पश्चिम बंगाल में हुई घटना निर्भया कांड से भी अधिक वीभत्सः जगदीप धनखड़

देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि पश्चिम बंगाल में रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुई घटना पूरे देश के लिए चिंता का विषय है और इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए समाज को भी आगे आकर चिंतन करने की आवश्यकता है। रविवार को उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एम्स ऋषिकेश में रेजिडेंट चिकित्सकों व फैकल्टी सदस्यों सहित नर्सिंग एवं पैरामेडिकल छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। संस्थान के मुख्य सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने बीते माह 9 अगस्त को पश्चिम बंगाल के एक मेडिकल कॉलेज में महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुई अमानवीय घटना और जघन्य हत्या को सभ्य समाज के लिए गंभीर चिंताजनक कृत्य बताया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हालांकि, ऐसी घटनाएं दूसरे राज्यों में भी हो रही हैं। हरियाणा में भी लिंचिंग में एक युवक की हत्या कर दी गई। बीएचयू में छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में बीजेपी आईटी सेल के तीन पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें दो की जमानत होने पर उनका स्वागत फूल मालाओं से किया गया। एक विधायक तो फोटो में इन आरोपियों को मिठाई खिलाते नजर आए। उत्तराखंड में भी भी लगातार दुष्कर्म के मामले सामने आ रहे हैं। उत्तराखंड के रूद्रपुर में नर्स की रेप के बाद हत्या, देहरादून आईएसबीटी में किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म की घटनाएं भी हाल ही में सामने आईं। हाल ही में दुष्कर्म के दो अलग अलग मामलों में तो बीजेपी नेताओं के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यही नहीं, मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा है। इसी तरह के हालात पूरे देशभर में हैं, लेकिन बीजेपी शासित राज्यों में होने वाली ऐसी घटनाओं के लिए शायद ही उपराष्ट्रपति के मुंह से एक शब्द निकला हो। वहीं, देश की राष्ट्रपति को भी पश्चिम बंगाल और केरल की घटनाएं तो याद हैं और बार बार उनके इसे लेकर बयान आ रहे हैं, लेकिन मणिपुर सहित अन्य घटनाओं पर उन्होंने कभी कुछ नहीं बोला। फिलहाल पश्चिम बंगाल की घटना राजनीतिक रूप लेती जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोलकाता रेप और मर्डर की वारदात को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य बताया है। 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई घटना को उन्होंने चरम क्रूरता करार दिया। AIIMS ऋषिकेश में उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे क्रूर कृत्य पूरी सभ्यता को शर्मिंदा करते हैं और भारत के आदर्शों को तहस-नहस कर देते हैं। उन्होंने इस घटना के संदर्भ में लक्षणात्मक विकृति शब्द के उपयोग पर अफसोस जताते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणियां हमारे दर्द को और बढ़ाती हैं और हमारी घायल अंतरात्मा पर नमक छिड़कती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि भारत देश वसुधैव कुटुम्बकम् का ध्येय रखने वाला देश है, ऐसे में विश्व के कल्याण की कामना करने वाले देश में घटित हुई इस घटना ने मानव समाज को सोचने को मजबूर कर दिया है। उन्होंने 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड का जिक्र करते हुए कहा कि बंगाल में हुई घटना निर्भया कांड से भी अधिक वीभत्स है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति ने कोविड काल के दौरान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए वहां के चिकित्सकों द्वारा की गई कोविड संक्रमित लोगों की सेवा का उदाहरण दिया और कहा कि उस दौरान उन्होंने स्वयं बंगाल के चिकित्सकों को उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए पुरस्कृत भी किया था। धनखड़ कहा कि देश के विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को महिलाओं के साथ लगातार हो रही इस प्रकार की घटनाओं पर दलगत भावना से ऊपर उठकर सोचना होगा और ऐसे मामलों में संसद को सख्त कानून बनाने में सहयोग करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि हालांकि बंगाल में महिला चिकित्सक के साथ हुई घटना बेहद निंदनीय है, इसके बावजूद अभिभावकों को अपनी बच्चों को चिकित्सकीय पेशे से जोड़ने व देशहित में मानव सेवा के प्रति सकारात्मक रहने की आवश्यकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुझे अपनी जिम्मेदारी दिखानी होगी : उपराष्ट्रपति
धनखड़ ने कहा कि संवैधानिक पद पर होने के नाते मुझे अपनी जिम्मेदारी दिखानी होगी. मुझे उपराष्ट्रपति और राज्यसभा अध्यक्ष के रूप में जो पद है, उसकी पुष्टि करनी होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे घटनाओं से हमारा दिल घायल है, हमारी अंतरात्मा रो रही है और जवाबदेही की मांग कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्वास्थ्य पेशेवरों के काम को निष्काम सेवा बताते हुए उपराष्ट्रपति ने डॉक्टरों के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा की निंदा की। उपराष्ट्रपति ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और ऐसा तंत्र बनाने पर जोर दिया, जिसमें हेल्थ वॉरियर्स को पूरी तरह सुरक्षित रखा जा सके। साथ ही धनखड़ ने कहा कि कुछ एनजीओ एक घटना पर चुप्पी साध लेते हैं। हमें उनसे सवाल करना चाहिए। उनकी चुप्पी इस घिनौनी अपराध के अपराधियों की दोषपूर्णता से भी बदतर है। जो लोग राजनीति खेलना और राजनीतिक अंक जुटाना चाहते हैं, वे अपनी अंतरात्मा की पुकार का जवाब नहीं दे रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता समाज: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जो कुछ भी हुआ, वह जवाबदेही के दायरे में आएगा, लेकिन समाज भी जिम्मेदार है। समाज अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। मैं इसे सरकार या राजनीतिक पार्टियों का मामला नहीं बनाना चाहता। यह समाज का मामला है, यह हमारे अस्तित्व की चुनौती है। इसने हमारे अस्तित्व की नींव को हिला दिया है। इसने भारत के आदर्शों पर सवाल किया है जो हजारों वर्षों से कायम हैं। साथ ही कहा कि यह अवसर राजनीतिक अंक जुटाने का नहीं है। यह गैर-पार्टी है। इसमें द्विदलीय प्रयास की आवश्यकता है। सभी हितधारकों के मिलकर एक मंच पर आने की आवश्यकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यकारी निदेशक ने दी क्रियाकलापों की जानकारी
इससे पूर्व संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने एम्स ऋषिकेश के क्रियाकलापों एवं उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने वर्ष 2012 में संस्थान में शुरू हुए एमबीबीएस पाठ्यक्रम के प्रथम सत्र से लेकर 2024 तक की चरणबद्ध शैक्षणिक उन्नति, चिकित्सकीय सेवाओं एवं प्रगति को रखा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि संस्थान के अंतर्गत उधमसिंहनगर के किच्छा में 218 बेड के सेटेलाइट सेंटर के निर्माण, प्रधानमंत्री स्वास्थ्य योजना के तहत एम्स ऋषिकेश परिसर में निर्माणाधीन 150 बेड क्षमता के क्रिटिकल केयर अस्पताल भवन के अलावा संस्थान द्वारा संचालित की जा रही टेलिमेडिसिन, ड्रोन मेडिकल आदि सेवाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बीते 12 वर्षों की संस्थागत स्तर पर उत्तरोत्तर प्रगति के लिए ही इस वर्ष नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क एनआईआरएफ द्वारा देश भर के शीर्ष 50 चिकित्सा संस्थानों में एम्स ऋषिकेश ने 14वीं रेंक हासिल की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये रहे उपस्थित
समारोह में उपराष्ट्रपति की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़, उत्तराखंड के राज्यपाल ले. जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह, सूबे के नगर विकास एवं वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, उपराष्ट्रपति के सचिव आईएएस सुनील कुमार, डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, उप निदेशक प्रशासन ले. कर्नल अमित पराशर, एसई ले. कर्नल राजेश जुयाल, वित्तीय सलाहकार ले. कर्नल एस. सिद्धार्थ, प्रो. लतिका मोहन, प्रो. प्रशांत पाटिल, प्रो. नवनीत भट्, प्रो. एसके हांडू, प्रो. कमर आजम, प्रो. शालिनी राजाराम, प्रो. एके मंडल, प्रो. भानु दुग्गल, प्रो. रवि गुप्ता, नर्सिंग प्राचार्य प्रो. स्मृति अरोड़ा, डॉ. अंशुमान दरबारी, डॉ. रजनीश अरोड़ा, डॉ. रश्मि मल्होत्रा, डॉ. वरूण कुमार, डॉ. पुनीत धमीजा, रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, एफएनसीओ चांदराम, जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार सिंह, एसएओ मुकेश पाल, एओ गौरव बडोला, विधि अधिकारी प्रदीप चंद्र पांडेय आदि मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रेजिडेंट डॉक्टरों ने सौंपा सेफ्टी ड्राफ्ट
एम्स ऋषिकेश के रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा चिकित्सकीय पेशेवरों की संपूर्ण सुरक्षा की मांग को लेकर सेंट्रल प्रोटक्शन एक्ट के मामले में तैयार किया गया बिल का ड्राफ्ट कार्यक्रम के दौरान देश के उपराष्ट्रपति को सौंपा गया। उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान इस ड्राफ्ट का जिक्र करते हुए देशभर के चिकित्सकों को भरोसा दिलाया कि वह इस बिल को सकारात्मक तौर से संसद में रखेंगे , इस दौरान उन्होंने मौके पर ही साथ आए संबंधित अधिकारियों को विषय का संज्ञान लेकर इस दिशा में कार्यवाही आगे बढ़ाने को कहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पौधरोपण कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
कार्यक्रम के दौरान उप राष्ट्रपति ने एम्स के मुख्य सभागार परिसर में एक पेड़ मां के नाम मुहिम के तहत रूद्राक्ष का पौधा रोपकर तीर्थनगरी से आध्यात्मिक एवं पर्यावरणीय संवर्धन का संदेश दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे जीवन के संरक्षण के लिए हमें धरती को हरियाली से आच्छादित करने का नैतिक संकल्प लेना चाहिए।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।