गंगा की अविरलता को लेकर मातृ सदन के 23 फरवरी से होगी तपस्या, पूर्व सैनिक संगठन ने दिया समर्थन
गंगा की अविरलता को लेकर हरिद्वार स्थित मातृसदन में फिर से 23 फरवरी से तपस्या शुरू की जाएगी। मातृसदन की मांग है कि स्वामी सानंद की मांगों के अनुरूप केंद्र सरकार को प्रदूषण से बचाने के लिए फैसला ले।
गंगा की अविरलता को लेकर हरिद्वार स्थित मातृसदन में फिर से 23 फरवरी से तपस्या शुरू की जाएगी। मातृसदन की मांग है कि स्वामी सानंद की मांगों के अनुरूप केंद्र सरकार को प्रदूषण से बचाने के लिए फैसला ले। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि प्रोफेसर ज्ञानस्वरूप सानंद की मांगें मान ली जाती तो आज चमोली त्रासदी नहीं होती। उधर, उत्तराखंड पूर्व सैनिक संगठन के संरक्षक एसएस पांगती ने मातृसदन पहुंचकर मातृसदन के परामाध्यक्ष स्वामी शिवानंद को उनके आंदोलन का समर्थन करने की घोषणा की।
गौरतलब है कि गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने, स्टोन क्रशर को गंगा तटों से दूर करने, अवैध खनन पर रोक लगाने को लेकर मातृसदन कई वर्षों से लगातार आंदोलन कर रहा है। इसके तहत भूख हड़ताल आदि के माध्यम से आवाज उठाने की कोशिश गई। इस आंदोलन में वर्ष 2018 में स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद, (प्रो. जीडी अग्रवाल), वर्ष 2011 में स्वामी निगमानंद सरस्वती बलिदान दे चुके हैं। अब मातृसदन ने चमोली में ऋषिगंगा नदी से मची तबाही के बाद फिर से आंदोलन का निर्णय किया है। इसकी सूचना मातृसदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने पीएम नेरेंद्र मोदी को 17 फरवरी को पत्र के माध्यम से भेज दी है। अभी ये नहीं बताया गया है कि 23 फरवरी से तपस्या में कौन बैठेंगे।
मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने चमोली आपदा के मामले की एसआइटी जांच के साथ दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। परमाध्यक्ष का कहना है कि प्रोफेसर सानंद ने चार मांगों मंदाकिनी, अलकनंदा, भागीरथी और उनकी सहायक नदियों पर बनने वाले सभी प्रस्तावित और निर्माणाधीन बांध को निरस्त करने, रायवाला से रायघटी तक खनन बंदी का नोटिफिकेशन जारी करने, गंगा से 5 किलोमीटर दूर स्टोन क्रशर को बंद करने के अलावा गंगा भक्त परिषद और गंगा एक्ट बनाने की मांग को लेकर तपस्या की थी और अपने प्राण त्याग दिए थे।
उनकी मांगों को क्रियान्वित कराने के लिए ही दोबारा तपस्या शुरू की जा रही है। बताया था कि कि इन मांगों को लेकर पूर्व में स्वामी सानंद के अलावा उन्होंने और साध्वी पद्मावती ने भी तपस्या की। जिस पर 25 सितंबर 2020 को नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा एनएमसीजी के डायरेक्टर राजीव रंजन मिश्र ने जल्द नोटिफिकेशन जारी कराने का लिखित आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक नोटिफिकेशन जारी न होना सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करता है।
आज उत्तराखंड पूर्व सैनिक अर्द्ध सैनिक सयुंक्त संगठन के शीर्ष नेता हरिद्वार में मातृसदन स्वामी शिवानंद जी महाराज से मिले। उन्होंने 23 फरवरी को मातृसदन की ओर से किए जा रहे आमरण अनशन को पूरा समर्थन देने की घोषणा की। संगठन के संरक्षक एवं पूर्व आइएएस एसएस पांगती ने कहा कि हम run of the river हैड्रोप्रोजेक्ट का समर्थन करते हैं, लेकिन ऋषि गंगा में बनी जल विद्युत परियोजना का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि उच्च हिमालय क्षेत्र में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का राष्ट्रव्यापी विरोध किया जाएगा।
संगठन के महासचिव पीसी थपलियाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में किसी भी प्रकार का प्रदूषण नही फैलने देंगे। इस मौके पर सूबेदार सुरेन्द्र नौटियाल, मनबर सिंह रावत, कैप्टन सीएम बंदूनी, रमेश बलूनी, राजमोहिनी व विनोद सिंह भी थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत अच्छा लगा आपका दृष्टिकोण। आज उत्तराखंड में गोदी पत्रकारिता के लेखों को जागरूक पाठक प्रथमदृष्टया सरकारों के पक्षकार होने का अहसास होने के कारण पढ़ते नहीं हैं।और आज हर उत्सुक व जागरूक पाठक निष्पक्ष समाचार चाहता है, जिसमें सरकार के घपले घोटाले, एवं जनविरोधी फैसलों का सार हो।क्यों कि सरकार भी अपने रक्षा कवच, मीडिया मैनेजरों को खरीद कर फूल प्रूव बनती है। जनता को स्वर्णिम ख्वाव दिखाये जाते हैं।