्यालयों में आशा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की। इस दौरान पदमा प्रथोली, आशा सामंत, रेखा देवी, हेमा जोशी, मंजू देवी, रितु बिष्ट, कुसम बोहरा, हेमा आदि मौजूद रहे। टनकपुर में भी आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में बनबसा की आशाएं भी शामिल रहीं।
दो अगस्त से कर रही हैं कार्य बहिष्कार
गौरतलब है कि उत्तराखंड में आशाएं 12 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आशा वर्कर्स आंदोलनरत हैं। इसके तहत दो अगस्त से कार्यबहिष्कार कर वे गढ़वाल मंडल के सभी जिलों में सीएमओ कार्यालय के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों के समक्ष धरना दे रही हैं।
सीटू से संबंद्ध आशा वर्कर्स यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे के मुताबिक, बीती नौ अगस्त को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से यूनियन के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी। इस पर शासन ने कुछ मांगों पर सहमति दी थी, लेकिन शासनादेश जारी नहीं होने के कारण आंदोलन जारी है। इसके अगले दिन 10 अगस्त को आशाओं ने सीएम आवास कूच भी किया था। फिर भी उनके संबंध में जीओ जारी न होने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है। आशाओं के मुताबिक बाद 12 अगस्त को सीटू से संबंधित आशा वर्कर्स के साथ महानिदेशक तथा मिशन डायरेक्टर के साथ दोबारा वार्ता हुई थी। इसमें 4000 रुपये प्रतिमाह बढ़ोतरी का प्रस्ताव बनाया गया। महानिदेशक ने वह प्रस्ताव 13 अगस्त को शासन को भेजा गया। फिर भी शासनादेश जारी नहीं किया गया। इसके बाद 27 अगस्त को आशा वर्कर्स ने विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया था।
उन्होंने बताया कि खटीमा में सीएम से वार्ता के बाद कुमाऊं की आशाओं ने प्रदर्शन स्थगित कर दिया था। सीएम मांगों के संदर्भ में बीस दिन का आश्वासन दिया था। वहीं, गढ़वाल मंडल में धरना जारी है। उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन सीएमओ कार्यालय के साथ ही समस्त सीएचसी और पीएचसी के समक्ष हर दिन धरना दे रही हैं। इसके बाद भी आशाओं ने कई दिन लगातार प्रदर्शन किए। 21 अगस्त को सचिवालय समक्ष धरना दिया गया। इस दिन भी आशाओं के प्रतिनिधिमंडल को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने वार्ता के लिए बुलाया। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों के संबंध में 24 सितंबर को कैबिनेट की मीटिंग में प्रस्ताव रखा जाएगा। इस आश्वासन पर आशाएं वापस लौटीं। इसके बाद 24 सितंबर को भी ट्रेड यूनियंस के राष्ट्रीय आह्वान पर सचिवालय के समक्ष प्रदर्शन किया गया। पर समस्या जस की तस है।

स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से भेजा गया प्रस्ताव हो लागू
शिवा दुबे ने कहा कि 12 अगस्त को स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से शासन को भेजा गया प्रस्ताव ही लागू किया जाना चाहिए। जब तक आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित नहीं किया जाता, तब तक उनका मानदेय चार हजार रुपये बढ़ाया जाए। साथ ही आशाओं की सभी मांगों को जल्द पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आशाओं को मात्र दो हजार रुपये मानदेय दिया जा रहा है। वहीं, आशाओं ने कोरोनाकाल में जान को जोखिम में डालकर सेवा कार्यों में कोई कमी नहीं छोड़ी।
अध्यक्ष की मार्मिक अपील, कहा- हमारे साथ किया जा रहा है भद्दा मजाक
शिवा दुबे ने कहा कि सचिव और स्वास्थ्य महानिदेशक के साथ गई बार बैठक होने के बाद भी नतीजा कुछ नहीं निकला। महानिदेशक ने जो प्रस्ताव बनाया है, उस पर कोई अमल नहीं किया जा रहा है। बार बार मीडिया भी बढ़ाचढ़कर दिखा रहा है कि हमें इतना मिलने जा रहा है। मात्र दो हजार रुपये मानदेय पर कार्य करना हमारे साथ भद्दा मजाक है। कल भी कैबिनेट की बैठक में कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकारी कर्मचारियों का 11 परसेंट फिर बढ़ाने का फैसला लेकर वाहवाही लूटी जा रही है। वहीं, हमें सम्मानजनक मानदेय तक नहीं दिया जा रहा है। सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या फिर बीजेपी की। दोनों से ही हमें छला है।
आशाओं को भेजे गए पत्र में उन्होंने कहा कि कोरोना वारियर्स के नाम पर हमें सम्मान देने का ढिंढौरा पीटा जाता है। हमें हमारी मेहनत का नहीं दे सकते तो सम्मान किस बात का है। इस समय तो कांग्रेस की सरकार भी नहीं है, जब इनकी सरकार थी, तब इन्होंने भी हमारी 5 साल की प्रोत्साहन राशि रोक दी थी। आज हमें सम्मानित कर रहे हैं, यह कैसा सम्मान है। जब जिसकी सरकार आती है तब वह अपनी हांकता है। आज यह जो भी राजनीतिक दल है अपनी रोटियां सेकना चाहते हैं। कुछ नहीं, पागल मत बनो, इन सब के पीछे और अपनी लड़ाई पर ध्यान दो। तुम्हें हम सब की लड़ाई कमजोर नहीं करनी है। अभी भी वक्त है। सरकार हमें केवल टुकड़ों में हजार या पंद्रह सौ रुपया देना चाहती है। उसके बाद भी नहीं मिलता तो कुछ तो दिमाग खोलो।
बैठक में तय होगी आगे की रणनीति
आशाओं को भेजे गए पत्र में उन्होंने कहा कि आज सचिवालय बंद है और कल भी छुट्टी है। मैं महानिदेशक और एमडी से मिलूंगी। उसके बाद मीटिंग करके तय करेंगे कि आगे क्या करना है। सभी को कल शाम 4:00 बजे तक बता दिया जाएगा। उसके बाद जो भी आगे होगा आप सब लोगों को सहयोग देना पड़ेगा। हमारी पहाड़ की बहनों का बहुत-बहुत धन्यवाद है जो हमारा हौसला सुबह से बढ़ा रही हैं। लड़ाई कमजोर मत करो।
आशा वर्कर्स की मांगे
आशाओं को सरकारी सेवक का दर्जा दिया जाऐ, न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रतिमाह हो, वेतन निर्धारण से पहले स्कीम वर्कर की तरह मानदेय दिया जाए, सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा हो, कोविड कार्य में लगी सभी आशाओं को भत्ता दिया जाए, कोविड कार्य में लगी आशाओं 50 लाख का बीमा, 19 लाख स्वास्थ्य बीमा का लाभ, कोरनाकाल में मृतक आशाओं के परिवारों को 50 लाख का मुआवजा, चार लाख की अनुग्रह राशि दी जाए। ओड़ीसा की तरह ऐसी श्रेणी के मृतकों के परिवारों विशेष मासिक भुगतान, सेवा के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी की स्थिति में नियम बनाए जाएं, न्यूनतम 10 लाख का मुआवजा दिया जाए, सभी स्तर पर कमीशन खोरी पर रोक, अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति हो, आशाओं के साथ सम्मान जनक व्यवहार किया जाए, कोरना ड्यूटी के लिये विशेष मासिक भत्ते का प्रावधान हो।
शासन से वार्ता में आशाओं के संबंध में ये लिए गए थे निर्णय
-आशाओं को छह हजार का मानदेय देने की पेशकश स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने की। अन्य देय भी मिलते रहेंगे।
– प्रत्येक केन्द्र में आशा रूम स्थापित किये जाऐंगे।
-अटल पेंशन योजना में उम्र की सीमा समाप्त करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
-आशाओं के सभी प्रकार के उत्पीड़न एवं कमीशनखोरी पर कार्रवाई होगी।
-अन्य सभी मांगों पर सौहार्दपूर्ण कार्यवाही होगी।
-स्वास्थ्य बीमा की मांग पर समुचित कार्यवाही होगी।
-उपरोक्त सन्दर्भ में शासन द्वारा आवश्यक कार्यवाही के बाद अति शीध्र शासनादेश जारी किया जाएगा।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *