दूल्हे ने दुल्हन की मांग पर भरा सिंदूर, फिर कपड़े उतारने की रस्म में खुल गया राज, बैरंग लौटाई बारात
दुल्हन के घर बारात पहुंची। शादी की रस्म पूरी की जा रही थी। दूल्हे ने दुल्हन की मांग पर सिंदूर भर दिया। फिर रस्म के मुताबिक, दूल्हे को कपड़े बदलने थे। कपड़े बदलने के दौरान ही दुल्हन ने दूल्हे में ऐसा कुछ देख लिया, जिससे वह बिगड़ गई। दुल्हन ने शादी से मना कर दिया। इस पर बारात को बगैर दुल्हन के बैरंग लौटना पड़ा। ऐसा चौंकाने वाला मामला बिहार के शिवहर का है। इतना ही नहीं, दूल्हे के परिजनों को हर्जाना भी देना पड़ा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बिहार के शिवहर जिले के तरियानी में पूरे लाव लश्कर और बैंड-बाजे के साथ बारात पहुंची। जयमाला हुई। दुल्हन पक्ष ने बारातियों का पूरा स्वागत किया। दूल्हा शादी के लिए मंडप में पहुंचा। पंडित जी वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शादी की रस्म पूरी कराने लगे। सिंदूर दान तक तो सबकुछ ठीक रहा और दूल्हे ने दुल्हन की मांग में सिंदूर भर दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जयमाल होने के बाद कुछ रीति रिवाज भी निभाए जा रहे थे, लेकिन तभी दूल्हे को कपड़े बदलने के लिए कहा गया। इस दौरान उसका पैर देखकर सब हैरान थे और दुल्हन ने शादी से मना कर दिया। दूल्हे को कपड़े बदलने के के दौरान उसके पैर पर नजर पड़ी तो पता चला कि दूल्हे को एक बीमारी थी। इसे ‘हाथी पांव’ (मोटा पांव) कहा जाता है। दूल्हे का पैर देखते ही दुल्हन भड़क गई और उसने शादी से इंकार कर दिया। दुल्हन को काफी समझाया गया, लेकिन वह राजी नहीं हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिजनों ने दुल्हन को काफी समझाया, पर वो मानने को तैयार नहीं हुई। वह लगातार साथ रहने इनकार करती रही। इस पर दूल्हा और दुल्हन पक्ष में विवाद उत्पन्न हो गया। बारात समस्तीपुर जिले के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के लगुनिया गांव से आई थी। विवाद पर ग्रामीण की भीड़ जमा हो गई। फिर पंचायत बैठी। इसमें निर्णय हुआ कि दूल्हे पक्ष को बाराती के स्वागत पर खर्च को चुकता करना पड़ेगा। अंतत: दूल्हा पक्ष को खर्च की पूरी राशि चुकता करनी पड़ी और बिना दुल्हन के बैरंग लौट जाना पड़ा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जानिए हाथी पांव बीमारी के बारे में
इस बीमारी का नाम फाइलेरिया है। फाइलेरिया से पीड़ित लोगों की सबसे अधिक संख्या भारत में है। इस बीमारी का संक्रमण बचपन में ही होता है, लेकिन लक्षण 7 से 8 साल के बाद ही दिखाई देते हैं। फाइलेरिया बीमारी फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलती है। ये मच्छर फ्युलेक्स एवं मैनसोनाइडिस प्रजाति के होते हैं जो मच्छर एक धागे समान परजीवी को छोड़ता है। यह परजीवी हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। इस बीमारी का नाम लिम्फैटिक फाइलेरियासिस या एलिफेंटियासिस है। फाइलेरिया एक दर्दनाक बीमारी है। इसमें मरीज के अंग फूलकर काफी मोटे हो जाते हैं। यही वजह है कि इसे आम भाषा में हाथी पांव की बीमारी कहा जाता है। लंबे समय तक इसकी चपेट में आने से विकलांगता का खतरा होता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।