पहली डिजिटल गढ़वाली फ़िल्म ‘मेरी प्यारी बोई’ बीस साल बाद एक बार फिर सिनेमाघर में, प्रीमियर शो का सीएम धामी ने किया शुभारंभ

बीस साल पहले गढ़वाली भाषा में बनी पहली गढ़वाली डिजिटल फिल्म मेरी प्यारी बोई का शुक्रवार को धूम धाम से देहरादून के सिल्वर सिटी मॉल के सिनेमाघर में रिलांच किया गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, फिल्म के निर्माता जितेंद्र जोशी, फिल्म के निदेशक मुकेश धस्माना ने मुख्यमंत्री धामी व विशिष्ट अतिथि नगर निगम के महापौर सौरभ थपलियाल को शाल पहना कर व स्मृति चिह्न देकर अभिनंदन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फिल्म की बोई कि मुख्य भूमिका निभाने वाली निवेदिता बौठियाल, मुकेश धस्माना, जितेंद्र जोशी, कुमारी सुप्रिया धस्माना, प्रभा भंडारी को अंगवस्त्र पहना कर सम्मानित किया। फिल्म के प्रथम शो का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रिबन काट कर शुभारंभ किया व उन्होंने करीब पैंतालीस मिनट तक हाल में दर्शकों के साथ बैठ कर फिल्म देखी। मुख्यमंत्री ने कहा कि फिल्म को देख कर अपना बचपन याद आ गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मेरी प्यारी बोई ऐसी फिल्म है, जिसके नाम सन् 2004 में पहली गढ़वाली डिजिटल फ़िल्म होने का रिकॉर्ड है। इसके पहले फ़िल्में सेल्युलाइड पर शूट होतीं थीं। इसकी फ़िल्म महँगी आती थी। जब निर्माता जितेंद्र जोशी की मदद से मुकेश धसमाना और सुरेंद्र भंडारी ने इस फ़िल्म को बनाने का बीड़ा उठाया। तब किसे पता था कि वे इतिहास रचने जा रहे हैं। तब के जमाने में स्थानीय फ़िल्मों की क्वालिटी अच्छी नहीं होती थी, क्योंकि रॉ स्टॉक बचाने के चक्कर में सीन को बार बार शूट नहीं किया जाता था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, इस फ़िल्म में ये सुविधा थी कि सीन को बार बार शूट किया जा सकता था। फ़िल्म के निर्देशक मुकेश धसमाना बताते हैं कि कुछ शॉट तो 60 से 70 रीटेक के बाद ही ओके हुए थे। ऐसा किसी प्रादेशिक फ़िल्म के साथ पहली बार हुआ था। यही कारण है कि फ़िल्म इतनी अच्छी बन गई। तब डिजिटल फ़िल्मों को सिनेमा हॉल में दिखाना क़ानूनी तौर पर संभव नहीं था। उस समय उत्तराखंड के मुख्य मंत्री नारायण दत्त तिवारी के विशेष आदेश (गवर्नमेंट ऑर्डर ) पर यह फ़िल्म सिनेमाघरों में रिलीज़ हो पायी थी। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी स्वयं फ़िल्म देखने आये थे। उचित संसाधनों के अभाव के चलते फ़िल्म को मात्र तीन हफ़्ते बाद सिनेमाघर से हटाना पड़ा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फ़िल्म से जुड़े सभी लोगों के साथ ही फ़िल्म के दर्शकों को भी ये लगता था कि गढ़वाल के धरती की यह कहानी एक बार ठीक से रिलीज़ होनी चाहिए। फ़िल्म के निर्देशक मुकेश धसमाना ने बीस साल बाद इस फ़िल्म को फिर से रिलीज़ करने का बीड़ा उठाया। बदलते समय के अनुसार फ़िल्म को फिर से काटने जोड़ने की ज़रूरत महसूस हुई। ताकि आज के युवा दर्शक इससे जुड़ सकें। इस लिये फ़िल्म को फिर से सेंसर भी कराना पड़ा। हिमालय के गाँवों की टीस लिए ये फ़िल्म आख़िर फिर से सिनेमाघर में आ रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कलाकार और अन्य सहयोगी
फ़िल्म की नायिका बोई की भूमिका निवेदिता बौठियाल ने निभायी है, जो मुंबई में हिन्दी रंगमंच की एक लोकप्रिय अभिनेत्री हैं। फ़िल्म के अन्य मुख्य कलाकार प्रदीप ढुकलान हैं। साथ ही रचिता कुकरेती, पिंकी रावत और धीरज रावत ने भी अभिनय किया है। इनके अलावा देहरादून के कलाकार दर्शन केष्टवाल, राम प्रसाद सुंद्रियाल अनुज, रमेश डोबरियाल, दुर्गा कुकरेती आदि ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया। कई कलाकार अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन फिल्म ने फिल्म को दमदार बनाने में पूरा सहयोग दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फ़िल्म के कैमरामैन बिमल बिस्वास हैं। गीत और संवाद गढ़वाली गीतों के पुरोधा जीत सिंह नेगी ने लिखे। संगीत संतोष खेतवाल ने दिया। फ़िल्म मेरी प्यारी बोई पहाड़ के महिलाओं की कहानी है, जो अपने परिवार को पूरी तरह समर्पित है। गाँव में रोज़ी रोटी की समस्या परिवार को एक साथ रहने नहीं देती। कहा भी जाता है कि- पहाड़ का पानी और उसकी जवानी उसके अपने काम नहीं आती। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
“मेरी प्यारी बोई” बीस वर्षों बाद फिर से रिलीज़ की गई है। फ़िल्म के बारे में सूर्यकांत धसमाना कहते हैं कि पहाड़ के गाँव की समस्या बीस साल पहले भी वही थी, आज भी वही है और शायद बीस साल बाद भी वही रहेगी। शुक्रवार को अनेक जाने माने कलाकारों में प्रणिता बड़ौनी, सुनील बड़ौनी, लोक गायिका रेखा धस्माना, मनीष यादव, मुकेश शर्मा भी “मेरी प्यारी बोई” देखने पहुंचे। फिल्म के निर्देशक मुकेश धस्माना ने बताया कि रोजाना सिल्वर सिटी में शाम पांच बजे फिल्म प्रदर्शित की जाएगी।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।