हाईकोर्ट ने दिए निर्देश तो पलटी मारी सरकार ने, महाकुंभ में कोरोना निगेटिव रिपोर्ट को बताया जरूरी, साथ ही दिए ये निर्देश
कोरोना को लेकर अचानक शासन का रुख बदलने का कारण अब स्पष्ट हो गया है। ऐसा हाईकोर्ट के निर्देश के बाद किया गया। अब महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट साथ लाना जरूरी होगी। साथ ही हाईकोर्ट ने सरकार को अन्य सुझाव भी दिए। पहले कोरोना रिपोर्ट लाने की बाध्यता में छूट देने के बाद आज अचानक प्रदेश सरकार ने इसे जरूरी बताया था। मुख्य सचिव ने इस संबंध में दोपहर को कहा था कि केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक 72 घंटे तक की कोरोना रिपोर्ट महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को लानी होगी।
गौरतलब है कि महाकुंभ में हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोरोना टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट लाना जरूरी था। उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के बाद नए सीएम तीरथ सिंह रावत ने इस पर ढील दे दी थी। हालांकि ये ढील मौखिक दी गई थी। कुंभ को लेकर पहले की एसओपी में कोरोना रिपोर्ट लाना जरूरी था। वहीं, कुंभ को लेकर नई एसओपी जारी नहीं की गई थी।
अपने भाषणों में सीएम तीरथ सिंह रावत इसी बात का बार बार जिक्र कर संतों को खुश रखने का प्रयास कर रहे थे। इसे भी भाजपा अपनी उपलब्धियों में गिन रही थी। इसी मामले को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी संकेत दिए थे कि महाकुंभ को लेकर कोरोना के प्रति सजगता जरूरी है। हाल ही में सीएम तीरथ सिंह रावत भी कोरोना संक्रमित हो गए, वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत भी आज ही कोरोना संक्रमित हो गए हैं। ऐसे में साफ है कि जब नेताओं के भीड़भाड़ वाले कार्यक्रम होंगे तो मास्क भी उन्हें संक्रमित होने से नहीं बचा पाएगा।
आज नैनीताल हाईकोर्ट ने क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्था तथा महाकुंभ के इंतजामों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। बुधवार को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शिव भट्ट, हरिद्वार की जिला विकास प्राधिकरण सचिव शिवानी पसबोला और मेलाधिकारी दीपक रावत की ओर से कुम्भ व्यवस्थाओं को लेकर निरीक्षण की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की।
निरीक्षण रिपोर्टो का अवलोकन करने के पश्यचात कोर्ट ने राज्य सरकार व मेलाधिकारी को निर्देश दिए है कि कुम्भ मेले के दौरान श्रद्धालुओं को अपनी कोविड की नगेटिव रिपोर्ट लाना आवश्यक है। जिन लोगो को कोविड की दो बार वेक्सीन लग चुकी है, वह अपना वेक्सीन का सर्टिफिकेट साथ मे लगाएंगे और राज्य सरकार व केंद्र सरकार की ओर से जारी एसओपी का पूर्ण रूप से पालन करेंगे।
कोर्ट ने एम्स के डॉक्टरों द्वारा दिये गए सुझावों पर भी विचार करने को कहा है। एम्स के डॉक्टरों ने कमेटी को सुझाव दिए थे कि प्रत्येक दस बैड पर एक डॉक्टर व स्टाफ की नियुक्ति की जाय, प्रत्येक हॉस्पिटल में सुविधायुक्त पाँच एम्बुलेंस होने चाहिए तथा एयर एंबुलेंस की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को अवगत कराया गया कि मेलाधिकारी ने हरकीपैडी व मेला क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है, परंतु जहां पर महिलाएं स्नान कर रही है, उनके वाशरूम अच्छी स्थिति में नही है। उनमें सुविधाओ का अभाव है। कुछ लोग स्नान कर रही महिलाओं की वीडियो भी बना रहे, जो उनकी गरिमा के खिलाफ है। इसलिए मेला क्षेत्र में एक महिला अधिकारी की नियुक्ति की जाय जो वहाँ पर जाकर निरीक्षण करे।
आईजी संजय गुंजियाल से अनुरोध किया है कि इन स्थानों पर वर्दी व बिना वर्दी के महिला पुलिस कर्मी नियुक्त किये जाय। याचिकाकर्ता ने अपनी रिपोर्ट मे यह भी तथ्य उठाया गया कि ऋषिकेश, तपोवन मुनिकीरेती के घाटों की हालात जर्जर है। सरकार ने इनको सुधारने के लिए कोई व्यवस्था नही की है । इसपर कोर्ट ने मुख्य सचिव व वित्त सचिव से इस पर विचार करने को कहा है। कोर्ट ने मेलाधिकारी, चीफ सैकेट्री, वित्त सचिव व आईजी संजय गुंज्याल को निर्देश दिए है कि वे मेला क्षेत्र का अधिवक्ता के साथ निरीक्षण करेंगे और 30 मार्च तक मेलाधिकरी अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे ।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।