साहित्यकार एवं रंगकर्मी मदन मोहन डुकलान की गढ़वाली कविता-दग्ड्यों

दग्ड्यों
तुम्हरी मुखड़ी
मेरी इमिन्युटी बढांद
तुम्हरी जिकुड़ी
मेरी एंटीबाडी जमांद
तुम्हरो हैंसणों
मेरी वैक्सीन छ
तुम्हरो ब्वन बच्याणो
मेरी ऑक्सीजन छ
दग्ड़यो
तुम सदान इनि
बच्याणा हँसाणा रयां
यीं म्वरदी दुन्या तै
बचांणा रयां
कवि का परिचय
नाम- मदन मोहन डुकलान
मदन मोहन डुकलान कवि, साहित्यकार के साथ ही रंगकर्मी भी हैं। वह देहरादून निवासी हैं। वह गढ़वाली कविता का पोस्टर चिट्ठी भी पिछले कई साल से निरंतर प्रकाशित कर रहे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत सुन्दर रचना, वाह डुकलान जी?